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टिहरी लोकसभा सीट पर राजशाही परिवार के दबदबे की कहानी, देखिए खास रिपोर्ट

ईटीवी भारत टिहरी राजशाही की एक ऐसी दुर्लभ फोटो से आपको रूबरू करवा रहे है. जो 1 अगस्त 1949 की ली गई थी. जब टिहरी रियासत का आजाद भारत में विलय किया गया. 1952 के पहले लोकसभा चुनाव में राजमाता कमलेंदुमति शाह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में टिहरी से पहली महिला सांसद चुनी गई.

टिहरी लोकसभा सीट
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Published : Mar 24, 2019, 2:08 PM IST

Updated : Mar 24, 2019, 6:57 PM IST

टिहरी: आजादी के बाद 1 अगस्त को 1949 को टिहरी रियासत का भारत में विलय हो गया था. जिसके बाद 1952 में पहले लोकसभा चुनाव में राज परिवार की राजमाता कमलेंदुमति शाह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में टिहरी से महिला सांसद चुनी गई. ईटीवी भारत आपको टिहरी लोकसभा सीट पर राज परिवार के दबदबे की पूरी कहानी बता रहा है. देखिए खास रिपोर्ट...

1 अगस्त 1949 में टिहरी रियासत का हुआ था आजाद भारत में विलय.

ईटीवी भारत टिहरी राजशाही की एक ऐसी दुर्लभ फोटो से आपको रूबरू करवा रहे है. जो 1 अगस्त 1949 की ली गई थी. जब टिहरी रियासत का आजाद भारत में विलय किया गया. 1952 के पहले लोकसभा चुनाव में राजमाता कमलेंदुमति शाह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में टिहरी से पहली महिला सांसद चुनी गई.

टिहरी राजशाही के अंतिम राजा मानवेंद्र शाह थे. जो साल 1957 में इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीतकर संसद पहुंचे. जिसके बाद 1962 से लेकर 1967 तक वे इस सीट पर काबिज रहे. जबकि, साल 1971 में कांग्रेस से टिकट से परिपूर्णानंद टिहरी लोकसभा सीट पर विजय हुए. 1980 से 1997तक त्रेपन सिंह नेगी इस सीट से सांसद रहे. जबकि,1984 से 1989 तक कांग्रेस उम्मीदवार ब्रह्मदत्त को इस सीट का प्रतिनिधित्व किया.
साल 1991 में मानवेंद्र शाह बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़े और पहली बार टिहरी लोकसभा सीट में कमल खिला. मानवेंद्र शाह 1991 से 2004 तक इस सीट से सांसद रहे. साल 2007 में टिहरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी विजय बहुगुणा को जीत मिली. 2009 के चुनाव में विजय बहुगुणा इस सीट से सांसद रहे. वहीं, साल 2012 के उपचुनाव में इस सीट पर माला राज्य लक्ष्मी शाह ने बीजेपी को जीत दिलाई और 2014 के चुनाव में यहां कमल खिलाया.

लोकसभा चुनाव में राजशाही का रहा दबदबा
टिहरी रियासत के राजा मानवेंद्र शाह ने टिहरी लोकसभा सीट पर 9 बार कांग्रेस और 7 बार बीजेपी के टिकट से जीत हासिल की थी. जिससे पता चलता है कि इस सीट पर राज परिवार से जुड़े लोगों का ही दबदबा रहा है. वहीं, स्वर्गीय मानवेंद्र शाह के नाम सबसे ज्यादा 8 बार टिहरी लोकसभा सीट पर सांसद रहने का रिकॉर्ड है.
बहरहाल, टिहरी लोकसभा सीट पर निवर्तमान सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह सामने भी इस बार जीत की हैट्रिक लगाने की चुनौती है. आजादी के बाद अब तक इस सीट पर लोकसभा के लिए दो उपचुनाव सहित 18 बार चुनाव हुए है. जिसमें 9 बार कांग्रेस तो 7 बार बीजेपी को जीत हासिल हुई है. जबकि, इस सीट से एक बार निर्दलीय को तो एक बार अन्य दल का का नेता सांसद रहा है. ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनाव में माला राज्य लक्ष्मी शाह बीजेपी के टिकट से एक बार चुनाव मैदान में है. अब देखना है कि टिहरी की जनता राज परिवार पर कितना विश्वास जताती है.

