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बीजेपी ने बाजपुर पालिका चुनाव में शराब कारोबारी पर खेला दांव, गंदा है पर धंधा है ये...

बता दें कि उत्तराखंड के हरिद्वार जनपद में जहरीली शराब के चलते दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी. जिसके बाद प्रदेश सरकार ने अवैध शराब को बंद कराने के लिए एक मुहिम शुरू की थी लेकिन लगता है कि सरकार की ये मुहिम कागजों तक ही सिमटकर रह गई है.

राजनीति में सब जायज है.
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Published : Jul 3, 2019, 5:09 PM IST

Updated : Jul 3, 2019, 5:29 PM IST

रुद्रपुर: उत्तराखंड में जहरीली शराब पीकर दर्जनों लोग मौत की नींद सो चुके हैं लेकिन प्रदेश सरकार इस मामले पर कार्रवाई करने की जगह शराब कारोबारियों को पनाह देने का काम कर रही है. जिसका नतीजा है कि उत्तराखंड में अवैध शराब का कारोबार दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है. जिसका खामियाजा आने वाले समय में प्रदेश की जनता को चुकाना पड़ सकता है. ऐसा ही खेल बाजपुर नगर पालिका चुनाव में देखने को मिल रहा है. जहां मंत्रियों के दबाव के चलते बीजेपी ने एक शराब कारोबारी पर दांव खेला है. देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

राजनीति में सब जायज है.

बाजपुर नगर पालिका परिसीमन विवाद के चलते मामला हाईकोर्ट में गया था. जिसके चलते बाजपुर नगर पालिका में चुनाव नहीं हो सके थे. जिसके बाद यहां हाई कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव कराए जा रहे हैं. जिसमें कांग्रेस ने पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष गुरजीत सिंह को मैदान में उतारा है तो वहीं भाजपा ने राजकुमार पर दांव खेला है. बता दें कि उत्तराखंड के हरिद्वार जनपद में जहरीली शराब के चलते दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी. जिसके बाद प्रदेश सरकार ने अवैध शराब को बंद कराने के लिए एक मुहिम शुरू की थी लेकिन लगता है कि सरकार कि ये मुहिम कागजों तक ही सिमटकर रह गई है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि बीजेपी ने बाजपुर नगर पालिका चुनाव में शराब कारोबारी राजकुमार को मैदान में उतारा है.

भाजपा प्रत्याशी राजकुमार साल 2016 में अवैध शराब के मामले में जेल भी जा चुके हैं. इसके साथ ही राजकुमार पर बाजपुर कोतवाली में कई मुकदमे भी दर्ज हैं. वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी के निर्णय पर चुटकी लेने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं. कांग्रेस प्रत्याशी गुरजीत सिंह का कहना है कि शराब माफिया को चुनाव में उतारने के पीछे बीजेपी के किसी मंत्री की मिलीभगत है.

वहीं, जब इस मामले में उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य से पूछा गया तो उन्होंने जहरीली शराब को लेकर चलाई जा रही सरकार की मुहिम की तारीफ की. साथ ही उनसे जब शराब करोबारी को टिकट देने पर सवाल पूछा गया तो वे मीडिया को ही नसीहत देते नजर आए. यशपाल आर्य ने कहा कि मीडिया को किसी भी प्रत्याशी पर आरोप लगाने का कोई अधिकार नहीं है.

जबकि, भारतीय जनता पार्टी के इस फैसले पर स्थानीय लोग भी जमकर निशाना साध रहे हैं. लोगों का कहना है कि बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में सत्ता में आ तो गई है लेकिन पार्टी के पदाधिकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों को पलीता लगाने से पीछे नहीं हट रहे हैं. लोगों का कहना है कि शराब कारोबारियों को टिकट देकर बीजेपी उनका संरक्षण करने का काम कर रही है.

प्रदेश में जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली सरकार खुद ही नीति और नियमों से हटकर अपनी साख पर बट्टा लगाने का काम कर रही हैं. आलम ये है कि शराब माफिया को चुनावी मैदान में उतारकर पार्टी के मंत्री ही दोहरी मानसिकता का परिचय दे रहे हैं. ऐसे में अब देखने वाली बात ये ही कि प्रदेश की जनता ऐसे मंत्रियों और प्रत्याशियों को क्या जनादेश सुनाती है.

