रुद्रपुर: उत्तराखंड में जहरीली शराब पीकर दर्जनों लोग मौत की नींद सो चुके हैं लेकिन प्रदेश सरकार इस मामले पर कार्रवाई करने की जगह शराब कारोबारियों को पनाह देने का काम कर रही है. जिसका नतीजा है कि उत्तराखंड में अवैध शराब का कारोबार दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है. जिसका खामियाजा आने वाले समय में प्रदेश की जनता को चुकाना पड़ सकता है. ऐसा ही खेल बाजपुर नगर पालिका चुनाव में देखने को मिल रहा है. जहां मंत्रियों के दबाव के चलते बीजेपी ने एक शराब कारोबारी पर दांव खेला है. देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...
बाजपुर नगर पालिका परिसीमन विवाद के चलते मामला हाईकोर्ट में गया था. जिसके चलते बाजपुर नगर पालिका में चुनाव नहीं हो सके थे. जिसके बाद यहां हाई कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव कराए जा रहे हैं. जिसमें कांग्रेस ने पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष गुरजीत सिंह को मैदान में उतारा है तो वहीं भाजपा ने राजकुमार पर दांव खेला है. बता दें कि उत्तराखंड के हरिद्वार जनपद में जहरीली शराब के चलते दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी. जिसके बाद प्रदेश सरकार ने अवैध शराब को बंद कराने के लिए एक मुहिम शुरू की थी लेकिन लगता है कि सरकार कि ये मुहिम कागजों तक ही सिमटकर रह गई है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि बीजेपी ने बाजपुर नगर पालिका चुनाव में शराब कारोबारी राजकुमार को मैदान में उतारा है.
भाजपा प्रत्याशी राजकुमार साल 2016 में अवैध शराब के मामले में जेल भी जा चुके हैं. इसके साथ ही राजकुमार पर बाजपुर कोतवाली में कई मुकदमे भी दर्ज हैं. वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी के निर्णय पर चुटकी लेने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं. कांग्रेस प्रत्याशी गुरजीत सिंह का कहना है कि शराब माफिया को चुनाव में उतारने के पीछे बीजेपी के किसी मंत्री की मिलीभगत है.
वहीं, जब इस मामले में उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य से पूछा गया तो उन्होंने जहरीली शराब को लेकर चलाई जा रही सरकार की मुहिम की तारीफ की. साथ ही उनसे जब शराब करोबारी को टिकट देने पर सवाल पूछा गया तो वे मीडिया को ही नसीहत देते नजर आए. यशपाल आर्य ने कहा कि मीडिया को किसी भी प्रत्याशी पर आरोप लगाने का कोई अधिकार नहीं है.
जबकि, भारतीय जनता पार्टी के इस फैसले पर स्थानीय लोग भी जमकर निशाना साध रहे हैं. लोगों का कहना है कि बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में सत्ता में आ तो गई है लेकिन पार्टी के पदाधिकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों को पलीता लगाने से पीछे नहीं हट रहे हैं. लोगों का कहना है कि शराब कारोबारियों को टिकट देकर बीजेपी उनका संरक्षण करने का काम कर रही है.
प्रदेश में जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली सरकार खुद ही नीति और नियमों से हटकर अपनी साख पर बट्टा लगाने का काम कर रही हैं. आलम ये है कि शराब माफिया को चुनावी मैदान में उतारकर पार्टी के मंत्री ही दोहरी मानसिकता का परिचय दे रहे हैं. ऐसे में अब देखने वाली बात ये ही कि प्रदेश की जनता ऐसे मंत्रियों और प्रत्याशियों को क्या जनादेश सुनाती है.