टिहरी: आजादी के बाद 1 अगस्त को 1949 को टिहरी रियासत का भारत में विलय हो गया था. जिसके बाद 1952 में पहले लोकसभा चुनाव में राज परिवार की राजमाता कमलेंदुमति शाह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में टिहरी से महिला सांसद चुनी गई. ईटीवी भारत आपको टिहरी लोकसभा सीट पर राज परिवार के दबदबे की पूरी कहानी बता रहा है. देखिए खास रिपोर्ट...

1 अगस्त 1949 में टिहरी रियासत का हुआ था आजाद भारत में विलय.

ईटीवी भारत टिहरी राजशाही की एक ऐसी दुर्लभ फोटो से आपको रूबरू करवा रहे है. जो 1 अगस्त 1949 की ली गई थी. जब टिहरी रियासत का आजाद भारत में विलय किया गया. 1952 के पहले लोकसभा चुनाव में राजमाता कमलेंदुमति शाह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में टिहरी से पहली महिला सांसद चुनी गई.

टिहरी राजशाही के अंतिम राजा मानवेंद्र शाह थे. जो साल 1957 में इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीतकर संसद पहुंचे. जिसके बाद 1962 से लेकर 1967 तक वे इस सीट पर काबिज रहे. जबकि, साल 1971 में कांग्रेस से टिकट से परिपूर्णानंद टिहरी लोकसभा सीट पर विजय हुए. 1980 से 1997तक त्रेपन सिंह नेगी इस सीट से सांसद रहे. जबकि,1984 से 1989 तक कांग्रेस उम्मीदवार ब्रह्मदत्त को इस सीट का प्रतिनिधित्व किया.
साल 1991 में मानवेंद्र शाह बीजेपी के टिकट से चुनाव लड़े और पहली बार टिहरी लोकसभा सीट में कमल खिला. मानवेंद्र शाह 1991 से 2004 तक इस सीट से सांसद रहे. साल 2007 में टिहरी लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस प्रत्याशी विजय बहुगुणा को जीत मिली. 2009 के चुनाव में विजय बहुगुणा इस सीट से सांसद रहे. वहीं, साल 2012 के उपचुनाव में इस सीट पर माला राज्य लक्ष्मी शाह ने बीजेपी को जीत दिलाई और 2014 के चुनाव में यहां कमल खिलाया.

लोकसभा चुनाव में राजशाही का रहा दबदबा
टिहरी रियासत के राजा मानवेंद्र शाह ने टिहरी लोकसभा सीट पर 9 बार कांग्रेस और 7 बार बीजेपी के टिकट से जीत हासिल की थी. जिससे पता चलता है कि इस सीट पर राज परिवार से जुड़े लोगों का ही दबदबा रहा है. वहीं, स्वर्गीय मानवेंद्र शाह के नाम सबसे ज्यादा 8 बार टिहरी लोकसभा सीट पर सांसद रहने का रिकॉर्ड है.
बहरहाल, टिहरी लोकसभा सीट पर निवर्तमान सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह सामने भी इस बार जीत की हैट्रिक लगाने की चुनौती है. आजादी के बाद अब तक इस सीट पर लोकसभा के लिए दो उपचुनाव सहित 18 बार चुनाव हुए है. जिसमें 9 बार कांग्रेस तो 7 बार बीजेपी को जीत हासिल हुई है. जबकि, इस सीट से एक बार निर्दलीय को तो एक बार अन्य दल का का नेता सांसद रहा है. ऐसे में 2019 के लोकसभा चुनाव में माला राज्य लक्ष्मी शाह बीजेपी के टिकट से एक बार चुनाव मैदान में है. अब देखना है कि टिहरी की जनता राज परिवार पर कितना विश्वास जताती है.

