काशीपुर: उत्तर भारत के प्रसिद्ध मेलों में शामिल काशीपुर में लगने वाला चैती मेला पिछले 1 साल से भले ही सरकारी हो गया हो, लेकिन दुकानदारों को प्रशासन की ओर से कोई सुविधा नहीं दी गई है. साथ ही प्रशासन और दुकानदार के बीच यम रूपी ठेकेदार एक दुकान का चार गुना रेट वसूल रहे हैं. बिजली का किराया भी बढ़ा दिया गया है. प्रशासन की ओर से पानी की सुविधा भी नहीं दी गई है.
पढे़ं- आचार संहिता की वजह से आगे बढ़ सकती है तबादला प्रक्रिया, 10 जून तक TRANSFER करना चुनौती
यहां के दुकानदार मेला घूमने और मां के दरबार में प्रसाद चढ़ाने वाले भक्तों के प्रसाद के ज्यादा रुपये वसूलने को मजबूर हैं. इसका सबसे बड़ा कारण है कि दुकानदार और प्रशासन के बीच में ठेकेदार रूपी दलालों के आने से दुकानदारों के सामने रोजी रोटी का संकट गहरा गया है.
दुकानदार रीना बताती हैं कि पिछली साल उन्होंने अचार की दुकान 7 हजार रुपए में किराए पर ली थी, जबकि इस बार उसी दुकान की कीमत 30 हजार रुपए ली गई है. साथ ही ठेकेदार का एक नुमाइंदा हर शाम को 1 हजार रुपए लेने आ जाता है. आलम ये है कि सुबह से लेकर शाम तक एक हजार की बिक्री भी मुश्किल पड़ गई है.
अचार की ही दुकान लगाने वाली कंचन का कहना है कि पिछली साल की तुलना में इस बार महंगाई होने की वजह से ग्राहक दुकानों की तरफ रुख ही नहीं कर रहे हैं. उनको यहां पर अचार खुले में बेचना पड़ रहा है. प्रशासन की ओर के कोई भी सुविधा नहीं दी गई है.
वहीं, जब इस बाबत काशीपुर उप जिला अधिकारी हिमांशु खुराना से बात की गई तो उन्होंने इस तरह की शिकायतें संज्ञान में आने की बात स्वीकर की. उनके मुताबिक जो दुकानें मुख्य रोड पर लगाई गई है, वहां की कीमत स्वाभाविक रूप से ज्यादा है. साथ ही थोड़ा सा पीछे या अंदर की तरफ बाजारों में जो दुकानें हैं, उनकी कीमत कम वसूली गई है.