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9वीं के छात्र चंदन का हुनर, गत्तों को दे रहा खिलौने का रूप

उधमसिंह नगर के किच्छा तहसील के शांतिपुरी गांव के चंदन महज कुछ घंटों में गत्तों को खिलौने का रूप दे देते हैं. इसके लिए चंदन किसी मशीन की मदद नहीं लेते, बल्कि अपने हाथों से ही गत्तों को खिलौनों में ढाल देते हैं.

rudrapur hindi latest news
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Published : Jun 9, 2021, 4:03 PM IST

रुद्रपुर: नन्हे-मुन्ने बच्चों के खिलौने उद्योग के लिए एक बड़ा बाजार है. इसका दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. कोई वेस्ट मैटेरियल तो कोई गत्ते से खिलौने बना रहा है. ऐसा ही हुनर किच्छा तहसील में 9वीं के छात्र के पास दिखा है. 9वीं में पढ़ने वाले 16 साल के चंदन कागज के गत्ते और टेप के सहारे चंद घंटे में खिलौने तैयार कर लेते हैं. चंदन के बनाए गए खिलौने देखने में हूबहू बाजार जैसे लगते हैं.

चंदन का हुनर देख लोग भी हैरान हैं. 16 साल के चंदन अब तक कागज के गत्ते से कार, क्रेन, ट्रक, रोबोट, ट्रैक्टर, जेसीबी और बस सहित कई खिलौने बना चुके हैं. ये खिलौने रंग-बिरंगी अभिव्यक्तियों का एक अनूठा रूप हैं और स्थानीय लोगों का कहना है कि चंदन 8 साल की उम्र से ही गत्तों से खिलौने तैयार कर रहे हैं. चंदन अपने तैयार खिलौने को 50 से 100 रुपए में बाजार में बेचकर अच्छी आमदनी भी कमा रहे हैं.

चंदन गत्तों को दे रहे खिलौने का आकार.

ईटीवी भारत से बातचीत में चंदन कहते हैं कि पहले वह खिलौने का ड्रॉइंग बनाते हैं और फिर गत्ते पर उसे मूर्तरूप देते हैं. चंदन भविष्य में इंजीनियर बनना चाहते हैं और अपनी सोच को बखूबी अंजाम दे रहे हैं.

पढ़ें: कैबिनेट: अनाथ बच्चों की जिम्मेदारी लेगी तीरथ सरकार, बदरीनाथ में 100 करोड़ से होंगे निर्माण कार्य

मुफलिसी में जिंदगी काट रहे चंदन के पिता शिवकुमार मजदूरी कर घर चलाते हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में शिवकुमार कहते हैं कि 'बचपन में चंदन खिलौने देखकर घर लाने की जिद करता था. लेकिन पैसों की कमी के कारण चंदन के अरमान पूरे नहीं हो सके. इस बात का मलाल चंदन के मन में बैठ गया और धीरे-धीरे चंदन खिलौना बनाने के बारे में सोचने लगा. 8 वर्ष की आयु में ही कागज और गत्तों से चंदन ने खिलौना बनाना शुरू किया'.

चंदन के पिता कहते हैं कि उसने धीरे-धीरे कई तरह के खिलौने बनाए. आसपास के लोगों को पता चला तो वे भी देखने और उन्हें खरीदने पहुंच गए. चंदन घर में रखे कागज के गत्ते ओर टेप से खिलौने चंद घंटों में तैयार कर देते हैं.

रुद्रपुर: नन्हे-मुन्ने बच्चों के खिलौने उद्योग के लिए एक बड़ा बाजार है. इसका दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है. कोई वेस्ट मैटेरियल तो कोई गत्ते से खिलौने बना रहा है. ऐसा ही हुनर किच्छा तहसील में 9वीं के छात्र के पास दिखा है. 9वीं में पढ़ने वाले 16 साल के चंदन कागज के गत्ते और टेप के सहारे चंद घंटे में खिलौने तैयार कर लेते हैं. चंदन के बनाए गए खिलौने देखने में हूबहू बाजार जैसे लगते हैं.

चंदन का हुनर देख लोग भी हैरान हैं. 16 साल के चंदन अब तक कागज के गत्ते से कार, क्रेन, ट्रक, रोबोट, ट्रैक्टर, जेसीबी और बस सहित कई खिलौने बना चुके हैं. ये खिलौने रंग-बिरंगी अभिव्यक्तियों का एक अनूठा रूप हैं और स्थानीय लोगों का कहना है कि चंदन 8 साल की उम्र से ही गत्तों से खिलौने तैयार कर रहे हैं. चंदन अपने तैयार खिलौने को 50 से 100 रुपए में बाजार में बेचकर अच्छी आमदनी भी कमा रहे हैं.

चंदन गत्तों को दे रहे खिलौने का आकार.

ईटीवी भारत से बातचीत में चंदन कहते हैं कि पहले वह खिलौने का ड्रॉइंग बनाते हैं और फिर गत्ते पर उसे मूर्तरूप देते हैं. चंदन भविष्य में इंजीनियर बनना चाहते हैं और अपनी सोच को बखूबी अंजाम दे रहे हैं.

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मुफलिसी में जिंदगी काट रहे चंदन के पिता शिवकुमार मजदूरी कर घर चलाते हैं. ईटीवी भारत से बातचीत में शिवकुमार कहते हैं कि 'बचपन में चंदन खिलौने देखकर घर लाने की जिद करता था. लेकिन पैसों की कमी के कारण चंदन के अरमान पूरे नहीं हो सके. इस बात का मलाल चंदन के मन में बैठ गया और धीरे-धीरे चंदन खिलौना बनाने के बारे में सोचने लगा. 8 वर्ष की आयु में ही कागज और गत्तों से चंदन ने खिलौना बनाना शुरू किया'.

चंदन के पिता कहते हैं कि उसने धीरे-धीरे कई तरह के खिलौने बनाए. आसपास के लोगों को पता चला तो वे भी देखने और उन्हें खरीदने पहुंच गए. चंदन घर में रखे कागज के गत्ते ओर टेप से खिलौने चंद घंटों में तैयार कर देते हैं.

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