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मानदेय में बढ़ोत्तरी समेत 11 सूत्रीय मांगों को लेकर आशाओं का प्रदर्शन

उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के बैनर तले तीन दिवसीय आंदोलन में आशा कार्यकत्रियों ने पहले दिन 11 सूत्रीय मागों के निस्तारण की मांग लेकर हड़ताल शुरू की गई.

आशा हेल्थ वर्कर्स
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Published : Aug 7, 2020, 3:28 PM IST

Updated : Aug 7, 2020, 6:04 PM IST

काशीपुरः उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के बैनर तले तीन दिवसीय आंदोलन में आशा कार्यकत्रियों ने सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया है. अपनी 11 सूत्रीय मागों के निस्तारण की मांग लेकर आशा कार्यकत्रियों ने हड़ताल शुरू कर दी है. पहले दिन आशा वर्करों ने काशीपुर के राजकीय चिकित्सालय में जमकर प्रदर्शन किया.

11 सूत्रीय मांगों को लेकर आशाओं का प्रदर्शन

एलडी भट्ट सरकारी अस्पताल परिसर में आशा कार्यकत्रियां एकत्र हुई. जहां राष्ट्रीय स्तर पर स्कीम वर्कर्स यूनियनों व आशाओं के राष्ट्रीय फेडरेशनों ने संयुक्त रूप से 7, 8 व 9 अगस्त को अपनी मांगों के संबंध में तीन दिवसीय हड़ताल, धरना-प्रदर्शन व कार्य बहिष्कार शुरू किया. इस दौरान आशाओं ने न्यूनतम वेतन, स्थायीकरण, लॉकडाउन भत्ता, पेंशन, बीमा सुरक्षा समेत 11 सूत्रीय मांगों के निस्तारण की मांग की.

पढ़ेंः हल्द्वानी: शहरवासियों को जल्द दूषित पेयजल से मिलेगी निजात, जल संस्थान ने की बजट की मांग

इस दौरान आशाओं ने कहा कि उनको मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए नियुक्त किया गया था, लेकिन उसके बाद से ही आशाओं पर विभिन्न सर्वे और काम का बोझ लगातार बढ़ाया गया है. एक आशा वर्कर कुसुम पाल ने कहा कि सरकार उन पर काम का बोझ तो देती गई, लेकिन मानदेय बढ़ाने पर अभी तक चुप है.

उन्होंने कहा कि उनसे काम तो लिया जाता है, लेकिन उसका भुगतान नहीं किया जाता. यानी आशाओं को सरकार ने मुफ्त का कार्यकर्ता समझ लिया है. इसलिए उनकी मांग है कि हम काम बढ़ाना है तो उसका भुगतान भी उसी हिसाब से दिया जाना चाहिए.

काशीपुरः उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के बैनर तले तीन दिवसीय आंदोलन में आशा कार्यकत्रियों ने सरकार के खिलाफ हल्ला बोल दिया है. अपनी 11 सूत्रीय मागों के निस्तारण की मांग लेकर आशा कार्यकत्रियों ने हड़ताल शुरू कर दी है. पहले दिन आशा वर्करों ने काशीपुर के राजकीय चिकित्सालय में जमकर प्रदर्शन किया.

11 सूत्रीय मांगों को लेकर आशाओं का प्रदर्शन

एलडी भट्ट सरकारी अस्पताल परिसर में आशा कार्यकत्रियां एकत्र हुई. जहां राष्ट्रीय स्तर पर स्कीम वर्कर्स यूनियनों व आशाओं के राष्ट्रीय फेडरेशनों ने संयुक्त रूप से 7, 8 व 9 अगस्त को अपनी मांगों के संबंध में तीन दिवसीय हड़ताल, धरना-प्रदर्शन व कार्य बहिष्कार शुरू किया. इस दौरान आशाओं ने न्यूनतम वेतन, स्थायीकरण, लॉकडाउन भत्ता, पेंशन, बीमा सुरक्षा समेत 11 सूत्रीय मांगों के निस्तारण की मांग की.

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इस दौरान आशाओं ने कहा कि उनको मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए नियुक्त किया गया था, लेकिन उसके बाद से ही आशाओं पर विभिन्न सर्वे और काम का बोझ लगातार बढ़ाया गया है. एक आशा वर्कर कुसुम पाल ने कहा कि सरकार उन पर काम का बोझ तो देती गई, लेकिन मानदेय बढ़ाने पर अभी तक चुप है.

उन्होंने कहा कि उनसे काम तो लिया जाता है, लेकिन उसका भुगतान नहीं किया जाता. यानी आशाओं को सरकार ने मुफ्त का कार्यकर्ता समझ लिया है. इसलिए उनकी मांग है कि हम काम बढ़ाना है तो उसका भुगतान भी उसी हिसाब से दिया जाना चाहिए.

Last Updated : Aug 7, 2020, 6:04 PM IST
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