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सावन के पहले सोमवार पर मंदिरों में उमड़ी भोले भक्‍तों की भीड़, मांगी मन्नतें

पवित्र सावन महीने के पहले सोमवार को उत्तराखंड के विभिन्न मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. जहां पर शिवभक्तों और कांवड़ियों ने शिवलिंग का जलाभिषेक किया. साथ ही सुख-समृद्धि की कामना की.

Sawan
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Published : Jul 22, 2019, 5:31 PM IST

Updated : Jul 22, 2019, 9:05 PM IST

हल्द्वानी/कालाढुंगी/काशीपुर/मसूरी/दिनेशपुर: सावन महीने के पहले सोमवार को प्रदेश के विभिन्न मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी रही. शिवालयों में श्रद्धालुओं ने हर-हर महादेव के जयघोष के साथ जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना की. इस दौरान मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. श्रद्धालुओं ने भगवान शिव को गंगाजल, दूध, दही से जलाभिषेक कर बेलपत्र, चावल और पुष्प से पूजा-अर्चना की. वहीं शिव मंदिरों को भव्य तरीके तरीके से सजाया गया.

उत्तराखंड में सावन के पहले सोमवार को विभिन्न मंदिरों में की गई पूजा-अर्चना.

हल्द्वानीः शिव मंदिर के अलावा अष्टभुजा महालक्ष्मी मंदिर में उमड़ी भीड़
सावन के पहले सोमवार पर कुमाऊं के सबसे बड़े मंदिर अष्टभुजा महालक्ष्मी मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. हल्द्वानी के पिपलेश्वर मंदिर, अवंतिका कुंज शक्तिपीठ मंदिर में बम-बम भोले के जयकारे के साथ जलाभिषेक किया गया.

पिपलेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालु जलाभिषेक के साथ महालक्ष्मी की भी पूजा कर परिवार की सुख शांति की कामना की. महालक्ष्मी मंदिर के महामंडलेश्वर सोमेश्वर महाराज का कहना है कि सावन के पहले सोमवार को भगवान शिव को रुद्राभिषेक करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख शांति प्राप्त होती है.

कालाढुंगीः ऋषि-मुनियों की तपस्थली मोटेश्वर महादेव मंदिर में उमड़े श्रद्धालु
वन आरक्षित क्षेत्र बरहेनी रेंज के घने जंगलों के बीच बसे मोटेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही. माना जाता है कि यहां पर भगवान भोलेनाथ का विशालकाय रूप विराजमान है. मोटेश्वर महादेव मंदिर को तपोवन भूमि के नाम से भी जाना जाता है. साथ ही इस भूमि को ऋषि-मुनियों की तपस्थली और कर्मभूमि भी मानी जाती है.

इस मंदिर में शिवलिंग में कई आकृतियां उभरी हुई है. जहां पर शिवलिंग काफी बड़ा है. श्रद्धालुओं का कहना है कि ये मंदिर काफी प्राचीन है. यहां भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. विशालकाय शिवलिंग के रूप मे विराजमान भगवान शिव का बड़ा स्वरूप अभी तक उन्होंने कभी नहीं देखा है.

काशीपुरः शिवालयों में शिव भक्तों की लंबी कतारें
काशीपुर के विभिन्न शिवालयों में शिव भक्तों का सुबह से ही तांता लगा रहा. लंबी-लंबी लाइनों में लगकर शिवभक्त पूजा-अर्चना करने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते दिखाई दिए.

शहर के मोटेश्वर महादेव मंदिर में लंबी कतार में लगकर शिव भक्त हाथों में बेलपत्र और दूध समेत अन्य पूजा की सामग्री लेकर अपने बारी का इंतजार करते नजर आए. इसके अलावा गंगे बाबा मंदिर, नागनाथ मंदिर और बांसियों वाला के शिव मंदिर में भी शिव भक्तों का सैलाब उमड़ा रहा.

मसूरीः पहाड़ों की रानी में भी शिव का हुआ अभिषेक
पहाड़ों की रानी मसूरी में भी पवित्र श्रावण मास के पहले सोमवार को मंदिरों में भक्तों की भारी-भीड़ देखने को मिली. इस दौरान लक्ष्मी नारायण मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर और शिव मंदिर में भक्तों ने विशेष पूजा-अर्चना की. श्रावण मास से ही भगवान शिव की कृपा के लिए भक्त उपवास रखते हैं. माना जाता है कि व्रत रखने से भगवान शिव की कृपा बनी रहती है.

