ETV Bharat / state

सुरकुट पर्वत पर स्थित है मां सुरकंडा का मंदिर, नवरात्रि में लगता है भक्तों का तांता

मां दुर्गा को समार्पित माता सुरकंडा का मंदिर 51 शक्ति पीठ में से एक है. पुराणों के अनुसार देवराज इंद्र ने यहीं पर मां की आराधना कर अपना खोया हुआ साम्राज्य हासिल किया था.

author img

By

Published : Apr 6, 2019, 6:04 AM IST

51 शक्ति पीठ में से एक है मां सुरकंडा का मंदिर

टिहरी: जिले के चंबा मसूरी-मोटर मार्ग पर कद्दूखाल से डेढ़ किलोमीटर ऊपर करीब 3000 फुट की ऊंचाई सुरकुट पर्वत पर है मां सुरकंडा का मंदिर है. मां दुर्गा को समार्पित माता सुरकंडा का मंदिर 51 शक्ति पीठ में से एक है. इस मंदिर में काली माता की प्रतिमा स्थापित है. मान्यता है कि देवराज इंद्र ने यहां पर मां की आराधना कर अपना खोया हुआ साम्राज्य हासिल किया था.

51 शक्ति पीठ में से एक है मां सुरकंडा का मंदिर

पढ़ें- उत्तराखंड: आज श्रीनगर में रैली करेंगे राहुल गांधी, आलू खरीदने में जुटे BJP कार्यकर्ता

पुराणों के अनुसार एक समय राजा दक्ष ने कनखल में यज्ञ का आयोजन किया तो उसमें सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया. लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया. शिव के मना करने पर भी शिव की पत्नी व राजा दक्ष की पुत्री यज्ञ में चली गई. वहां उनका अपमान हुआ और वह यज्ञ कुंड में कूद गईं. जिसके बाद भगवान शिव ने क्रोधित होकर सती का शव उठाया और हिमालय की तरफ चल पड़े.

उसके बाद भगवान विष्णु के चक्र से सती का सिर कटकर यहां पर गिरा. तब से इस जगह का नाम सुरकंडा पड़ा. बाद में यह सिद्ध पीठ सुरकंडा के नाम से प्रसिद्ध हुई. दशहरे और नवरात्रि पर मां के दर्शनों का विशेष महत्व बताया गया है. इन अवसरों पर मां के दर्शन करने से समस्त पाप मिट जाते हैं.

मंदिर तक कैसे पहुंचे ?
मां सुरकंडा मंदिर हर जगह से आसानी से पहुंचा जा सकता है. यहां के लिए हर जगह से वाहनों की सुविधा है. मंदिर के नीचे कद्दूखाल तक वाहनों से पहुंचना पड़ता है और उसके बाद करीब डेढ़ किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़कर मंदिर पहुंचते हैं, कद्दूखाल से मंदिर जाने के लिए घोड़े भी उपलब्ध हैं.

इसके साथ ही यहां आने वाले यात्री ऋषिकेश से चंबा और चंबा से कद्दूखाल तक वाहनों से पहुंचते हैं. इसके अलावा देहरादून से मसूरी होकर कद्दूखाल पहुंचा जा सकता है.
मां सिद्ध पीठ सुरकंडा का मंदिर वर्ष घर खुला रहता है. यहां कभी भी आ सकते हैं.

कैसा रहता है यहां का मौसम ?
यहां का मौसम हमेशा ठंडा ही रहता है, लेकिन दिसंबर, जनवरी और फरवरी माह में ठंड अधिक रहती है. मंदिर के पुजारी रमेश लिखवा का कहना है कि मां सुरकंडा के दर्शनों का विशेष महत्व है. मां सभी की मनोकामना पूरी करती हैं. नवरात्र और गंगा दशहरे के मौके पर मां के दर्शन का विशेष महत्व माना जाता है.

टिहरी: जिले के चंबा मसूरी-मोटर मार्ग पर कद्दूखाल से डेढ़ किलोमीटर ऊपर करीब 3000 फुट की ऊंचाई सुरकुट पर्वत पर है मां सुरकंडा का मंदिर है. मां दुर्गा को समार्पित माता सुरकंडा का मंदिर 51 शक्ति पीठ में से एक है. इस मंदिर में काली माता की प्रतिमा स्थापित है. मान्यता है कि देवराज इंद्र ने यहां पर मां की आराधना कर अपना खोया हुआ साम्राज्य हासिल किया था.

51 शक्ति पीठ में से एक है मां सुरकंडा का मंदिर

पढ़ें- उत्तराखंड: आज श्रीनगर में रैली करेंगे राहुल गांधी, आलू खरीदने में जुटे BJP कार्यकर्ता

पुराणों के अनुसार एक समय राजा दक्ष ने कनखल में यज्ञ का आयोजन किया तो उसमें सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया. लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया. शिव के मना करने पर भी शिव की पत्नी व राजा दक्ष की पुत्री यज्ञ में चली गई. वहां उनका अपमान हुआ और वह यज्ञ कुंड में कूद गईं. जिसके बाद भगवान शिव ने क्रोधित होकर सती का शव उठाया और हिमालय की तरफ चल पड़े.

