काशीपुरः ऊधमसिंह नगर के काशीपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा विधायक हरभजन सिंह चीमा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूर्व विधायक पर छवि को धूमिल करने का आरोप लगाया है. विधायक चीमा ने कहा कि इसका सुबूत है कि पूर्व विधायक द्वारा हाईकोर्ट में मेरे खिलाफ दायर याचिका को कोर्ट ने निरस्त कर दिया है. उन्होंने कहा कि आखिर अंत में जीत सच्चाई की होती है.
मंगलवार को रामनगर रोड स्थित अपने कार्यालय में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में विधायक हरभजन सिंह चीमा ने कहा कि पूर्व विधायक राजीव अग्रवाल और भाजपा नेता जेएस नरूला द्वारा मेरी छवि धूमिल करने के लिए अनर्गल हथकंडे अपनाए जा रहे हैं. मेरे खिलाफ बगैर किसी कानूनी ठोस सुबूत के चुनाव याचिका दायर की. लेकिन जीत अंत में सच्चाई की हुई.
हरभजन सिंह चीमा ने अपनी ही पार्टी के राजीव अग्रवाल और जेएस नरूला पर निशाना साधते हुए कहा कि दोनों नेता अपनी पार्टी के विधायक के खिलाफ अनर्गल बयानबाजी करते हैं. विधायक चीमा ने कहा कि यदि राजीव अग्रवाल चुप भी बैठना चाहें तो जेएस नरूला उन्हें चुप नहीं बैठने देंगे. विधायक चीमा ने दोनों नेताओं पर छवि को धूमिल करने का आरोप लगाते हुए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक से शिकायत करने की बात कही है.
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ये है मामलाः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 24 सितंबर को काशीपुर से बीजेपी विधायक हरभजन सिंह चीमा की विधायकी को चुनौती देने वाली चुनाव याचिका पर सुनवाई करने के बाद खारिज कर दी थी. मामले के मुताबिक काशीपुर निवासी राजीव अग्रवाल ने चुनाव याचिका दायर कर कहा था कि साल 2017 के विधानसभा चुनाव में काशीपुर के विधायक हरभजन सिंह चीमा ने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था. उनका चीमा पर आरोप था कि चीमा की आयु आधार कार्ड और पैनकार्ड में अलग-अलग है.
यह भी कहा गया था कि हरभजन सिंह चीमा की कंपनी, चीमा पेपर मिल पर बकाया है, जिसका उल्लेख उन्होंने अपने नामांकन पत्र में नहीं किया है और जिस व्यक्ति पर बकाया होता है वह चुनाव नहीं लड़ सकता है. चीमा पर यह भी आरोप लगाया गया कि चीमा की शैक्षिक योग्यता स्नातक है लेकिन चीमा ने अपने नामांकन पत्र में हाईस्कूल लिखा है. इसके बावजूद 30 जनवरी 2017 को चीमा का नामांकन पत्र वैध माना गया. जब इसकी शिकायत उन्होंने चुनाव अधिकारी से की तो कोई कार्रवाई नहीं हुई.
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सुनवाई के दौरान चीमा के अधिवक्ता ने कहा कि साल 2017 में जो नामांकन पत्र दाखिल किया गया था, वह सही था. उसमें शैक्षिक योग्यता और उम्र, जन्मतिथि प्रमाण पत्रों के अनुरूप भरी गयी थी, जिसमें कोई हेराफेरी नहीं की गई थी. चीमा पेपर मिल पर बकाए के संबंध में उनके द्वारा कोर्ट में कहा गया कि कंपनी उनकी ही है और कंपनी के प्रति डायरेक्टर की देनदारी नहीं बनती है.