दिनेशपुरः बंगाली महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में शिव मंदिरों में पूजा-अर्चना की
दिनेशपुर के रामबाग स्थित शिव मंदिर में सुबह से ही शिव भक्तों का तांता लगा रहा. इस दौरान श्रद्धालुओं ने शिवलिंग पर जलाभिषेक कर बेलपत्र, धतूरा, दूध, दही आदि अर्पित किया. बंगाली बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण करीब 70 फीसदी बंगाली महिलाएं पांरपरिक वेशभूषा में शिव मंदिर पहुंचे. जहां पर महिलाओं समेत अन्य भक्तों ने शिवलिंग पर जलाभिषेक किया.

यहां हर साल शिवरात्रि के दिन हरिद्वार से गंगाजल लेकर आने वाले कांवड़ियों के अलावा क्षेत्र भर के श्रद्धालु मंदिर में जलाभिषेक करते हैं. कहा जाता है कि सावन महीने में पड़ने वाले चारों सोमवार को पूजा-पाठ और रुद्राभिषेक से विशेष लाभ मिलता है. इसके अलावा नागपंचमी पर कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए सावन महीना सबसे उत्तम माना जाता है.

हल्द्वानी/कालाढुंगी/काशीपुर/मसूरी/दिनेशपुर: सावन महीने के पहले सोमवार को प्रदेश के विभिन्न मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी रही. शिवालयों में श्रद्धालुओं ने हर-हर महादेव के जयघोष के साथ जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना की. इस दौरान मंदिरों में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. श्रद्धालुओं ने भगवान शिव को गंगाजल, दूध, दही से जलाभिषेक कर बेलपत्र, चावल और पुष्प से पूजा-अर्चना की. वहीं शिव मंदिरों को भव्य तरीके तरीके से सजाया गया.

उत्तराखंड में सावन के पहले सोमवार को विभिन्न मंदिरों में की गई पूजा-अर्चना.

हल्द्वानीः शिव मंदिर के अलावा अष्टभुजा महालक्ष्मी मंदिर में उमड़ी भीड़
सावन के पहले सोमवार पर कुमाऊं के सबसे बड़े मंदिर अष्टभुजा महालक्ष्मी मंदिर में सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. हल्द्वानी के पिपलेश्वर मंदिर, अवंतिका कुंज शक्तिपीठ मंदिर में बम-बम भोले के जयकारे के साथ जलाभिषेक किया गया.

पिपलेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालु जलाभिषेक के साथ महालक्ष्मी की भी पूजा कर परिवार की सुख शांति की कामना की. महालक्ष्मी मंदिर के महामंडलेश्वर सोमेश्वर महाराज का कहना है कि सावन के पहले सोमवार को भगवान शिव को रुद्राभिषेक करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख शांति प्राप्त होती है.

कालाढुंगीः ऋषि-मुनियों की तपस्थली मोटेश्वर महादेव मंदिर में उमड़े श्रद्धालु
वन आरक्षित क्षेत्र बरहेनी रेंज के घने जंगलों के बीच बसे मोटेश्वर महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही. माना जाता है कि यहां पर भगवान भोलेनाथ का विशालकाय रूप विराजमान है. मोटेश्वर महादेव मंदिर को तपोवन भूमि के नाम से भी जाना जाता है. साथ ही इस भूमि को ऋषि-मुनियों की तपस्थली और कर्मभूमि भी मानी जाती है.

इस मंदिर में शिवलिंग में कई आकृतियां उभरी हुई है. जहां पर शिवलिंग काफी बड़ा है. श्रद्धालुओं का कहना है कि ये मंदिर काफी प्राचीन है. यहां भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. विशालकाय शिवलिंग के रूप मे विराजमान भगवान शिव का बड़ा स्वरूप अभी तक उन्होंने कभी नहीं देखा है.

काशीपुरः शिवालयों में शिव भक्तों की लंबी कतारें
काशीपुर के विभिन्न शिवालयों में शिव भक्तों का सुबह से ही तांता लगा रहा. लंबी-लंबी लाइनों में लगकर शिवभक्त पूजा-अर्चना करने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते दिखाई दिए.

शहर के मोटेश्वर महादेव मंदिर में लंबी कतार में लगकर शिव भक्त हाथों में बेलपत्र और दूध समेत अन्य पूजा की सामग्री लेकर अपने बारी का इंतजार करते नजर आए. इसके अलावा गंगे बाबा मंदिर, नागनाथ मंदिर और बांसियों वाला के शिव मंदिर में भी शिव भक्तों का सैलाब उमड़ा रहा.

