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काशीपुर: डॉक्टरों ने किया ब्रेन ट्यूमर का सफल ऑपरेशन - kashipur news

ब्रेन ट्यूमर के मरीजों को इलाज के लिए दिल्ली या कोई भी अन्य राज्यों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. ब्रेन ट्यूमर का इलाज अब काशीपुर में ही किया जा रहा है.

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ब्रेन ट्यूमर का सफल ऑपरेशन
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Published : Jan 15, 2021, 11:12 AM IST

काशीपुर: अब ब्रेन ट्यूमर के मरीजों को इलाज के लिए दिल्ली या कोई भी अन्य राज्यों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. ब्रेन ट्यूमर का इलाज अब काशीपुर में ही होने जा रहा है. बता दें कि, काशीपुर के रहने वाले और दिल्ली के नामी गिरामी हॉस्पिटल में कार्य कर चुके डॉ. पंकज डाबर ने एक प्रेस वार्ता का आयोजन कर बताया कि बीते दिनों बाजपुर के रहने वाले और पिछले 6 माह से ब्रेन ट्यूमर के मरीज का उनके द्वारा सफल ऑपरेशन किया गया है.

मुरादाबाद रोड स्थित केबीआर हॉस्पिटल के डॉ. पंकज डाबर स्पाइन एंड न्यूरो सर्जरी विभाग के निर्देशक ने बताया कि हाल ही में बाजपुर निवासी मरीज जो कि विगत 6 महीने से ब्रेन ट्यूमर केी समस्या से जूझ रहे थे और उनकी बीमारी का पता भी नहीं चल रहा था. मरीज के शरीर के दायीं तरफ सुन्नपन था और सुन्नपन धीरे-धीरे बढ़ रहा था. मरीज सही तरह से चल फिर नहीं पा रहा था. युवक का एक कंधा काफी कमजोर हो गया था. कंधे में कोई हरकत नहीं थी. साथ ही युवक को खाने-पीने में भी दिक्कत हो रही थी. डॉ. डाबर ने मरीज की विस्तृत जांच करने के बाद पता चला कि युवक के ब्रेन स्टेम में एक बड़ा ट्यूमर है.

जिसने लगभग ब्रेन स्टेम का 80 प्रतिशत भाग प्रभावित किया हुआ है. उन्होंने कहा कि ब्रेन स्टेम दिमाग का बहुत ही महत्वपूर्ण व संवेदनशील अंग है. जोकि दिमाग की आधार स्तंभ बनाता है. दिमाग को सर्वाइकल स्पाइन कॉर्ड से जोड़ता है. यह आंखों का मूवमेंट, कानों से सुनने की क्षमता, शरीर का संतुलन और चेहरे की मांसपेशियों का मूवमेंट और निगलने की कार्यप्रणाली को संतुलित करता है.

डॉ. पंकज डाबर ने बताया कि ब्रेन स्टेम का अति संवेदनशील अंग होने के कारण इसकी सर्जरी बहुत ही जटिल व खतरनाक हो सकती है और इसमें मरीज को पैरालाइसिस, कोमा में लंबे समय में वेंटीलेटर पर जाने की संभावना ही नहीं बल्कि ऑपरेशन के दौरान अचानक हृदयगति रुकने से अचानक मृत्यु का खतरा रहता है.

पढ़ें: आज राष्ट्रपति भवन से शुरू होगा राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा जुटाने का अभियान

डॉक्टरों ने मरीज की सफलतापूर्वक सर्जरी की और उसको सर्जरी के उपरांत वेंटिलेटर पर भी नहीं रखना पड़ा. निगलने की क्षमता असंतुलित होने के चलते मरीज की छाती में निमोनिया उत्पन्न हो रहा था. जिसको पहले गर्दन में कृत्रिम रास्ता बनाकर काबू पाया जा सका और सर्जरी के उपरांत उसकी निगलने की क्षमता में सुधार आने के चलते वह कृत्रिम रास्ता भी बंद कर दिया गया. सर्जरी के उपरांत मरीज को न्यूरो आईसीयू में स्थांतरित किया गया. हॉस्पिटल के निदेशक डॉ अर्मेंद्र सिंह ने बताया की मरीज में सर्जरी के तुरंत बाद ही स्वास्थ्य लाभ दिखने लगा. मरीज तीसरे ही दिन चलने फिरने लगा.

