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प्रथम विश्व युद्ध के नायक गब्बर सिंह नेगी को दी श्रद्धांजलि, बहादुरी के लिए मिला था विक्टोरिया क्रॉस

गब्बर सिंह नेगी ने अपना शौर्य पराक्रम दिखाते हुए जर्मन सेना को मारकर उनके 350 सैनिकों और अफसरों को बंदी बनाया था और जर्मन के प्रसिद्ध न्यू चेप्पल लैंड पर कब्जा किया. इस युद्व में बहादुरी से लड़ते हुए 10 मार्च 1915 को वह वीरगति को प्राप्त हो गए.

गब्बर सिंह नेगी को दी श्रद्धांजलि
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Published : Apr 22, 2019, 7:54 AM IST

टिहरीः प्रथम विश्व युद्ध के नायक और शहीद विक्टोरिया क्रॉस विजेता गब्बर सिंह नेगी की जयंती पर गढ़वाल राइफल के जवानों ने शहीद स्मारक पार्क में पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.

मंजयूड गांव के ग्रामीणों ने चंबा चौराहे पर बने शहीद गब्बर सिंह नेगी के स्मारक पर पूजा अर्चना करके भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी. लैंसडाउन से आए 19 सेना के जवानों के साथ मेजर उत्तम सिंह और सूबेदार विक्रम नेतृत्व में स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीद को श्रद्धांजलि दी.

विक्टोरिया क्रॉस विजेता गब्बर सिंह नेगी को दी श्रद्धांजलि.

विक्टोरिया क्रॉस विजेता गब्बर सिंह नेगी का जन्म गांव मंजयूड में 21 अप्रैल 1895 को हुआ था. वह 6 अक्टूबर 1913 में गढ़वाल राइफल में भर्ती हुए और 1914 में प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना की ओर से शामिल हुए. उनकी बटालियन द्वितीय गढ़वाल राइफल को इस युद्ध में जर्मन सेना के खिलाफ लड़ने के लिए भेजा गया.

इसकी कमान गब्बर सिंह नेगी को सौंपी गई. गब्बर सिंह नेगी ने अपना शौर्य पराक्रम दिखाते हुए जर्मन सेना को मारकर उनके 350 सैनिकों और अफसरों को बंदी बनाया था और जर्मन के प्रसिद्ध न्यू चेप्पल लैंड पर कब्जा किया. इस युद्व में बहादुरी से लड़ते हुए 10 मार्च 1915 को वह वीरगति को प्राप्त हो गए.


1925 में उनकी याद में गढ़वाल राइफल द्वारा चंबा में स्मारक बनाया गया तब से लेकर आज तक उनकी शहादत दिवस पर हर वर्ष सेना श्रद्धांजलि देने आती है. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस की यात्रा के दौरान फ्रांस द्वारा उनको विक्टोरिया क्रॉस सम्मानित शहीद गब्बर सिंह नेगी का मूर्ति भेंट की जिसमें 10 विक्टोरिया विजेताओं में से एक भारतीय गब्बर सिंह नेगी भी थे जिसको यह सम्मान दिया गया उसके नाम पर हर वर्ष मेला लगता है.


विक्टोरिया क्रॉस विजेता शहीद गब्बर सिंह नेगी की याद में हर वर्ष जन्म दिवस और शहीद दिवस पर श्रद्धांजलि दी जाती है. इसको लेकर यहां के स्थानीय लोग बढ़ चढ़कर इस मेले में शिरकत करते हैं. हंस फाउंडेशन के निदेशक माता मंगला और भोले महाराज ने श्री देव सुमन राष्ट्रीय इंटर कॉलेज में तीन दिवसीय मेले का शुभारंभ किया.


साथ ही यहां के कवि व अध्यापक सोमवारी लाल ने अपने कविता के माध्यम से शहीद गब्बर सिंह नेगी को श्रद्धांजलि दी और कहा कि यहां प्रथम विश्वयुद्ध की लड़ाई लड़ने वाले सबसे कम उम्र के थे.

