धनोल्टीः टिहरी बांध से प्रभावित दर्जनों गांव के छात्र-छात्राएं इन दिनों जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को मजबूर हैं. स्थिति यह है कि छात्र वाहनों की छत पर बैठकर स्कूल और कॉलेज जा रहे हैं, ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. वहीं इस सब से प्रशासन बेखबर बना हुआ है. विकासखंड थौलधार के नगुन पट्टी क्षेत्र के बांध प्रभावित दर्जनों गांव के छात्र-छात्राएं जान हथेली पर रखकर स्कूल जाने को मजबूर हैं.
टिहरी झील बनने के बाद पुनर्वास विभाग द्वारा टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (टीएचडीसी) के सहयोग से बांध प्रभावित ग्रामीण क्षेत्र के छात्र- छात्राओं के लिए 4 निःशुल्क स्कूल बसों को संचालित कर रहा था, लेकिन अब इसे टीएचडीसी द्वारा भुगतान न होने के कारण बंद कर दिया गया है. जिससे अब दर्जनों गांवों के बच्चों को स्कूल और कॉलेज आने-जाने के लिए भारी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है.
छात्र-छात्राओं को स्कूल आने-जाने के लिए मीलों का सफर करना पड़ रहा है. ऐसे में कुछ छात्र-छात्राएं समय से स्कूल तो कुछ समय से घर नही पहुंच पा रहे हैं. हालात ये है कि कभी-कभी छात्र वाहनों की छतों पर बैठकर जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं.
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इस संबंध में पूर्व में भी छात्रों द्वारा कण्डीसौड़ तहसील दौरे पर पहुंचे जिलाधिकारी से भी मुलाकात की थी. जिसके बाद जिलाधिकारी के आश्वासन के बाद तीन माह के लिए बस सेवा को शुरू कर दिया गया था. लेकिन अब फिर से बस सेवा बंद होने से छात्र परेशान हैं, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. वहीं इस संबंध में पुनर्वास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि टीएचडीसी द्वारा भुगतान न किये जाने के कारण बस सेवा बंद किया गया है
वहीं पुरानी सड़क के टिहरी झील में समा जाने से नये मार्ग से स्कूल की दूरी बढ़ जाने से वर्ष 2006 से पुनर्वास विभाग टिहरी द्वारा टीएचडीसी के सहयोग से बांध प्रभावित क्षेत्र के बच्चों के लिए निःशुल्क बस सेवा संचालित की जा रही थी. लेकिन बस सेवा बंद होने के बाद अब छात्र जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंच रहे हैं.