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हाथों में लाठी थामे जब निकलती हैं कच्ची गैंग की ये 'मर्दानियां', काफूर हो जाता है नशा - उत्तराखंड न्यूज

कुछ महीने पहले तक काशीपुर के टांडा उज्जैन क्षेत्र में कच्ची शराब का काला कारोबार चरम पर था. इससे न सिर्फ इलाके के युवाओं का जीवन बर्बाद हो रहा था, बल्कि गांव की महिलाओं और लड़कियों का भी घर से निकलना मुश्किल हो गया था.

कच्ची गैंग
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Published : Jun 26, 2019, 7:54 PM IST

Updated : Jun 28, 2019, 6:58 PM IST

काशीपुर: पुलिस और आबकारी विभाग कच्ची और अवैध शराब के काले कारोबार पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रहा है. जिस वजह से शहर में अवैध शराब का कारोबार खूब फल-फूल रहा है. वहीं कच्ची शराब की वजह से कई लोगों की जान भी जा चुकी है. ऐसे में टांडा उज्जैन की कुछ महिलाओं ने अवैध शराब के खिलाफ अभियान शुरू किया. 'कच्ची गैंग' के नाम से बने महिलाओं के ग्रुप ने शहर से शराब के अवैध व्यापार को खत्म करने का निर्णय लिया है.

पढ़ें- शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के बेटे की सड़क हादसे में मौत, शादी समारोह में शामिल होने जा रहे थे UP

कच्ची और अवैध शराब के खिलाफ कच्ची गैंग ने जो अभियान चलाया है उसका असर भी दिखने लगा है. इस गैंग के खौफ से लोगों ने या तो अवैध शराब का काम छोड़ दिया है या फिर वो भाग खड़े हुए हैं. इनता ही नहीं कच्ची गैंग की महिलाएं नशे के प्रति लोगों को जागरूक भी कर रही हैं. इनकी वजह से क्षेत्र के दर्जनों युवा नशीले पदार्थों का त्याग करके मुख्य धारा में जुड़ गए हैं.

अवैध शराब कारोबारी भी खाते हैं 'कच्ची गैंग' से खौफ

कुछ महीने पहले तक काशीपुर के टांडा उज्जैन क्षेत्र में कच्ची शराब का काला कारोबार चरम पर था. इससे न सिर्फ इलाके के युवाओं का जीवन बर्बाद हो रहा था, बल्कि गांव की महिलाओं और लड़कियों का भी घर से निकलना मुश्किल हो गया था.

पढ़ें- नारी निकेतन मामले में HC सख्त, विजिलेंस को 3 सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने के दिए आदेश

कच्ची गैंग की लीडर गीता रावल ने बताया कि जब बात बर्दाश्त से बाहर हो गई तो यहां की महिलाओं ने इसके खिलाफ जंग लड़ने की ठानी. इसके लिए उन्होंने कच्ची गैंग के नाम से ग्रुप बनाया. गीता रावल के मुताबिक शाम होते ही कच्ची गैंग की महिलाएं हाथों में लाठी-डंडे लेकर निकल पड़ती हैं. इस दौरान जहां भी कच्ची शराब का काला कारोबार चलता है उनकी तलाश करके नष्ट करती हैं. इस दौरान यदि कोई नशे में मिल जाता है तो उसकी भी तब तक जमकर क्लास ली जाती है जब तक उसका नशा काफूर नहीं हो जाता.

kacchi gang
कच्ची गैंग

ये साहसी महिलाएं सिर्फ एक डंडे के ज़ोर पर कच्ची शराब बेचने वालों से भिड़ जाती हैं. इस गैंग ने न कच्ची शराब के कारोबार की कमर तोड़ दी, बल्कि कई लोगों को नशीले पदार्थों का त्याग कराके उन्हें मुख्यधारा से भी जोड़ा. ये गैंग अब तक हजारों लीटर शराब के साथ ही इस व्यवसाय को अंजाम देने वालों को कई बार पुलिस के हवाले कर चुकी है. इस गैंग से जुड़ी महिलाएं बताती है उनके इस अभियान को पुलिस का सहयोग नहीं मिलता है.

