टिहरी: टीएचडीसी इंडिया की पीएसपी (Pump Storage Plant) की पहली यूनिट दिसम्बर 2022 में पूरी हो जाएगी. जून 2023 तक पीएसपी की सभी चार यूनिट कार्य करना शुरू करेंगी. वर्तमान में टिहरी बांध परियोजना से 1000 मेगावाट और कोटेश्वर बांध परियोजना से 400 मेगावाट विद्युत उत्पादन हो रहा है. परियोजना पूरी होने के बाद टिहरी बांध संपूर्ण क्षमता के साथ 2400 मेगावाट बिजली उत्पादन शुरू कर देश को समृद्ध बनाएगा.
साल 2014 से निर्माणाधीन टिहरी बांध परियोजना की पीएसपी का कार्य अब लगभग पूरा होने को है. टीएचडीसी इंडिया की टिहरी कॉम्पलेक्स के अधिशासी निदेशक यूके सक्सेना ने बताया कि दिसंबर 2022 में पीएसपी की पहली यूनिट पूरी हो जाएगी. इसके बाद फरवरी 2023 में दूसरी, अप्रैल में तीसरी और जून में चौथी यूनिट पूरी होने के बाद जनता को समर्पित हो जाएगी. ऊर्जा के क्षेत्र में टिहरी बांध का राष्ट्र के लिए अतुलनीय योगदान है.
यूके सक्सेना ने बताया कि हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी, टीएचडीसी के इंजीनियर और कर्मचारी निर्माण के लिए दिन रात काम कर रहे हैं. इस वित्तीय वर्ष में टीएचडीसी को 4380 मिलियन यूनिट का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, जिसे टीएचडीसी ने वर्तमान तक 3900 मिलियन यूनिट प्राप्त कर लिया है. पीएसपी बनने से कोटेश्वर बांध की ओर बने जलाशय के पानी को रिवर्स कर विद्युत उत्पादन के लिए प्रयोग किया जाएगा. बिजली के साथ-साथ टिहरी बांध से यूपी, दिल्ली समेत एनसीआर को पेयजल और सिंचाई के लिए जलापूर्ति कराई जा रही है. टिहरी बांध परियोजना उत्तरी क्षेत्र में मानसून के दौरान बाढ़ नियंत्रण में भी हमेशा सहायक सिद्ध हुई है. हरिद्वार और प्रयागराज में संपन्न हुए महाकुंभ में भी टिहरी बांध के जलाशय से पर्याप्त मात्रा में पानी डिस्चार्ज किया गया था.
यूके सक्सेना ने बताया कि टीएचडीसी विद्युत उत्पादन के साथ-साथ प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय लोगों के लिए सीएसआर के माध्यम से जनोपयोगी कार्य, कौशल विकास कार्यक्रम, तकनीकी प्रशिक्षण और मेडिकल कैंप जैसे कार्य लगातार चला रहा है. उन्होंने सीएम पुष्कर सिंह धामी का टिहरी बांध का जलाशय आरएल 830 मीटर किए जाने के निर्णय पर आभार जताया. उन्होंने कहा कि इससे टीएचडीसी को विद्युत उत्पादन में और मदद मिलेगी.
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सक्सेना का कहना है कि चिन्हित बांध प्रभावित परिवारों के विस्थापन के लिए टीएचडीसी ने पुनर्वास निदेशालय को प्रथम चरण में 28 करोड़ रुपये की धनराशि निर्गत कर दी है. इस दिनों पुनर्वास निदेशालय के स्तर पर चिन्हित परिवारों को परीक्षण कर औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं. जल्द ही संबंधित परिवारों को अनुमन्य धनराशि दी जाएगी. टीएचडीसी ने विस्थापन समेत अन्य कार्यों के लिए हाई पावर कमेटी के आदेश पर 252 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है. कैचमेंट एरिया को विकसित करने के लिए टीएचडीसी प्रयासरत है. सेवा-टीएचडीसी के माध्यम से भी प्रभावित क्षेत्रों में वृहद कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.
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टीएचडीसी इंडिया के ईडी यूके सक्सेना ने बताया कि 30 मार्च, 2007 को टिहरी बांध परियोजना की दूसरी यूनिट कमीशन हुई थी. इस तारीख को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम को और भव्य रूप दिया गया है. आरएल 835 मीटर और उससे ऊपर के क्षेत्र को भी पर्यावरण और पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा. साल 2013 की संपार्श्विक क्षति नीति के आधार पर टीएचडीसी ने सरकार के समक्ष एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था. उस समिति ने टिहरी झील के कारण कई गांवों को भूधंसाव का खतरा होने की बात कही थी. जिसके बाद इसी नीति के आधार पर प्रभावित परिवारों को क्षतिपूर्ति धनराशि दी जा रही है.
उन्होंने स्पष्ट किया कि टीएचडीसी सरकार के समक्ष किए सभी वादों को पूरा करने में कामयाब रही है. चिन्हित प्रभावित परिवारों की परिसंपत्तियों के मूल्यांकन के बाद इन दिनों पुनर्वास निदेशालय स्तर पर धनराशि दिए जाने को लेकर सत्यापन कार्य चल रहा है. कार्य पूरा होते ही संबंधित परिवारों को चेक प्रदान किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि अब पीएसपी परियोजना भी अंतिम चरण में है. इस परियोजना पर 2300 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान था, लेकिन विभिन्न परिस्थितियों, एचसीसी कंपनी की तत्कालीन वित्तीय स्थिति और कोविड संक्रमण काल से समय वृद्धि के कारण अबतक परियोजना पर 4800 करोड़ रुपये का खर्चा हो चुका है.
परियोजना पूरी होने तक 100 करोड़ अतिरिक्त धनराशि खर्च होने का अनुमान है, लेकिन इस परियोजना के पूरा होने से ऊर्जा की अधिकांश जरूरत पूरी हो जाएंगी. अधिशासी निदेशक ने बताया कि टिहरी बांध के जलाशय को दो मीटर अतिरिक्त भरने से अब जलाशय की क्षमता आरएल 830 मीटर हो जाएगी. इससे जहां विद्युत उत्पादन बढ़ेगा, वहीं पेयजल और सिंचाई के लिए उत्तराखंड समेत एमओयू वाले राज्यों को लाभ मिलेगा.