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लॉकडाउन के कारण फीकी पड़ी रमजान की चमक, बाजार से रौनक गायब

रमजान में इस साल रसोई का हाल कोरोना वायरस की वजह से फीका नजर आ रहा है. पहले रमजान में तमाम तरह के लजीज व्यंजन बनाए जाते थे, महिलाएं दोपहर की नमाज अदा करने के बाद ही रसोई संभाल लेती थीं. इस साल कोरोना के कारण केवल साधारण भोजन बनाया जा रहा है.

खटीमा
खटीमा
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Published : Apr 26, 2020, 11:56 AM IST

Updated : May 24, 2020, 2:53 PM IST

खटीमा: खुदा की इबादत का पवित्र महीना रमजान चांद दिखने के साथ ही शनिवार से शुरू हो गया है, हर साल इसकी तैयारी कई दिन पहले ही शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए लगाया गए लॉकडाउन की वजह से सब फीका है. लॉकडाउन में बेरोजगार होने की वजह से शेरी और अफतेयारी के लिए फेनी, खजला, सीमई और डबल रोटी की दुकानों से ग्राहक गायब है.

रमजान के महीने में मुस्लिम समाज के लोग एक महीने तक रोजा रखते हैं. इसमें सहरी के समय खाने-पीने के बाद पूरा दिन भूखे-प्यासे रहकर इबादत में बिताया जाता है और शाम को इफ्तार के समय रोजा खोलते हैं. जिसमें खजूर, सेवई और दूध से बने पकवान, फल आदि खाए जाते हैं. लेकिन लॉकडाउन की वजह से खाने-पीने की अधिकाश वस्तुएं बाजार से नदारद है.

पढ़ें- गीली आंखें...रुंधे गले...जोड़े हाथ...कमलेश के परिवार को अब मिला सरकार का साथ

खटीमा में हर साल रमजान से पहले स्थानीय व्यापारी यूपी के बरेली से बड़ी मात्रा में बेचने के लिए खाने-पीने का सामान लाया करते थे, लेकिन इस बार कुछ ही व्यापारी बेचने के लिए खाने-पीने के सामान लाया है. कोरोना महामारी के चलते बाचार से रौनक गायब है.

रमजान में खजला, फैनी और सीमई की दुकान लगाने वाले दुकानदारों का कहना है कि जैसे तैसे उधार करके इस बार उन्होंने रमजान में दुकान लगाई है, लेकिन कोरोना और लॉकडाउन की वजह से दुकानों से ग्राहक ही गायब है. जबकि रमजान मना रहे मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से वे काफी समय से बेरोजगार बैठे है. जिससे रमजान में खरीददारी को आमजन के पास पैसा नहीं है. इसीलिए इस बार लोग धूमधाम से रमजान नहीं मना पा रहे है.

खटीमा: खुदा की इबादत का पवित्र महीना रमजान चांद दिखने के साथ ही शनिवार से शुरू हो गया है, हर साल इसकी तैयारी कई दिन पहले ही शुरू हो जाती है, लेकिन इस बार कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए लगाया गए लॉकडाउन की वजह से सब फीका है. लॉकडाउन में बेरोजगार होने की वजह से शेरी और अफतेयारी के लिए फेनी, खजला, सीमई और डबल रोटी की दुकानों से ग्राहक गायब है.

रमजान के महीने में मुस्लिम समाज के लोग एक महीने तक रोजा रखते हैं. इसमें सहरी के समय खाने-पीने के बाद पूरा दिन भूखे-प्यासे रहकर इबादत में बिताया जाता है और शाम को इफ्तार के समय रोजा खोलते हैं. जिसमें खजूर, सेवई और दूध से बने पकवान, फल आदि खाए जाते हैं. लेकिन लॉकडाउन की वजह से खाने-पीने की अधिकाश वस्तुएं बाजार से नदारद है.

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खटीमा में हर साल रमजान से पहले स्थानीय व्यापारी यूपी के बरेली से बड़ी मात्रा में बेचने के लिए खाने-पीने का सामान लाया करते थे, लेकिन इस बार कुछ ही व्यापारी बेचने के लिए खाने-पीने के सामान लाया है. कोरोना महामारी के चलते बाचार से रौनक गायब है.

रमजान में खजला, फैनी और सीमई की दुकान लगाने वाले दुकानदारों का कहना है कि जैसे तैसे उधार करके इस बार उन्होंने रमजान में दुकान लगाई है, लेकिन कोरोना और लॉकडाउन की वजह से दुकानों से ग्राहक ही गायब है. जबकि रमजान मना रहे मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से वे काफी समय से बेरोजगार बैठे है. जिससे रमजान में खरीददारी को आमजन के पास पैसा नहीं है. इसीलिए इस बार लोग धूमधाम से रमजान नहीं मना पा रहे है.

Last Updated : May 24, 2020, 2:53 PM IST
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