काशीपुर: पुलिस और आबकारी विभाग कच्ची और अवैध शराब के काले कारोबार पर लगाम लगाने में नाकाम साबित हो रहा है. जिस वजह से शहर में अवैध शराब का कारोबार खूब फल-फूल रहा है. वहीं कच्ची शराब की वजह से कई लोगों की जान भी जा चुकी है. ऐसे में टांडा उज्जैन की कुछ महिलाओं ने अवैध शराब के खिलाफ अभियान शुरू किया. 'कच्ची गैंग' के नाम से बने महिलाओं के ग्रुप ने शहर से शराब के अवैध व्यापार को खत्म करने का निर्णय लिया है.

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कच्ची और अवैध शराब के खिलाफ कच्ची गैंग ने जो अभियान चलाया है उसका असर भी दिखने लगा है. इस गैंग के खौफ से लोगों ने या तो अवैध शराब का काम छोड़ दिया है या फिर वो भाग खड़े हुए हैं. इनता ही नहीं कच्ची गैंग की महिलाएं नशे के प्रति लोगों को जागरूक भी कर रही हैं. इनकी वजह से क्षेत्र के दर्जनों युवा नशीले पदार्थों का त्याग करके मुख्य धारा में जुड़ गए हैं.

अवैध शराब कारोबारी भी खाते हैं 'कच्ची गैंग' से खौफ

कुछ महीने पहले तक काशीपुर के टांडा उज्जैन क्षेत्र में कच्ची शराब का काला कारोबार चरम पर था. इससे न सिर्फ इलाके के युवाओं का जीवन बर्बाद हो रहा था, बल्कि गांव की महिलाओं और लड़कियों का भी घर से निकलना मुश्किल हो गया था.

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कच्ची गैंग की लीडर गीता रावल ने बताया कि जब बात बर्दाश्त से बाहर हो गई तो यहां की महिलाओं ने इसके खिलाफ जंग लड़ने की ठानी. इसके लिए उन्होंने कच्ची गैंग के नाम से ग्रुप बनाया. गीता रावल के मुताबिक शाम होते ही कच्ची गैंग की महिलाएं हाथों में लाठी-डंडे लेकर निकल पड़ती हैं. इस दौरान जहां भी कच्ची शराब का काला कारोबार चलता है उनकी तलाश करके नष्ट करती हैं. इस दौरान यदि कोई नशे में मिल जाता है तो उसकी भी तब तक जमकर क्लास ली जाती है जब तक उसका नशा काफूर नहीं हो जाता.

kacchi gang
कच्ची गैंग

ये साहसी महिलाएं सिर्फ एक डंडे के ज़ोर पर कच्ची शराब बेचने वालों से भिड़ जाती हैं. इस गैंग ने न कच्ची शराब के कारोबार की कमर तोड़ दी, बल्कि कई लोगों को नशीले पदार्थों का त्याग कराके उन्हें मुख्यधारा से भी जोड़ा. ये गैंग अब तक हजारों लीटर शराब के साथ ही इस व्यवसाय को अंजाम देने वालों को कई बार पुलिस के हवाले कर चुकी है. इस गैंग से जुड़ी महिलाएं बताती है उनके इस अभियान को पुलिस का सहयोग नहीं मिलता है.

Intro:एक्सक्लूसिव स्टोरी

Summary- काशीपुर के टांडा उज्जैन में रहने वाली अनेकों महिलाओं ने आबकारी विभाग का काम करना शुरू कर दिया है जिसके तहत क्षेत्र में धड़ल्ले से आबकारी विभाग के संरक्षण के चलते हैं बिक रही कच्ची शराब के खिलाफ इन महिलाओं ने ना केवल जंग छेड़ दिया बल्कि इस कारोबार को अपने क्षेत्र से जड़ से हारने का भी संकल्प ले लिया इसी के तहत निकल पड़ती है यह महिलाएं अपने मिशन पर। साथ ही इस गैंग को महिलाओं ने नाम दिया है कच्ची गैंग।

