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जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को मजबूर छात्र-छात्राएं, बेखबर प्रशासन

भुगतान न होने से बांध प्रभावित दर्जनों गांव के छात्र-छात्राओं के लिए संचालित बस सेवा बंद हो गई है. जिससे छात्र-छात्राओं को जान हथेली पर रखकर सफर करना पड़ रहा है.

मजबूर छात्र
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Published : Jan 22, 2020, 1:51 PM IST

धनोल्टीः टिहरी बांध से प्रभावित दर्जनों गांव के छात्र-छात्राएं इन दिनों जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को मजबूर हैं. स्थिति यह है कि छात्र वाहनों की छत पर बैठकर स्कूल और कॉलेज जा रहे हैं, ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. वहीं इस सब से प्रशासन बेखबर बना हुआ है. विकासखंड थौलधार के नगुन पट्टी क्षेत्र के बांध प्रभावित दर्जनों गांव के छात्र-छात्राएं जान हथेली पर रखकर स्कूल जाने को मजबूर हैं.

टिहरी झील बनने के बाद पुनर्वास विभाग द्वारा टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (टीएचडीसी) के सहयोग से बांध प्रभावित ग्रामीण क्षेत्र के छात्र- छात्राओं के लिए 4 निःशुल्क स्कूल बसों को संचालित कर रहा था, लेकिन अब इसे टीएचडीसी द्वारा भुगतान न होने के कारण बंद कर दिया गया है. जिससे अब दर्जनों गांवों के बच्चों को स्कूल और कॉलेज आने-जाने के लिए भारी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है.

छात्र-छात्राओं को स्कूल आने-जाने के लिए मीलों का सफर करना पड़ रहा है. ऐसे में कुछ छात्र-छात्राएं समय से स्कूल तो कुछ समय से घर नही पहुंच पा रहे हैं. हालात ये है कि कभी-कभी छात्र वाहनों की छतों पर बैठकर जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः बाजार में जाम और कूड़े की समस्या से लोग परेशान, SDM ने दिया जल्द समाधान का आश्वासन

इस संबंध में पूर्व में भी छात्रों द्वारा कण्डीसौड़ तहसील दौरे पर पहुंचे जिलाधिकारी से भी मुलाकात की थी. जिसके बाद जिलाधिकारी के आश्वासन के बाद तीन माह के लिए बस सेवा को शुरू कर दिया गया था. लेकिन अब फिर से बस सेवा बंद होने से छात्र परेशान हैं, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. वहीं इस संबंध में पुनर्वास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि टीएचडीसी द्वारा भुगतान न किये जाने के कारण बस सेवा बंद किया गया है

वहीं पुरानी सड़क के टिहरी झील में समा जाने से नये मार्ग से स्कूल की दूरी बढ़ जाने से वर्ष 2006 से पुनर्वास विभाग टिहरी द्वारा टीएचडीसी के सहयोग से बांध प्रभावित क्षेत्र के बच्चों के लिए निःशुल्क बस सेवा संचालित की जा रही थी. लेकिन बस सेवा बंद होने के बाद अब छात्र जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंच रहे हैं.

धनोल्टीः टिहरी बांध से प्रभावित दर्जनों गांव के छात्र-छात्राएं इन दिनों जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को मजबूर हैं. स्थिति यह है कि छात्र वाहनों की छत पर बैठकर स्कूल और कॉलेज जा रहे हैं, ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. वहीं इस सब से प्रशासन बेखबर बना हुआ है. विकासखंड थौलधार के नगुन पट्टी क्षेत्र के बांध प्रभावित दर्जनों गांव के छात्र-छात्राएं जान हथेली पर रखकर स्कूल जाने को मजबूर हैं.

टिहरी झील बनने के बाद पुनर्वास विभाग द्वारा टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (टीएचडीसी) के सहयोग से बांध प्रभावित ग्रामीण क्षेत्र के छात्र- छात्राओं के लिए 4 निःशुल्क स्कूल बसों को संचालित कर रहा था, लेकिन अब इसे टीएचडीसी द्वारा भुगतान न होने के कारण बंद कर दिया गया है. जिससे अब दर्जनों गांवों के बच्चों को स्कूल और कॉलेज आने-जाने के लिए भारी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है.

छात्र-छात्राओं को स्कूल आने-जाने के लिए मीलों का सफर करना पड़ रहा है. ऐसे में कुछ छात्र-छात्राएं समय से स्कूल तो कुछ समय से घर नही पहुंच पा रहे हैं. हालात ये है कि कभी-कभी छात्र वाहनों की छतों पर बैठकर जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं.

