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सड़क से वंचित जनपद का सीमांत गांव काथड़ा, नागरिकों को हो रही है परेशानी

टिहरी जनपद का सीमांत गांव काथड़ा उत्तराखंड बनने के 18 वर्षों के बाद भी सड़क को तरस रहा है.

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Published : Apr 30, 2019, 11:35 PM IST

सड़क को तरस रहा गांव

धनोल्टीः समय बदला, सरकारें बदली लेकिन चुनावी मौकों पर सरकारों और जनप्रतिनिधियों द्वारा लोगों से किये गये विकास के वादे आज तक केवल आश्वासन तक ही सिमट कर रह गये. जिसकी बानगी हमें टिहरी जनपद की धनोल्टी विधानसभा के काथड़ा गांव में देखने को मिलती है.

जनपद का सीमांत गांव काथड़ा 18 वर्षों से सड़क के लिए तरस रहा है.

जहां उत्तराखंड राज्य बनने के 18 वर्ष के बाद भी लोग जंगल के रास्ते खड़ी चढ़ाई चढ़कर मीलों दूर पैदल चलकर अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करते हैं.

टिहरी जनपद का सीमांत गांव काथड़ा उत्तराखंड बनने के 18 बर्षों बाद भी सड़क को तरस रहा है. लोगों का कहना है कि गांव में अगर कभी कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे या तो खच्चर पर बैठाकर या डोली में बिठाकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है.

जिससे गर्भवती महिलाओं को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कालेज के छात्रों के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीण मीलों दूर पैदल चलने को मजबूर हैं.

यह भी पढ़ेंः पौड़ी में चारधाम यात्रा बसों को मिलेगा ग्रीन कार्ड, डेली रूट पर नहीं होगी वाहनों की कमी

सड़क निर्माण की मांग को लेकर ग्रमीणों द्वारा समय-समय पर सरकार के पास कई प्रस्ताव भी भेजे गए जिसका अभी तक कोई हल नहीं हो पाया.

धनोल्टीः समय बदला, सरकारें बदली लेकिन चुनावी मौकों पर सरकारों और जनप्रतिनिधियों द्वारा लोगों से किये गये विकास के वादे आज तक केवल आश्वासन तक ही सिमट कर रह गये. जिसकी बानगी हमें टिहरी जनपद की धनोल्टी विधानसभा के काथड़ा गांव में देखने को मिलती है.

जनपद का सीमांत गांव काथड़ा 18 वर्षों से सड़क के लिए तरस रहा है.

जहां उत्तराखंड राज्य बनने के 18 वर्ष के बाद भी लोग जंगल के रास्ते खड़ी चढ़ाई चढ़कर मीलों दूर पैदल चलकर अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करते हैं.

टिहरी जनपद का सीमांत गांव काथड़ा उत्तराखंड बनने के 18 बर्षों बाद भी सड़क को तरस रहा है. लोगों का कहना है कि गांव में अगर कभी कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे या तो खच्चर पर बैठाकर या डोली में बिठाकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है.

जिससे गर्भवती महिलाओं को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कालेज के छात्रों के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीण मीलों दूर पैदल चलने को मजबूर हैं.

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सड़क निर्माण की मांग को लेकर ग्रमीणों द्वारा समय-समय पर सरकार के पास कई प्रस्ताव भी भेजे गए जिसका अभी तक कोई हल नहीं हो पाया.

Intro: उत्तराखंड बनने के 18 साल बाद भी सड़क से बन्चित है टिहरी जनपद का सीमान्त गाँव काथड़ाBody: स्लग-उत्तराखंड बनने के 18 बर्षों बाद भी सड़क को तरस रहे है टिहरी जनपद के सीमान्त काथड़ा गाँव के लोग

एंकर- समय बदला सरकारें बदली लेकिन चुनावी मौकों पर सरकारों और जनप्रतिनिधियों के द्वारा लोगों से किये गये विकास के वायदें आज तक केवल आश्वासन तक ही सिमट कर रह गये जिसकी बानगी हमें टिहरी जनपद की धनोल्टी विधानसभा के काथड़ा गाँव मे देखने को मिलती है जहां पर उत्तराखंड राज्य बनने के 18 बर्ष बाद आज भी लोग जंगल के रास्ते खड़ी चढाई चढकर मीलों दूर पैदल चल कर अपनी रोजमर्रा की जरूरतो को पूरा करते है
लोगों का कहना है कि गाँव में अगर कभी कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे या तो खच्चर पर बैठाकर या डोली में बिठाकर अस्पताल पहुचाना पड़ता है जिससे गर्भवती महिलाओं को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है
सड़क निर्माण की माँग को लेकर ग्रमीणों के द्वारा समय समय पर सरकार के पास कई प्रस्ताव भी भेजे गयें जिसका अभी तक कोई हल नही हो पाया

बाइट Conclusion: केवल चुनावी वायदो तक ही सिमट कर रह गया सड़क बनाने का वायदा

कालेज के छात्रों के साथ साथ स्थानीय ग्रामीण मीलो दूर पैदल चलने को मजबूर

रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने के लिए लेना पड़ता है खच्चरो का सहारा
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