यह भी पढ़ेंः उत्तराखंड के 'स्वर्ग' की सड़क देख निकल जाते हैं पसीने, जान हथेली पर रखकर करते हैं सफर

उन्होंने फ्रांस के न्यू चैपल लैंड पर कब्जा किया और युद्ध के दौरान शहीद हो गए यह हमारे लिए गर्व की बात है कि ऐसे महान योद्धा ने हमारी धरती पर जन्म लिया है. साथ ही वार्ड सभासद शक्ति जोशी ने भी संबोधित किया.

टिहरीः प्रथम विश्व युद्ध के नायक और शहीद विक्टोरिया क्रॉस विजेता गब्बर सिंह नेगी की जयंती पर गढ़वाल राइफल के जवानों ने शहीद स्मारक पार्क में पुष्पचक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी.

मंजयूड गांव के ग्रामीणों ने चंबा चौराहे पर बने शहीद गब्बर सिंह नेगी के स्मारक पर पूजा अर्चना करके भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी. लैंसडाउन से आए 19 सेना के जवानों के साथ मेजर उत्तम सिंह और सूबेदार विक्रम नेतृत्व में स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीद को श्रद्धांजलि दी.

विक्टोरिया क्रॉस विजेता गब्बर सिंह नेगी को दी श्रद्धांजलि.

विक्टोरिया क्रॉस विजेता गब्बर सिंह नेगी का जन्म गांव मंजयूड में 21 अप्रैल 1895 को हुआ था. वह 6 अक्टूबर 1913 में गढ़वाल राइफल में भर्ती हुए और 1914 में प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना की ओर से शामिल हुए. उनकी बटालियन द्वितीय गढ़वाल राइफल को इस युद्ध में जर्मन सेना के खिलाफ लड़ने के लिए भेजा गया.

इसकी कमान गब्बर सिंह नेगी को सौंपी गई. गब्बर सिंह नेगी ने अपना शौर्य पराक्रम दिखाते हुए जर्मन सेना को मारकर उनके 350 सैनिकों और अफसरों को बंदी बनाया था और जर्मन के प्रसिद्ध न्यू चेप्पल लैंड पर कब्जा किया. इस युद्व में बहादुरी से लड़ते हुए 10 मार्च 1915 को वह वीरगति को प्राप्त हो गए.


1925 में उनकी याद में गढ़वाल राइफल द्वारा चंबा में स्मारक बनाया गया तब से लेकर आज तक उनकी शहादत दिवस पर हर वर्ष सेना श्रद्धांजलि देने आती है. आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस की यात्रा के दौरान फ्रांस द्वारा उनको विक्टोरिया क्रॉस सम्मानित शहीद गब्बर सिंह नेगी का मूर्ति भेंट की जिसमें 10 विक्टोरिया विजेताओं में से एक भारतीय गब्बर सिंह नेगी भी थे जिसको यह सम्मान दिया गया उसके नाम पर हर वर्ष मेला लगता है.


विक्टोरिया क्रॉस विजेता शहीद गब्बर सिंह नेगी की याद में हर वर्ष जन्म दिवस और शहीद दिवस पर श्रद्धांजलि दी जाती है. इसको लेकर यहां के स्थानीय लोग बढ़ चढ़कर इस मेले में शिरकत करते हैं. हंस फाउंडेशन के निदेशक माता मंगला और भोले महाराज ने श्री देव सुमन राष्ट्रीय इंटर कॉलेज में तीन दिवसीय मेले का शुभारंभ किया.


साथ ही यहां के कवि व अध्यापक सोमवारी लाल ने अपने कविता के माध्यम से शहीद गब्बर सिंह नेगी को श्रद्धांजलि दी और कहा कि यहां प्रथम विश्वयुद्ध की लड़ाई लड़ने वाले सबसे कम उम्र के थे.

यह भी पढ़ेंः उत्तराखंड के 'स्वर्ग' की सड़क देख निकल जाते हैं पसीने, जान हथेली पर रखकर करते हैं सफर

उन्होंने फ्रांस के न्यू चैपल लैंड पर कब्जा किया और युद्ध के दौरान शहीद हो गए यह हमारे लिए गर्व की बात है कि ऐसे महान योद्धा ने हमारी धरती पर जन्म लिया है. साथ ही वार्ड सभासद शक्ति जोशी ने भी संबोधित किया.