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इस संबंध में पूर्व में भी छात्रों द्वारा कण्डीसौड़ तहसील दौरे पर पहुंचे जिलाधिकारी से भी मुलाकात की थी. जिसके बाद जिलाधिकारी के आश्वासन के बाद तीन माह के लिए बस सेवा को शुरू कर दिया गया था. लेकिन अब फिर से बस सेवा बंद होने से छात्र परेशान हैं, लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. वहीं इस संबंध में पुनर्वास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि टीएचडीसी द्वारा भुगतान न किये जाने के कारण बस सेवा बंद किया गया है

वहीं पुरानी सड़क के टिहरी झील में समा जाने से नये मार्ग से स्कूल की दूरी बढ़ जाने से वर्ष 2006 से पुनर्वास विभाग टिहरी द्वारा टीएचडीसी के सहयोग से बांध प्रभावित क्षेत्र के बच्चों के लिए निःशुल्क बस सेवा संचालित की जा रही थी. लेकिन बस सेवा बंद होने के बाद अब छात्र जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंच रहे हैं.

Intro:
स्कूल बस सेवा बन्द होने से टिहरी बाँध से प्रभावित ग्रामीण क्षेत्र के छात्र परेशानBody:
धनोल्टी
स्लग-क्या ऐसे हो पायेगा देश के भबिष्य का निर्माण ?
एंकर- कहते है कि" आज का छात्र कल के देश का भबिष्य " वास्तव मे हो भी क्यों न देश के अलग अलग संस्थानों में भबिष्य में आज लिख पढ रहे छात्र ही अपनी अपनी जिम्मेदारी सम्भाल कर देश के भबिष्य को आगे बढायेगें जिसके लिए उनकी अच्छी शिक्षा दीक्षा होना बेहद जरूरी है और छात्रो की अच्छी शिक्षा दीक्षा के लिए समय से स्कूल पहुँचना, समय पर खेलना कूदना ,समय पर खाना खाना , यानि समय का बड़ा ही महत्वपूर्ण योगदान होता है लेकिन अगर पढने लिखने की इस उम्र मे छात्र चिन्ता और तनाव मे रहें तो ऐसे मे न सिर्फ उसके पढन पाठन पर असर डालता है बल्कि उसे मानसिक रूप से सिस्टम के प्रति सोचने को मजबूर कर देता है ऐसी ही कुछ पीड़ा से गुजर रहे है विकासखंड थौलधार के नगुन पट्टी क्षेत्र के सैकड़ो टिहरी बाँध से प्रभावित दर्जनो गाँव के छात्र-छात्राएं
बताते चले कि टिहरी झील बनने के बाद पुनर्वास विभाग टिहरी के द्वारा टी एच डी सी के सहयोग से बाँध प्रभावित ग्रामीण क्षेत्र के छात्र छात्राओं के लिए 4 निशुल्क स्कूल बसों को संचालित किया जा रहा था लेकिन अब इसे टी एच डी सी के द्वारा भुगतान न होने के कारण बन्द कर दिया गया है जिससे अब दर्जनो गाँवो के बच्चों स्कूल और कालेज आने के लिए भारी परेशानियों से गुजरना पढ रहा है छात्रों को स्कूल आने जाने के लिए सड़को पर जगह जगह घण्टों इन्तजार करने के बाद भी पैदल ही स्कूल तक पहुँचना पड़ रहा है ऐसे में कुछ छात्र समय से स्कूल तो कुछ समय से घर नही पहुँच पा रहे है हालत ये है कि कभी कभी छात्र बीच सड़क पर खड़े होकर वाहनो को रोककर छतों पर बैठकर जान जोखिम मे डालकर स्कूलों तक पहुँचते है इस सम्बन्ध मे पूर्व मे भी छात्रों के द्वारा कण्डीसौड़ तहसील दौरे पर पहुँचे जिलाधिकारी टिहरी से भी मुलाकात की थी जिसके बाद जिलाधिकारी के आश्वासन के बाद तीन माह के लिए बस सेवा को शुरू कर दिया गया था लेकिन अब फिर से बस सेवा बन्द होने छात्र परेशान है लेकिन इन की सुध लेने वाला कोई नही है वही इस सम्बन्ध मे पुनर्वास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि टी एच डी सी के द्वारा भुगतान न किये जाने के कारण ही बस सेवा बन्द किया गया है



Conclusion:टिहरी बाँध झील बन जाने के बाद पुरानी सड़क के टिहरी झील मे समा जाने से नये मार्ग से स्कूल की दूरी बढ जाने के कारण बर्ष 2006 से पुनर्वास विभाग टिहरी के द्वारा टी एच डी सी के सहयोग से बाँध प्रभावित क्षेत्र के बच्चो के लिए निशुल्क बस सेवा संचालित की जा रही थी लेकिन बस सेवा बन्द होने के बाद अब छात्र बमुश्किल जान जोखिम मे डाल स्कूल पहुँच रहे है
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