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चैती मेले में दुकानदारों से लूट, चार गुनी कीमत पर मिल रही दुकान - उधम सिंह नगर न्यूज

दुकानदार रीना बताती हैं कि पिछली साल उन्होंने अचार की दुकान 7 हजार रुपए में किराए पर ली थी, जबकि इस बार उसी दुकान की कीमत 30 हजार रुपए ली गई है.

चैती मेले में दुकानदारों से लूट
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Published : Apr 22, 2019, 12:02 AM IST

काशीपुर: उत्तर भारत के प्रसिद्ध मेलों में शामिल काशीपुर में लगने वाला चैती मेला पिछले 1 साल से भले ही सरकारी हो गया हो, लेकिन दुकानदारों को प्रशासन की ओर से कोई सुविधा नहीं दी गई है. साथ ही प्रशासन और दुकानदार के बीच यम रूपी ठेकेदार एक दुकान का चार गुना रेट वसूल रहे हैं. बिजली का किराया भी बढ़ा दिया गया है. प्रशासन की ओर से पानी की सुविधा भी नहीं दी गई है.

पढे़ं- आचार संहिता की वजह से आगे बढ़ सकती है तबादला प्रक्रिया, 10 जून तक TRANSFER करना चुनौती

यहां के दुकानदार मेला घूमने और मां के दरबार में प्रसाद चढ़ाने वाले भक्तों के प्रसाद के ज्यादा रुपये वसूलने को मजबूर हैं. इसका सबसे बड़ा कारण है कि दुकानदार और प्रशासन के बीच में ठेकेदार रूपी दलालों के आने से दुकानदारों के सामने रोजी रोटी का संकट गहरा गया है.

चैती मेले में दुकानदारों से लूट

दुकानदार रीना बताती हैं कि पिछली साल उन्होंने अचार की दुकान 7 हजार रुपए में किराए पर ली थी, जबकि इस बार उसी दुकान की कीमत 30 हजार रुपए ली गई है. साथ ही ठेकेदार का एक नुमाइंदा हर शाम को 1 हजार रुपए लेने आ जाता है. आलम ये है कि सुबह से लेकर शाम तक एक हजार की बिक्री भी मुश्किल पड़ गई है.

अचार की ही दुकान लगाने वाली कंचन का कहना है कि पिछली साल की तुलना में इस बार महंगाई होने की वजह से ग्राहक दुकानों की तरफ रुख ही नहीं कर रहे हैं. उनको यहां पर अचार खुले में बेचना पड़ रहा है. प्रशासन की ओर के कोई भी सुविधा नहीं दी गई है.

वहीं, जब इस बाबत काशीपुर उप जिला अधिकारी हिमांशु खुराना से बात की गई तो उन्होंने इस तरह की शिकायतें संज्ञान में आने की बात स्वीकर की. उनके मुताबिक जो दुकानें मुख्य रोड पर लगाई गई है, वहां की कीमत स्वाभाविक रूप से ज्यादा है. साथ ही थोड़ा सा पीछे या अंदर की तरफ बाजारों में जो दुकानें हैं, उनकी कीमत कम वसूली गई है.

काशीपुर: उत्तर भारत के प्रसिद्ध मेलों में शामिल काशीपुर में लगने वाला चैती मेला पिछले 1 साल से भले ही सरकारी हो गया हो, लेकिन दुकानदारों को प्रशासन की ओर से कोई सुविधा नहीं दी गई है. साथ ही प्रशासन और दुकानदार के बीच यम रूपी ठेकेदार एक दुकान का चार गुना रेट वसूल रहे हैं. बिजली का किराया भी बढ़ा दिया गया है. प्रशासन की ओर से पानी की सुविधा भी नहीं दी गई है.

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यहां के दुकानदार मेला घूमने और मां के दरबार में प्रसाद चढ़ाने वाले भक्तों के प्रसाद के ज्यादा रुपये वसूलने को मजबूर हैं. इसका सबसे बड़ा कारण है कि दुकानदार और प्रशासन के बीच में ठेकेदार रूपी दलालों के आने से दुकानदारों के सामने रोजी रोटी का संकट गहरा गया है.

चैती मेले में दुकानदारों से लूट

दुकानदार रीना बताती हैं कि पिछली साल उन्होंने अचार की दुकान 7 हजार रुपए में किराए पर ली थी, जबकि इस बार उसी दुकान की कीमत 30 हजार रुपए ली गई है. साथ ही ठेकेदार का एक नुमाइंदा हर शाम को 1 हजार रुपए लेने आ जाता है. आलम ये है कि सुबह से लेकर शाम तक एक हजार की बिक्री भी मुश्किल पड़ गई है.

अचार की ही दुकान लगाने वाली कंचन का कहना है कि पिछली साल की तुलना में इस बार महंगाई होने की वजह से ग्राहक दुकानों की तरफ रुख ही नहीं कर रहे हैं. उनको यहां पर अचार खुले में बेचना पड़ रहा है. प्रशासन की ओर के कोई भी सुविधा नहीं दी गई है.

