रुद्रपुर: कोरोना की लहर भले ही उत्तराखंड में थमने लगी है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के जरिए जांच के नाम हो रहे फर्जीवाड़े का खेल भी अब उजागर होने लगा है. उधमसिंह नगर के पुलभट्टा बॉर्डर पर एंटीजन टेस्ट के मामले में फर्जीवाड़े की खबर सामने आ रही है. बॉर्डर पर तैनात कर्मचारियों ने 13 दिन में 822 एंटीजन किट गायब कर दिये हैं.
किच्छा क्षेत्र के पुलभट्टा में एंटीजन के नाम पर कई खुलासे हो रहे हैं. इस बार स्वास्थ्य विभाग की टीम का नया कारनामा सामने आया है. एंटीजन टेस्ट के नाम पर हुई वसूली जांच के दौरान नए खुलासे सामने आए हैं.
स्वास्थ्य विभाग की जांच में बॉर्डर से 13 दिन में 822 एंटीजन किट गायब मिले हैं. अगर जिला प्रशासन पूरे मामले की तह में जाता है तो गायब एंटीजन किट की संख्या हजार के पार जा सकती है. दरअसल, पुलभट्टा बॉर्डर पर एंटीजन टेस्ट के नाम पर उगाही की जांच करने पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम को बॉर्डर पर तैनात कर्मचारियों का नया कारनामा पता चला है.
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जांच में टीम ने पाया कि किच्छा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से ली गई एंटीजन किट को बॉर्डर पर यूज ही नहीं किया गया है. जांच के दौरान पाया गया कि सीएचसी किच्छा लैब से 1 जुलाई से 13 जुलाई तक बॉर्डर पर तैनात कर्मचारियों द्वारा रोजना 50 से लेकर 100 एंटीजन किट लिए गए थे, जो रजिस्टर में स्वास्थ्य कर्मचारी द्वारा अंकित हैं.
1 जुलाई से 13 जुलाई तक उक्त कर्मचारी द्वारा पुलभट्टा बॉर्डर के लिए 1 हजार 50 किट लिए गए थे. लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि बॉर्डर पर तैनात कर्मचारी ने 13 दिनों में 228 एंटीजन किट को यूज में दिखाते हुए रजिस्टर में एंट्री कर दी. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिरकार 822 किट को स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा कहां गायब किया गया है.
पूरे मामले में किच्छा अस्पताल के अधीक्षक एचसी त्रिपाठी ने बताया कि जांच के दौरान एंटीजन किट के गायब होने का मामला सामने आया है. सभी रजिस्टर खंगाले जा रहे हैं और किस कर्मचारी को कितने एंटीजन किट दिए गए, इसका मिलान किया जा रहा है. कुछ एंटीजन इधर से उधर होने की आशंका है.
बता दें, इससे पहले भी पुलभट्टा बॉर्डर सुर्खियों में छाया रहा है. उधम सिंह नगर जिले के पुलभट्टा बॉर्डर पर एंटीजन टेस्ट के नाम पर एक रात में स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिस की मिलीभगत से आने वाले वाहनों से एंटीजन टेस्ट के नाम पर 25 हजार रुपये तक की वसूली की जा रही है. इस बात का खुलासा स्वास्थ्य विभाग के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हरीश पांडे और लैब टेक्नीशियन कृपेन्द्र के बीच हुई बातचीत में हुई थी.