रुद्रपुर: उत्तराखंड में जहरीली शराब पीकर दर्जनों लोग मौत की नींद सो चुके हैं लेकिन प्रदेश सरकार इस मामले पर कार्रवाई करने की जगह शराब कारोबारियों को पनाह देने का काम कर रही है. जिसका नतीजा है कि उत्तराखंड में अवैध शराब का कारोबार दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है. जिसका खामियाजा आने वाले समय में प्रदेश की जनता को चुकाना पड़ सकता है. ऐसा ही खेल बाजपुर नगर पालिका चुनाव में देखने को मिल रहा है. जहां मंत्रियों के दबाव के चलते बीजेपी ने एक शराब कारोबारी पर दांव खेला है. देखिए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

राजनीति में सब जायज है.

बाजपुर नगर पालिका परिसीमन विवाद के चलते मामला हाईकोर्ट में गया था. जिसके चलते बाजपुर नगर पालिका में चुनाव नहीं हो सके थे. जिसके बाद यहां हाई कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव कराए जा रहे हैं. जिसमें कांग्रेस ने पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष गुरजीत सिंह को मैदान में उतारा है तो वहीं भाजपा ने राजकुमार पर दांव खेला है. बता दें कि उत्तराखंड के हरिद्वार जनपद में जहरीली शराब के चलते दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी. जिसके बाद प्रदेश सरकार ने अवैध शराब को बंद कराने के लिए एक मुहिम शुरू की थी लेकिन लगता है कि सरकार कि ये मुहिम कागजों तक ही सिमटकर रह गई है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि बीजेपी ने बाजपुर नगर पालिका चुनाव में शराब कारोबारी राजकुमार को मैदान में उतारा है.

भाजपा प्रत्याशी राजकुमार साल 2016 में अवैध शराब के मामले में जेल भी जा चुके हैं. इसके साथ ही राजकुमार पर बाजपुर कोतवाली में कई मुकदमे भी दर्ज हैं. वहीं, कांग्रेस के प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी के निर्णय पर चुटकी लेने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं. कांग्रेस प्रत्याशी गुरजीत सिंह का कहना है कि शराब माफिया को चुनाव में उतारने के पीछे बीजेपी के किसी मंत्री की मिलीभगत है.

वहीं, जब इस मामले में उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य से पूछा गया तो उन्होंने जहरीली शराब को लेकर चलाई जा रही सरकार की मुहिम की तारीफ की. साथ ही उनसे जब शराब करोबारी को टिकट देने पर सवाल पूछा गया तो वे मीडिया को ही नसीहत देते नजर आए. यशपाल आर्य ने कहा कि मीडिया को किसी भी प्रत्याशी पर आरोप लगाने का कोई अधिकार नहीं है.

जबकि, भारतीय जनता पार्टी के इस फैसले पर स्थानीय लोग भी जमकर निशाना साध रहे हैं. लोगों का कहना है कि बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में सत्ता में आ तो गई है लेकिन पार्टी के पदाधिकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों को पलीता लगाने से पीछे नहीं हट रहे हैं. लोगों का कहना है कि शराब कारोबारियों को टिकट देकर बीजेपी उनका संरक्षण करने का काम कर रही है.

प्रदेश में जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली सरकार खुद ही नीति और नियमों से हटकर अपनी साख पर बट्टा लगाने का काम कर रही हैं. आलम ये है कि शराब माफिया को चुनावी मैदान में उतारकर पार्टी के मंत्री ही दोहरी मानसिकता का परिचय दे रहे हैं. ऐसे में अब देखने वाली बात ये ही कि प्रदेश की जनता ऐसे मंत्रियों और प्रत्याशियों को क्या जनादेश सुनाती है.

Intro:स्लग : राजनीति में सब जायज है
रिपोर्टर : राजेन्द्र चन्द्रा
स्टेशन : काशीपुर

एंकर : उत्तराखंड में जहरीली शराब पीकर दर्जनों लोग मौत की नींद सो चुके हैं लेकिन प्रदेश सरकार इस पर कार्यवाही करने की जगह शराब कारोबारी को पनाह देने का काम कर रही है। जिसका नतीजा है उत्तराखंड में जहरीली शराब का कारोबार दिन दुगुनी और रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। जिसका खामियाजा आने वाले समय में प्रदेश की जनता को चुकाना पड़ सकता है। ऐसा ही एक खेल बाजपुर नगर पालिका चुनाव में देखने को मिल रहा है जहां मंत्रियों के दबाव के चलते भारतीय जनता पार्टी ने एक शराब कारोबारी को टिकट देकर पालिका अध्यक्ष के पद पर उतार दिया है। देखिए एक खास रिपोर्ट ...........