वहीं, जब इस बाबत काशीपुर उप जिला अधिकारी हिमांशु खुराना से बात की गई तो उन्होंने इस तरह की शिकायतें संज्ञान में आने की बात स्वीकर की. उनके मुताबिक जो दुकानें मुख्य रोड पर लगाई गई है, वहां की कीमत स्वाभाविक रूप से ज्यादा है. साथ ही थोड़ा सा पीछे या अंदर की तरफ बाजारों में जो दुकानें हैं, उनकी कीमत कम वसूली गई है.

Intro:उत्तर भारत के प्रसिद्ध मेलों में शुमार काशीपुर में लगने वाला चैती मेला पिछले 1 साल से भले ही सरकारी हो गया है लेकिन यहां मेला घूमने आने वाले तथा मां के दर पर प्रसाद चढ़ाने वाले भक्तों की जेब यहां दुकान लगाने वाले जमकर काट रहे हैं। बात अगर पूरे मेले की की जाए तो प्रशासन की लापरवाही के चलते प्रशासन और दुकानदारों के बीच में ठेकेदारों रूपी दलाल जमकर चांदी काट रहे हैं। कारण साफ है की चैती मेला शुरू होने से पहले जो दुकाने प्रशासन को सीधे दुकानदारों को दी जानी थी वह प्रशासन ने ठेकेदारों को बेच दी जिसके बाद ठेकेदारो ने मनमाफिक दामों पर इन दुकानों को दुकानदारों को बेच दिया।


Body:काशीपुर में इस वक्त मां बाल सुंदरी देवी के मंदिर चल रहे चैती मेले में दुकानदारों और प्रशासन के बीच में ठेकेदारों रूपी दलालों के आ जाने से दुकानदारों के समक्ष रोजी रोटी का संकट गहरा गया है तो वहीं मेले में आने वाले श्रद्धालुओं और मेला घूमने आने वाले लोगों की जेब चक्कर कट रही है। खेल तमाशो आदि से लेकर प्रसाद की दुकानें हो या अचार से लेकर खाने पीने की दुकानें या बच्चों के खेल खिलौनों से लेकर रोजमर्रा की जरूरतमंद चीजों की दुकानें हो, सभी जगह जमकर महंगाई का आलम है।
वीओ- आचार की दुकान लगाने वाली रीना के मुताबिक पिछली बार उन्होंने आचार की दुकान ₹7000 में किराए पर ली थी इस बार उसी दुकान की कीमत ₹30000 ली गई है। उनके मुताबिक ठेकेदार का नुमाइंदा रोज शाम को 1 हजार रुपए लेने आ जाता है जबकि सुबह से लेकर शाम तक ₹1000 की बिक्री भी मुश्किल पड़ गई है। आचार की ही एक और दुकान लगाने वाली कंचन का कहना है की पिछली बार की तुलना में इस बार महंगाई होने की वजह से ग्राहक दुकानों की तरह ही नहीं कर रहे हैं और ठेकेदार के नुमाइंदे अपना पैसा लेने रोज शाम को आ जाते हैं साथ ही उन्होंने कहा कि क्योंकि उनका काम आचार का है जो कि खुले में बिक रहा है ऐसे में नगर निगम की सफाई करने वाली टीम आती है तो जमकर धूल उड़ा जाती है उनके मुताबिक यहां प्रशासन ने सुविधाएं भी प्रदान नहीं की है यहां पानी तक की सुविधा नहीं है।
वीओ- इसी तरह प्रसाद की दुकान लगाने वाले दुकानदार कन्हैया का कहना है कि पिछली बार जो प्रसाद की दुकान ₹3000 में उन्होंने ली थी इस बार उसका किराया 30,000 कर दिया गया है इसी के साथ ही दुकानों में बिजली रसीद जो पिछली बार 1500 रुपए की काटी गई थी इस बार वह ढाई हजार रुपए की काटी गई है। उनके मुताबिक इसके लिए एसडीएम काशीपुर के पास भी गए थे लेकिन नतीजा शून्य निकला।
वीओ- जब इस बाबत काशीपुर उप जिला अधिकारी तथा मेला मजिस्ट्रेट हिमांशु खुराना से बात की गई तो उन्होंने इस तरह की शिकायतें संज्ञान में आने की बात तो जरूर कबूल की साथ ही उन्होंने कहा कि जो दुकाने मुख्य रोड पर लगाई गई है वहां की कीमत स्वाभाविक रूप से ज्यादा है साथ ही थोड़ा सा पीछे या अंदर की तरफ बाजारों में जो दुकानें हैं उनकी कीमत कम वसूली गई है लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर इस तरह का कोई शिकायत है मामला संज्ञान में आएगा तो इसमें संबंधित ठेकेदारों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
बाइट- दुकानदार
बाइट- हिमांशु खुराना,एसडीएम


Conclusion:चैती मेला चरम पर है तो वहीं दुकानदार और प्रशासन के बीच में ठेकेदार रूपी दलालों के आ जाने से जहां मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की जेब तो कट ही रही है साथ ही महंगाई होने की वजह से मेले में घूमने आने वाले लोग दुकानों से अपनी दूरी बनाए हुए हैं जिसकी वजह से दुकानदारों को तो घाटा हो ही रहा है साथ ही ठेकेदारों की वजह से चैती मेला पूरी तरह चौपट हो गया है जिसमें कुल मिलाकर कहा जाए कि ठेकेदारों की पौ बारह हो गई है।
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