एंकर - कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों...! इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है काशीपुर के टांडा उज्जैन क्षेत्र की रहने वाली इन महिलाओ ने। क्षेत्र में बिकने वाली कच्ची शराब से बर्बाद होते परिवारों को बचाने के लिए इन्होने प्रण लेकर नशे के इस व्यापार को खत्म करने का निर्णय लिया। और बना डाला " कच्ची गैंग" ।
जी हाँ , एक ऐसा गैंग जिसके नाम से ही क्षेत्र के कच्ची शराब का व्यवसाय करने वाले या तो अपने व्यवसाय को ही छोड़ बैठे है या फिर पलायन को मजबूर हो गए है। आज इसी कच्ची गैंग के नशे के खिलाफ चल रही जंग के कारण नशे में बर्बाद हो रहे दर्जनों युवा नशे को त्याग कर समाज की मुख्य धारा से जुड़ने लगे है।

Body:बी ओ - मात्र कुछ माह पूर्व ही की बात है काशीपुर के टांडा उज्जैन क्षेत्र में कच्ची शराब का व्यवसाय चरम पर था। हालत ये थे कि जहां कई घर इस नशे के कारण बर्बाद हो रहे थे तो वही जगह जगह शराबियों के अड्डे बनने के कारण महिलाओं व युवतियों का घर से निकलना भी मुश्किल हो गया था। यहां कि रहने वाली इस गैंग की लीडर गीता रावल बताती है कि जब बात बर्दाश्त से बाहर हो गई तो यहां की महिलाओं ने इस नशे के खिलाफ जंग लड़ने की ठान ली और बना डाला कच्ची गैंग।
इस गैंग में शामिल लगभग 50 महिलाएं शाम होते ही हाथों में डंडे लेकर निकल पड़ती है क्षेत्र में । इस दौरान झाड़ियों से लेकर जमीन तक के अंदर तक छुपा कर रखी गई कच्ची शराब को ढूंढ ढूंढ कर नष्ट कर दिया जाता है। इस दौरान यदि कोई नशे में मिल जाता है तो उसकी भी तब तक जमकर क्लास ली जाती है जब तक उसका नशा काफूर नही हो जाता। ये साहसी महिलाएं सिर्फ एक डंडे के ज़ोर पर कच्ची शराब बेचने वालों से भिड़ जाती हैं। ये औरतें बहुत बार आमने-सामने की लड़ाई में 'इन शराब माफियाओ से उलझीं है। फिर भी न इनके हौसले पस्त होते हैं, न ही कच्ची शराब के खिलाफ जंग में इनकी श्रद्धा में कमी आती है।

बाईट - गीता रावल ( गैंग लीडर )

बी ओ- इस गैंग ने जहां अपने इस अभियान के दौरान क्षेत्र में कच्ची शराब का व्यवसाय करने वालो को खदेड़ कर रख दिया है तो वही कई लोग इनके कारण शराब की लत छोड़ कर मुख्य धारा से जुड़ चुके है। ये गैंग अब तक हजारों लीटर शराब के साथ ही इस व्यवसाय को अंजाम देने वालो को कई बार पुलिस के हवाले कर चुका है।

बाईट - जानकी देवी
बाईट - लता
बाईट - गुरविंदर चंडोक ( क्षेत्रीय पार्षद )Conclusion:एफ बी ओ - आज ये कच्ची गैंग क्षेत्र के लोगों व महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनता जा रहा है। परंतु इस गैंग का एक दर्द भी है कि इस अभियान में इनको पुलिस का कोई भी सहयोग नही मिलता। आखिर सवाल ये है कि जो कार्य पुलिस को करना चाहिए वो इन महिलाओं को क्यों करना पड़ रहा है। फिलहाल इस गैंग के ख़ौफ़ के कारण जहां ये नशे का व्यवसाय समाप्ति की ओर है तो वही क्षेत्र के लोग फिर से खुशहाल जिंदगी की ओर लौटने लगे है।
Last Updated : Jun 28, 2019, 6:58 PM IST
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