Body:वीओ 1 : उत्तराखंड के बाजपुर में नगर पालिका परिसीमन विवाद के चलते मामला हाईकोर्ट में गया था। जिसके चलते बाजपुर नगर पालिका में चुनाव संपन्न नहीं हो सके थे। हाई कोर्ट द्वारा चुनाव के आदेश होने के बाद चुनाव कराए जा रहे हैं। जिसमें कांग्रेस पार्टी ने पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष गुरजीत सिंह को मैदान में उतारा है तो वही भाजपा ने राजकुमार को मैदान में उतारा है। बता दें कि उत्तराखंड के हरिद्वार जनपद में जहरीली शराब के चलते दर्जनों लोगों की मौत हो गई थी। जिसके बाद प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अवैध शराब को बंद कराने के लिए एक मुहिम शुरू की थी। लेकिन यह मुहिम मात्र कागजों में ही सिमटकर रह गई है। जिसका नतीजा है कि बाजपुर नगर पालिका के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष पद के लिए राजकुमार को चुना है। भाजपा प्रत्याशी राजकुमार वर्ष 2016 में अवैध शराब के मामले में जेल भी जा चुके हैं। इसके साथ ही राजकुमार पर बाजपुर कोतवाली में कई मुकदमे भी दर्ज हैं। वही विपक्षी कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी के निर्णय पर चुटकी लेने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी गुरजीत सिंह ने कहा कि माफिया को मैदान में उतारने के पीछे भारतीय जनता पार्टी के मंत्रियों की कोई मिलीभगत भी हो सकती है। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी माफियाओं को पनाह देने का काम भी कर रही है।

बाइट : गुरजीत सिंह ............. कांग्रेस प्रत्याशी
बाइट : जगतार सिंह ............ कांग्रेस कार्यकर्ता

वीओ 2 : बाजपुर नगर पालिका चुनाव में स्थानीय लोग भी भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी पर निशाना साधने से पीछे नहीं हट रहे हैं। लोगों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में सत्ता में तो आ गई है लेकिन पार्टी के पदाधिकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों को पर पलीता लगाने से पीछे नहीं हट रहे हैं और शराब कारोबारियों को टिकट देकर उनका संरक्षण करने का काम कर रहे हैं। लोगों ने कहा कि बाजपुर नगर पालिका चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए साफ छवि के प्रत्याशी को ही चुना जाएगा और माफियाओं को चुनाव में मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

बाइट : साबिर ............ स्थानीय
बाइट : पन्ना लाल .......... स्थानीय

वीओ 3 : वही जब इस मामले में उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य से पूछा गया तो पहले तो उन्होंने प्रदेश सरकार द्वारा जहरीली शराब पर चलाई जा रही मुहिम की जमकर तारीफ की। लेकिन जब शराब कारोबारी को मैदान में उतारने की बात मंत्री जी से पूछी गई तो वह मीडिया पर ही बिफर पड़े और मीडिया को ही नसीहत देने लगे। उन्होंने यह भी कह डाला कि आपको ऐसे किसी भी प्रत्याशी पर आरोप लगाने का अधिकार नहीं है। लेकिन आप इस तस्वीर में देख सकते हैं कि किस तरह से आबकारी विभाग और पुलिस प्रशासन ने भाजपा के प्रत्याशी को पूर्व में अवैध शराब के साथ पकड़ रखा है, जो मंत्री जी के बयान को झूठा साबित करने के लिए काफी है।

बाइट : यशपाल आर्य ............. कैबिनेट मंत्री

Conclusion:एफवीओ : जहां एक तरफ प्रदेश सरकार जीरो टॉलरेंस की बात करती है तो वही प्रदेश सरकार के कुछ मंत्री सरकार की नीतियों पर पलीता लगाने से पीछे नहीं हटते हैं। आलम यह है कि माफियाओं को चुनाव मैदान में उतार कर पार्टी के मंत्री अपनी दोहरी मानसिकता का परिचय दे रहे हैं। अब देखने की बात है कि प्रदेश की जनता ऐसे मंत्रियों और प्रत्याशियों को कब तक अपने मसीहा के रूप में चुनेगी।
Last Updated : Jul 3, 2019, 5:29 PM IST
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