रुद्रपुर/हल्द्वानी/श्रीनगर: भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत (Pandit Govind Ballabh Pant) की आज 135वीं जयंती मनाई जा रही है. इस मौके पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी रुद्रपुर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने गोविंद बल्लभ पंत के चित्र में पुष्प अर्पित करते हुए उन्हें नमन किया. उन्हें याद करते हुए उनके पद चिन्हों में चलने की अपील की. इस दौरान उन्होंने जेल में मिले मोबाइल फोन को लेकर जेलर के खिलाफ कार्रवाई के भी निर्देश दिए हैं.
कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी दो दिवसीय दौरे पर उधम सिंह नगर में हैं. आज उन्होंने आशुतोष विद्या मंदिर में आयोजित गोविंद बल्लभ पंत की 135वीं जयंती कार्यक्रम में शिरकत की. इस दौरान उन्होंने कहा कि पंडित गोविंद बल्लभ पंत की जयंती कार्यक्रम में प्रतिभाग करने का मौका मिला है. हमें महान विभूतियों के नक्शे कदम पर चलना चाहिए.
हल्द्वानी के तिकोनिया स्थित पंत पार्क में भी पं. गोविंद बल्लभ पंत का जयंती कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम की शुरुआत पार्क में स्थित गोविंद बल्लभ पंत की मूर्ति पर माल्यार्पण और उनके फोटो पर दीप प्रज्ज्वलित कर की गई. इसके बाद स्कूली बच्चों ने सांस्कृतिक रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए. इस मौके पर कांग्रेस विधायक सुमित हृदयेश और मेयर डॉ. जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला समेत कई वरिष्ठ गण उपस्थित रहे.
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कॉलेज स्टाफ को नोटिस: जीबी पंत इंजीनियरिंग कॉलेज में भारत रत्न पं. गोविन्द बल्लभ पंत की 135वीं जयंती के मौके पर कॉलेज के स्टाफ की मौजूदगी न होने पर डीएम ने कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिये हैं. उन्होंने कहा कि कॉलेज में सभी कर्मियों को आज के दिन रहना था लेकिन ऐसा नहीं किया गया, जिस कारण ये कार्रवाई की गई है. पौड़ी विधायक राजकुमार पोरी ने भी नाराजगी व्यक्त की है.
अल्मोड़ा में जन्मे थे पंत: गोविंद बल्लभ पंत का जन्म अल्मोड़ा जिले के श्यामली पर्वतीय क्षेत्र स्थित गांव खूंट में महाराष्ट्रीय मूल के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था. इनकी मां का नाम गोविन्दी बाई और पिता का नाम मनोरथ पंत था. हालांकि बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने के कारण उनकी परवरिश उनके दादा बद्री दत्त जोशी ने की थी. गोविंद बल्लभ पंत का जन्मदिन 10 सितंबर को मनाया जाता है. पर ऐसा कहा जाता है कि उनका असली जन्मदिन 30 अगस्त को पड़ा था.
उनको नजदीक से जानने वाले लोगों का कहना है कि जिस दिन पंत पैदा हुए वो अनंत चतुर्दशी का दिन था. तो वह हर साल अनंत चतुर्दशी को ही जन्मदिन मनाते थे, चाहे तारीख जो भी पड़े. पर संयोग की बात 1946 में वह अपने जन्मदिन अनंत चतुर्दशी के दिन ही मुख्यमंत्री बने थे. उस दिन 10 सितंबर की तारीख थी. इसके बाद उन्होंने हर साल 10 सितंबर को ही अपना जन्मदिन मनाना शुरू कर दिया.
गोविंद बल्लभ पंत की तीन शादियां: एक जानकारी के अनुसार गोविंद बल्लभ पंत की कुल 3 शादियां हुईं थीं. पहली शादी 1899 में 12 वर्ष की आयु में गंगा देवी के साथ हुई थी. उस समय वह कक्षा सात में पढ़ रहे थे. पंतजी के पहले पुत्र की बीमारी से मृत्यु हो गयी और कुछ समय बाद पत्नी गंगादेवी की भी मृत्यु हो गयी. उस समय उनकी आयु 23 वर्ष की थी. इस घटना के बाद वह गम्भीर व उदासीन रहने लगे तथा समस्त समय कानून व राजनीति को देने लगे.
परिवार के लोगों के दबाव पर साल 1912 में पंत जी का दूसरा विवाह अल्मोड़ा में हुआ था. पंत जी को दूसरी शादी से भी एक बच्चा हुआ और कुछ दिन बाद उसकी भी मृत्यु हो गई. बच्चे की मौत के बाद पंत जी की पत्नी भी 1914 में स्वर्ग सिधार गईं. साल 1916 में पंत जी अपने मित्र राजकुमार चौबे के दबाव के कारण तीसरी शादी के लिए राजी हो गए. फिर काशीपुर के तारादत्त पांडे की बेटी कलादेवी से 30 साल की उम्र में पंत जी की तीसरी शादी हुई. इस शादी से पंत जी को एक पुत्र और 2 पुत्रियों की प्राप्ति हुई. पंत जी के बाद उनके बेटे केसी पंत भी राजनीति में काफी सक्रिय रहे और देश के प्रतिष्ठित योजना आयोग के पदाधिकारी भी रहे.