उसके बाद भगवान विष्णु के चक्र से सती का सिर कटकर यहां पर गिरा. तब से इस जगह का नाम सुरकंडा पड़ा. बाद में यह सिद्ध पीठ सुरकंडा के नाम से प्रसिद्ध हुई. दशहरे और नवरात्रि पर मां के दर्शनों का विशेष महत्व बताया गया है. इन अवसरों पर मां के दर्शन करने से समस्त पाप मिट जाते हैं.

मंदिर तक कैसे पहुंचे ?
मां सुरकंडा मंदिर हर जगह से आसानी से पहुंचा जा सकता है. यहां के लिए हर जगह से वाहनों की सुविधा है. मंदिर के नीचे कद्दूखाल तक वाहनों से पहुंचना पड़ता है और उसके बाद करीब डेढ़ किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़कर मंदिर पहुंचते हैं, कद्दूखाल से मंदिर जाने के लिए घोड़े भी उपलब्ध हैं.

इसके साथ ही यहां आने वाले यात्री ऋषिकेश से चंबा और चंबा से कद्दूखाल तक वाहनों से पहुंचते हैं. इसके अलावा देहरादून से मसूरी होकर कद्दूखाल पहुंचा जा सकता है.
मां सिद्ध पीठ सुरकंडा का मंदिर वर्ष घर खुला रहता है. यहां कभी भी आ सकते हैं.

कैसा रहता है यहां का मौसम ?
यहां का मौसम हमेशा ठंडा ही रहता है, लेकिन दिसंबर, जनवरी और फरवरी माह में ठंड अधिक रहती है. मंदिर के पुजारी रमेश लिखवा का कहना है कि मां सुरकंडा के दर्शनों का विशेष महत्व है. मां सभी की मनोकामना पूरी करती हैं. नवरात्र और गंगा दशहरे के मौके पर मां के दर्शन का विशेष महत्व माना जाता है.

Intro:टिहरी जिले कद्दूखाल के समीप माँ सुरकण्डा मंदिर में पूजा अर्चना करने पहुंच रहे है श्रद्धालु


Body: टिहरी जिले के चंबा मसूरी मोटर मार्ग पर कद्दू खाल से डेढ़ किलोमीटर ऊपर करीब 3000 फुट की ऊंचाई सुरकुट पर्वत पर है मां सुरकंडा का मंदिर है मान्यता है कि मां के दर्शन करने से ही समस्त पाप मिट जाते हैं पौराणिक लोग बताते हैं और पुराणों में लिखा है कि जब राजा दक्ष ने कनखल में यज्ञ का आयोजन किया तो उसमें सभी देवताओं को आमंत्रित किया गया लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया तो शिव के मना करने पर भी शिव की पत्नी व राजा दक्ष की पुत्री यज्ञ में चली गई वह उसका अपमान हुआ और वहां यज्ञ कुंड में कूद गई इस पर शिव ने क्रोधित होकर सती का शव उठाकर हिमालय की तरफ चलें तब उसके बाद भगवान विष्णु के चक्र से कटकर सती का सिर यह पर गिरा तब से यह जगह का नाम सुरकण्डा पड़ा बाद में यह सिद्ध पीठ सुरकंडा के नाम से प्रसिद्ध हुआ सिद्ध पीठ मां सुरकंडा मंदिर इकलौता ऐसा मंदिर है सिद्ध पीठ के पीछे

एक और मान्यता यह भी है कि जब राजा भागीरथ गंगा को पृथ्वी पर आ गए थे तो उस समय से की जटाओं से गंगा की धारा निकलकर शुभ को पर्वत पर गिरी इसका प्रमाण के रूप में मंदिर के नीचे की पहाड़ी पर जल्द सोचता है दशहरे और नवरात्रि पर मां के दर्शनों का विशेष महत्व बताया गया है इन अवसरों पर मां के दर्शन करने से समस्त पाप मिट जाते हैं मां सुरकंडा मंदिर हर जगह से आसानी से पहुंचा जा सकता है यहां के लिए हर जगह से वाहनों की सुविधा है मंदिर के नीचे कद्दूखाल तक वाहनों से पहुंचना पड़ता है और उसके बाद करीब डेट किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़कर मंदिर पहुंचते हैं तो खाल से मंदिर आने जाने के लिए घोड़े भी उपलब्ध हैं और यहां पर भी उत्तराखंड सरकार के द्वारा बनाया जा रहा है


Conclusion:यह आने वाले यात्री ऋषिकेश से चंबा और चंबा से कद्दूखाल तक वाहनों से होते हैं इसके अलावा देहरादून से मसूरी होकर कद्दूखाल पहुंचा जा सकता है

मां सिद्ध पीठ श्री कंडा का मंदिर हर वर्ष घर खुला रहता है यहां कभी भी आ सकते हैं

यहां मौसम हमेशा ठंडा रहता है लेकिन दिसंबर जनवरी और फरवरी माह में ठंड अधिक रहती है सिद्ध पीठ मां सुरकंडा के पुजारी रमेश लिखवा का कहना है कि मां सुरकंडा के दर्शनों का विशेष महत्व है मां सभी की मनोकामना पूर्ण करती है नवरात्र गंगा दशहरे के मौके पर मां के दर्शन का विशेष महत्व माना जाता है मां के दर्शन करने से पापों का नाश होता है

बाइट रमेश लिखवाई पुजारी
बाइट पूनम भंडारी श्रद्धालु बाइट श्रद्धालु
बाइट मधुसूदन श्रद्धालु गुजराती

इसके विसुअल ftp से भेजी है स्लग के नाम से plz चेक
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.