Intro:ईटीवी भारत आज आपको टिहरी राजशाही की एक ऐसी फोटो से रूबरू करवा रहे हैं जो 1 अगस्त 1949 की है जब टिहरी रियासत आजाद को आजाद भारत में विलय किया गया जिसमे टिहरी राजशाही के अंतिम राजा मानवेंद्र शाह थे




Body:

अब तक टिहरी लोक सभा सीट पर विजयी हुए उम्मीदवार

1 अगस्त 1950 को टिहरी रियासत आजाद भारत में विलय होने के बाद 1952 में पहला लोकसभा चुनाव हुआ जिसमें राज परिवार की राजमाता कमलेंद्र मोती शाह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पहली महिला सासद चुनी गई, 1957 में कांग्रेश से मानवेंद्र शाह चुनाव जीते और मानवेंद्र शाह की जीत का सिलसिला 1962 और 67 में भी जारी रहा सन 1971 में कांग्रेस की सीट से परिपूर्णानंद विजय हुए और 1997 में जीत का सेहरा त्रेपन सिंह नेगी के सिर पर सजा कर 1980 में कोंग्रेस की सीट से त्रिपन सिंह जीते , 1984 और 89 में ब्रह्म दत्त कांग्रेश उम्मीदवार चुनाव जीते उसके बाद मानवेंद्र शाह ने 1991 में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े ओर जीत दर्ज करके पहली बार बीजेपी का कमल खिलाया और मानवेंद्र शाह का जीत का सिलसिला 91,98, 99, और 2004 में जारी रहा 2007 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ और कांग्रेसी विजय बहुगुणा जीते फिर 2009 में विजय बहुगुणा दोबारा जीते 2012 के उपचुनाव में इस सीट पर माला राज्य लक्ष्मी शाह भाजपा के बैनर तले जीती और 2014 में भी दुबारा जीत हासिल की,

टिहरी रियासत के राजा मानवेंद्र शाह ने पीली लोकसभा सीट पर 9 बार कांग्रेस से और 7 बार भाजपा से विजय हासिल की है लेकिन ज्यादातर टिहरी राज परिवार से जुड़े लोगों का ही इस सीट पर दबदबा रहा निवर्तमान टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह के स्वर्गीय मानवेंद्र शाह के नाम सबसे ज्यादा 8 बार टिहरी लोकसभा सीट पर सांसद रहने का रिकॉर्ड है

टिहरी राजपरिवार को जनता का हमेशा साथ मिला जिस कारण राजपरिवार का राजनीति में दबदबा रहता है,


Conclusion:टिहरी लोकसभा सीट पर निवर्तमान सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह के समक्ष इस बार जीत की हैट्रिक लगाने की चुनौती है आजादी के बाद अब तक इस सीट पर लोकसभा के लिए दो उप चुनाव सहित 18 बार चुनाव हुए हैं जिसमें 9 बार कांग्रेस तो 7 बार भाजपा को जीत मिली जबकि एक बार निर्दलीय को तो एक बार अन्य दल को जीत हासिल हुई तेरी रियासत के 1 अगस्त 1950 को आजाद भारत में विलय के बाद इस सीट पर पहला आम चुनाव 1952 में हुआ जिसमें राज परिवार से ताल्लुक रखने वाली राज माता कमले इंदुमती शाह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पहली महिला सांसद चुनी गई फिर 2012 में इसी राजपरिवार की बहु माला राज्य लक्ष्मी शाह की उपचुनाव में जीत हुई माला राज्य लक्ष्मी शाह ने 7 साल बाद इस सीट पर महिला होने के नाते वापसी की सोनी लोकसभा के लिए 2014 में हुए आम चुनाव में भी माला राज्य लक्ष्मी शाह को विजय श्री प्राप्त हुई और इस बार 2019 के चुनाव लोकसभा चुनाव में माला राज्य लक्ष्मी शाह को भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं अब देखना है कि टिहरी की जनता टिहरी राज परिवार की बहू माला राज्य लक्ष्मी शाह पर कितना विश्वास जताती है

Last Updated : Mar 24, 2019, 6:57 PM IST
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