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अनोखी पहल: इस बार दीपावली पर गोबर के दीयों से घर होंगे रोशन, बाजारों में बढ़ी डिमांड - पौड़ी हिंदी समाचार

इस बार दीपावली पर टिहरी और पौड़ी गोबर के दीओं का उत्पादन हो रहा है. गांव सभी घर गोबर के दीओं से रोशन होंगे. इस काम में वन विभाग लोगों की मदद कर रहा है तो वहीं, लॉकडाउन काल में विभिन प्रदेशों से आए प्रवासी लोग गोबर के दीये बनाने के कार्य में जुटे हुए हैं, जो कि पर्यावरण संरक्षण के हिसाब से एक अच्छी पहल है.

Tehri
महिलाएं गोबर से बना रही दीये
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Published : Nov 1, 2020, 1:17 PM IST

टिहरी/पौड़ी: इस बार दीपावली में टिहरी के जौनपुर ब्लाक के भुट्टागांव में गोबर के दियों से घरों को रौशन किया जाएगा. इन दिनों गांव की महिलाएं गोबर से दिए, गमले और विभिन्न प्रकार की पूजन सामग्री तैयार कर रही हैं. पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी इस पहल के लिए महिलाओं का वन विभाग भी सहयोग कर रहा है. वहीं, पौड़ी के द्वारीखाल ब्लॉक के ग्राम सभा क्षेत्र बमोली में भी इन दिनों गोबर के दीए बनाए जा रहे हैं. इस काम को 4 युवक मिल कर अंजाम दे रहे हैं. ग्राम प्रधान विनीता रावत ने बताया कि दीये बनाने के लिए छह डाई का प्रयोग किया जा रहा है.

Tehri
महिलाएं गोबर से बना रही दीये

मसूरी में महिलाएं बनीं आत्मनिर्भर

पर्यावरण संरक्षण को साफ और सुरक्षित रखने साथ ही अपनी आजिविका और आर्थिकी को मजबूत करने का भुट्टागांव की महिलाओं ने दृढ़ निश्चय कर लिया है. प्रखंड जौनपुर के भुट्टागांव में धात्री स्वयं सहायता समूह के अंतर्गत गांव के 5 पुरुषों और 20 महिलाएं गोबर के दीए बनाने का काम कर रही हैं. इसके लिए इन्हें वन विभाग से भी सहायता मिल रही है. विभाग ने इन्हें मशीनें उपलब्ध कराई हैं, जिसकी सहायता से दीए, गमले और गोबर की लकड़ी का उत्पादन किया जा रहा है. प्रतिदिन 400 से 500 दीये और गमले बनाए जा रहे हैं. समूह की अध्यक्ष रोशनी देवी और सचिव कृष्णा देवी ने बताया कि गांव की महिलाओं को खेती-बाड़ी और घर के अन्य कामकाजों अलावा 2 से 3 घंटे का समय समूह को दे कर अपनी आमदनी बढ़ा रही हैं. दीयों की कीमत 5 रुपये और गमलों की कीमत 10, 20 और 35 रुपये तक है, जिनकी डिमांड बाजारों में खूब हो रही है.

ये भी पढ़ें: सात साल बाद अपनी ही नगरी में बाबा केदार को मिलेगा मालिकाना हक, जानिए कैसे

पौड़ी में स्वरोजगार की जलाई अलख

वहीं, पौड़ी के द्वारीखाल ब्लॉक के ग्राम बमोली के रहने वाले विजेंद्र रावत हरिद्वार, संदीप हिमांचल प्रदेश, मनीष और संतोष दिल्ली में लॉकडाउन से पहले नौकरी करते थे. लॉकडाउन के बाद से हुई बंदी के कारण इन चारों की नौकरी चली गई और सभी के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया. ऐसे में सतपुली की रहने वाली नीलम सिंह नेगी इन चारों युवाओं के लिए एक उम्मीद लेकर आईं. चारों युवाओं ने नीलम सिंह नेगी से गोबर के दीये बनाने का प्रशिक्षण लिया और गांव में ही गोबर के दीए तैयार करने लगे. वहीं, ग्राम प्रधान विनीता देवी ने बताया कि सौ परिवार वाले इस गांव के प्रत्येक घर में दो-तीन गाय हैं. ऐसे में यहां गोबर की जरा भी कमी नहीं है. 2 हफ्तों में इन चारों ने लगभग 10 हजार से अधिक दीये बना चुके हैं. ग्राम प्रधान ने बताया कि नीलम उन्हें दीपावली पर दीये बनाने के अच्छे ऑर्डर दे रही हैं. इन युवाओं को अब कोटद्वार से भी भारी मात्रा में ऑर्डर मिले हैं.

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महिलाएं गोबर से बना रही दीये

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पर्यावरण संरक्षण को साफ और सुरक्षित रखने साथ ही अपनी आजिविका और आर्थिकी को मजबूत करने का भुट्टागांव की महिलाओं ने दृढ़ निश्चय कर लिया है. प्रखंड जौनपुर के भुट्टागांव में धात्री स्वयं सहायता समूह के अंतर्गत गांव के 5 पुरुषों और 20 महिलाएं गोबर के दीए बनाने का काम कर रही हैं. इसके लिए इन्हें वन विभाग से भी सहायता मिल रही है. विभाग ने इन्हें मशीनें उपलब्ध कराई हैं, जिसकी सहायता से दीए, गमले और गोबर की लकड़ी का उत्पादन किया जा रहा है. प्रतिदिन 400 से 500 दीये और गमले बनाए जा रहे हैं. समूह की अध्यक्ष रोशनी देवी और सचिव कृष्णा देवी ने बताया कि गांव की महिलाओं को खेती-बाड़ी और घर के अन्य कामकाजों अलावा 2 से 3 घंटे का समय समूह को दे कर अपनी आमदनी बढ़ा रही हैं. दीयों की कीमत 5 रुपये और गमलों की कीमत 10, 20 और 35 रुपये तक है, जिनकी डिमांड बाजारों में खूब हो रही है.

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वहीं, पौड़ी के द्वारीखाल ब्लॉक के ग्राम बमोली के रहने वाले विजेंद्र रावत हरिद्वार, संदीप हिमांचल प्रदेश, मनीष और संतोष दिल्ली में लॉकडाउन से पहले नौकरी करते थे. लॉकडाउन के बाद से हुई बंदी के कारण इन चारों की नौकरी चली गई और सभी के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया. ऐसे में सतपुली की रहने वाली नीलम सिंह नेगी इन चारों युवाओं के लिए एक उम्मीद लेकर आईं. चारों युवाओं ने नीलम सिंह नेगी से गोबर के दीये बनाने का प्रशिक्षण लिया और गांव में ही गोबर के दीए तैयार करने लगे. वहीं, ग्राम प्रधान विनीता देवी ने बताया कि सौ परिवार वाले इस गांव के प्रत्येक घर में दो-तीन गाय हैं. ऐसे में यहां गोबर की जरा भी कमी नहीं है. 2 हफ्तों में इन चारों ने लगभग 10 हजार से अधिक दीये बना चुके हैं. ग्राम प्रधान ने बताया कि नीलम उन्हें दीपावली पर दीये बनाने के अच्छे ऑर्डर दे रही हैं. इन युवाओं को अब कोटद्वार से भी भारी मात्रा में ऑर्डर मिले हैं.

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