मसूरीः पहाड़ों की रानी में भी शिव का हुआ अभिषेक
पहाड़ों की रानी मसूरी में भी पवित्र श्रावण मास के पहले सोमवार को मंदिरों में भक्तों की भारी-भीड़ देखने को मिली. इस दौरान लक्ष्मी नारायण मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर और शिव मंदिर में भक्तों ने विशेष पूजा-अर्चना की. श्रावण मास से ही भगवान शिव की कृपा के लिए भक्त उपवास रखते हैं. माना जाता है कि व्रत रखने से भगवान शिव की कृपा बनी रहती है.

दिनेशपुरः बंगाली महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में शिव मंदिरों में पूजा-अर्चना की
दिनेशपुर के रामबाग स्थित शिव मंदिर में सुबह से ही शिव भक्तों का तांता लगा रहा. इस दौरान श्रद्धालुओं ने शिवलिंग पर जलाभिषेक कर बेलपत्र, धतूरा, दूध, दही आदि अर्पित किया. बंगाली बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण करीब 70 फीसदी बंगाली महिलाएं पांरपरिक वेशभूषा में शिव मंदिर पहुंचे. जहां पर महिलाओं समेत अन्य भक्तों ने शिवलिंग पर जलाभिषेक किया.

यहां हर साल शिवरात्रि के दिन हरिद्वार से गंगाजल लेकर आने वाले कांवड़ियों के अलावा क्षेत्र भर के श्रद्धालु मंदिर में जलाभिषेक करते हैं. कहा जाता है कि सावन महीने में पड़ने वाले चारों सोमवार को पूजा-पाठ और रुद्राभिषेक से विशेष लाभ मिलता है. इसके अलावा नागपंचमी पर कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए सावन महीना सबसे उत्तम माना जाता है.

Intro:आबादी से कोसो दूर वन आरक्षित छेत्र बरहैनी रेंज के घने जंगलों के बीच बसा मोटेश्वर महादेव मंदिर श्रद्धालुओं का आस्था का केंद्र बना हुआ है।
मान्यता के अनुसार भगवान भोलेनाथ यहां विशालकाय रूप मे विराजमान है । मोटेश्वर महादेव का शिवलिंग भारत के सभी शिवलिंगों से आकार मैं बड़ा व विस्तृत है।Body:आबादी से कोसो दूर घने जंगल मे बसा मोटेश्वर महादेव मंदिर तपोवन भूमि के नाम से भी जाना जाता है , मान्यता के अनुसार मोटेश्वर महादेव की भूमि ऋषि मुनियों की तपस्थली व कर्मभूमि रही है जिसके चलते यहां का नाम तपोवन भूमि पड़ा। वैसे तो वर्ष भर मंदिर परिसर मैं भक्तो का तांता लगा रहता है पर श्रावण मास भोलेनाथ की पूजा अर्चना के लिए विशेष माना जाता है। श्रद्धालुओं के अनुसार इतना विशालकाय शिवलिंग पूरे भारतवर्ष मैं नही है जिसकी आकृति अपने आप मैं विशेष मानी जाती है । शिवलिंग की आकृति मैं कई आकृतियां उभरी हुई है जो अपने आप मैं विशेष है।
घने जंगल मे मंदिर होने से लोगो का मानना है कि जंगल के राजा शेर और हाथी और अन्य जानवर भी मोटेश्वर महादेव मंदिर मे अपनी हाजिरी लगाते है। मोटेश्वर महादेव को श्रद्धालु भांग, धतूरा, बेल पत्र , दुब, दूध,शहद, घी ,आंख, ढाख, तिल, ओर जलाभिषेक कर पूजा अर्चना करते है। भक्तो ने बताया कि मोटेश्वर महादेव मंदिर प्राचीन मंदिर है और यहाँ लोगो की मनोकामनाये पूर्ण होती है जिसके चलते आये दिन श्रद्धालुओं का इजाफा होता है। मोटेश्वर महादेव के विशालकाय शिवलिंग मैं अनेको अकृत्या उभरी हुई जो अपने आप मैं विशेष माना जाता है शिवलिंग मैं लगभग सभी देवी देवताओं की आकृतीया उभरी हुई है । श्रवण मास मैं कावड़ियों भी भारी मात्रा मे आकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते है ।Conclusion:श्रद्धालुओं ने बताया कि घने जंगल मे मन्दिर होने से भी हर दिन यहां भक्तो का तांता लगा रहता है और भगवान भोलेनाथ सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते है। विशालकाय शिवलिंग के रूप मे विराजमान भगवान शिव का इतना बड़ा स्वरूप अभी तक कही नही देखा गया है। मोटेश्वर महादेव के दर्शनों को भक्त यहां देश के कोने कोने से आते है।
Last Updated : Jul 22, 2019, 9:05 PM IST
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