टिहरी: टीएचडीसी इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के छात्र पराग चौधरी ने रॉकेट का मॉडल निर्माण कर सफलतापूर्वक परीक्षण करने में उपलब्धि हासिल की है. अब छात्र रॉकेट के रिकवरी सिस्टम को बेहतर करने की तैयारियों में लग गया हैं. छात्र की इस उपलब्धि पर पूरा कॉलेज गौरवान्वित हैं.
टीएचडीसी इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज के डीन एकेडमिक डॉ रमना त्रिपाठी ने बताया कि डीआरडीओ और इसरो जैसे ऐजेसियां नए-नए प्रयोग कर लगातार सफलता हासिल कर रही हैं. जिससे युवाओं में अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति और ज्यादा जिज्ञासा पैदा हो रही है. रुड़की निवासी कॉलेज के छात्र पराग चौधरी ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हुए एक मॉडल रॉकेट का निर्माण कर सफल परीक्षण किया.
पराग ने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के जीवन से प्रभावित होकर उन्होंने जीवन में कुछ नया करने की ठानी हैं. इस प्रोजेक्ट पर वह गत एक साल से कार्य कर रहे थे. कॉलेज की डीन एकेडमिक डॉ. रमना त्रिपाठी, असिस्टेंट प्रोफेसर अमित कुमार से वह लगातार इस पर चर्चा करते थे. उनकी मदद से दिल्ली स्थित स्पेस कंपनी एसडीएनएक्स सेंटर फॉर स्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी (एसडीएनएक्स सीएसआरटी) का मार्ग दर्शन उन्हें मिला. रॉकेट का निर्माण में कुछ विशेष कंपोजिट और धातुओं का प्रयोग करके किया. ताकि रॉकेट अधिक तापमान और दबाव को आसानी से झेल सके. रॉकेट को बनाने से पहले सॉफ्टवेयर की मदद से डिजाइन किया और उसका कंप्यूटर सिमुलेशन भी किया. उसके बाद कॉलेज के टीईक्यूयूआईपी-3 द्वारा दिये गए फंड से उन्होंने सभी जरूरी सामान, इलेक्ट्रॉनिक, केमिकल क्रय किया.
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उन्होंने बताया कि रॉकेट ने करीब 700 मीटर की ऊंचाई को सफलता पूर्वक हासिल किया. दूसरे रॉकेट का भी परीक्षण टिहरी में प्रशासन के आदेश के बाद किया जाना है. दूसरा रॉकेट डेढ़ किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ेगा और वहां के तापमान, वायु गति और दवाब का पता लगाएगा. उन्होंने इस सफलता का श्रेय डॉ. त्रिपाठी, एसडीएनएक्स के अंतरिक्ष अनुसंधान विशेषज्ञ गोविंद यादव, विजील एम उणणीत्तन को दिया है. जिन्होंने उनको पूरे प्रोजेक्ट के दौरान मार्गदर्शन प्रदान किया. बताया कि उक्त परीक्षण सफल रहा लेकिन इसमें रिकवरी सिस्टम को मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि लैंडिंग करने में टूट न जाए. उनके पिता बृजेश किसान और मां प्रर्मिला देवी गृहणी हैं.