काशीपुर: अब ब्रेन ट्यूमर के मरीजों को इलाज के लिए दिल्ली या कोई भी अन्य राज्यों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. ब्रेन ट्यूमर का इलाज अब काशीपुर में ही होने जा रहा है. बता दें कि, काशीपुर के रहने वाले और दिल्ली के नामी गिरामी हॉस्पिटल में कार्य कर चुके डॉ. पंकज डाबर ने एक प्रेस वार्ता का आयोजन कर बताया कि बीते दिनों बाजपुर के रहने वाले और पिछले 6 माह से ब्रेन ट्यूमर के मरीज का उनके द्वारा सफल ऑपरेशन किया गया है.

मुरादाबाद रोड स्थित केबीआर हॉस्पिटल के डॉ. पंकज डाबर स्पाइन एंड न्यूरो सर्जरी विभाग के निर्देशक ने बताया कि हाल ही में बाजपुर निवासी मरीज जो कि विगत 6 महीने से ब्रेन ट्यूमर केी समस्या से जूझ रहे थे और उनकी बीमारी का पता भी नहीं चल रहा था. मरीज के शरीर के दायीं तरफ सुन्नपन था और सुन्नपन धीरे-धीरे बढ़ रहा था. मरीज सही तरह से चल फिर नहीं पा रहा था. युवक का एक कंधा काफी कमजोर हो गया था. कंधे में कोई हरकत नहीं थी. साथ ही युवक को खाने-पीने में भी दिक्कत हो रही थी. डॉ. डाबर ने मरीज की विस्तृत जांच करने के बाद पता चला कि युवक के ब्रेन स्टेम में एक बड़ा ट्यूमर है.

जिसने लगभग ब्रेन स्टेम का 80 प्रतिशत भाग प्रभावित किया हुआ है. उन्होंने कहा कि ब्रेन स्टेम दिमाग का बहुत ही महत्वपूर्ण व संवेदनशील अंग है. जोकि दिमाग की आधार स्तंभ बनाता है. दिमाग को सर्वाइकल स्पाइन कॉर्ड से जोड़ता है. यह आंखों का मूवमेंट, कानों से सुनने की क्षमता, शरीर का संतुलन और चेहरे की मांसपेशियों का मूवमेंट और निगलने की कार्यप्रणाली को संतुलित करता है.

डॉ. पंकज डाबर ने बताया कि ब्रेन स्टेम का अति संवेदनशील अंग होने के कारण इसकी सर्जरी बहुत ही जटिल व खतरनाक हो सकती है और इसमें मरीज को पैरालाइसिस, कोमा में लंबे समय में वेंटीलेटर पर जाने की संभावना ही नहीं बल्कि ऑपरेशन के दौरान अचानक हृदयगति रुकने से अचानक मृत्यु का खतरा रहता है.

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डॉक्टरों ने मरीज की सफलतापूर्वक सर्जरी की और उसको सर्जरी के उपरांत वेंटिलेटर पर भी नहीं रखना पड़ा. निगलने की क्षमता असंतुलित होने के चलते मरीज की छाती में निमोनिया उत्पन्न हो रहा था. जिसको पहले गर्दन में कृत्रिम रास्ता बनाकर काबू पाया जा सका और सर्जरी के उपरांत उसकी निगलने की क्षमता में सुधार आने के चलते वह कृत्रिम रास्ता भी बंद कर दिया गया. सर्जरी के उपरांत मरीज को न्यूरो आईसीयू में स्थांतरित किया गया. हॉस्पिटल के निदेशक डॉ अर्मेंद्र सिंह ने बताया की मरीज में सर्जरी के तुरंत बाद ही स्वास्थ्य लाभ दिखने लगा. मरीज तीसरे ही दिन चलने फिरने लगा.

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