Intro:प्रथम विश्व युद्ध के नायक शहीद विक्टोरिया क्रॉस विजेता गब्बर सिंह नेगी की जयंती पर गढ़वाल राइफल के जवानों ने शहीद स्मारक पार्क पुष्प चक्र अर्पित कर श्रद्धांजलि दी



Body:मंजयूड गाव के ग्रामीणों ने चंबा चौराहे पर बने शहीद गब्बर सिंह नेगी के स्मारक पर पूजा अर्चना करके भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी

शहीद गब्बर सिंह नेगी की जयंती पर उन्हें गढ़वाल राइफल के जवानों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा श्रद्धांजलि दी गई

लैंसडाउन से आए 19 सेना के जवानों के साथ मेजर उत्तम सिंह और सूबेदार विक्रम नेतृत्व में स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीद को श्रद्धांजलि दी

हंस फाउंडेशन के निदेशक माता मंगला और भोले महाराज ने रिबन काटकर श्री देव सुमन राष्ट्रीय इंटर कॉलेज में तीन दिवसीय मेले का उद्घाटन किय

विक्टोरिया क्रॉस विजेता गब्बर सिंह नेगी का गांव मंजयूड में 21 अप्रैल 18 से 95 को हुआ था वह 6 अक्टूबर 1913 में गढ़वाल राइफल में भर्ती हुए और 1914 में प्रथम विश्व युद्ध हुआ तो ब्रिटिश सेना की ओर से उनकी बटालियन द्वितीय गढ़वाल राइफल को इस युद्ध में जर्मन सेना के खिलाफ लड़ने के लिए भेजा गया इसकी कमान गब्बर सिंह नेगी को सौंपी गई और गब्बर सिंह नेगी ने अपना शौर्य पराक्रम दिखाते हुए जर्मन सेना को मारकर उनके 350 सैनिक को और अफसरों को बंदी बना दिया और जर्मन के प्रसिद्ध न्यू चेप्पल लैंड पर कब्जा किया इस युद्व में बहादुरी से लड़ते हुए 10 मार्च 1915 को वह
वीरगति को प्राप्त हो गए सन 1925 में उनकी याद में गढ़वाल राइफल के द्वारा चंबा में स्मारक बनाया गया तब से लेकर आज तक उनके शहादत दिवस पर हर वर्ष सेना श्रद्धांजलि देने आती है आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस की यात्रा के दौरान फ्रांस के द्वारा उनको विक्टोरिया को से सम्मानित शहीद गब्बर सिंह नेगी का मूर्ति भेंट की जिसमे 10 विक्टोरिया विजेताओं में से एक भारतीय गब्बर सिंह नेगी भी था जिसको यह
सम्मान दिया गया उसके नाम पर हर वर्ष मेला लगता है


Conclusion:यह विक्टोरिया क्रॉस विजेता शहीद गब्बर सिंह नेगी के याद में जहां हर वर्ष जन्म दिवस और शहीद दिवस पर श्रद्धांजलि दी जाती है इसको लेकर यहां के स्थानीय लोग बढ़ चढ़कर इस मेले में शिरकत करते हैं साथ ही यहां के प्रसिद्ध कवि व अध्यापक सोमवारी लाल ने अपने कविता के माध्यम से शहीद गब्बर सिंह नेगी को श्रद्धांजलि दी और कहा कि यहां प्रथम विश्वयुद्ध के लड़ाई लड़ने वाले सबसे कम उम्र के थे और जिन्होंने फ्रांस के न्यू चैपल लैंड पर कब्जा किया और युद्ध के दौरान शहीद हो गए यह हमारे लिए गर्व की बात है कि ऐसे महान योद्धा हमारी धरती पर जन्म लिया है
साथ ही वार्ड सभासद शक्ति जोशी का कहना है कि हम इनको अपने देश का समझते हैं और इन से हम मार्गदर्शन प्राप्त करते हैं कि उन्होंने किस तरह से प्रथम विश्वयुद्ध लड़ा

बाइक सवारी लाल उनियाल कवि
बाइट शक्ति जोशी सभासद चम्बा

इसके विसुअल लाइव यु से भी भेजी है
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