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नौ साल बाद भी नहीं बन पाई सड़क, कभी सीएम रहे रमेश पोखरियाल निशंंक ने दी थी स्वीकृति

टिहरी जिले के थौलधार ब्लॉक के बरनोली गांव के लोगों को आज भी एक सड़क की दरकार है. नौ साल पहले तत्कालीन सीएम रमेश पोखरियाल निशंक से स्वीकृत मिलने के बावजूद आज तक सड़क का निर्माण नहीं हो पाया है.

tehri
नही हुआ सड़क निर्माण
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Published : Feb 11, 2020, 10:39 PM IST

टिहरी: नौ साल पहले तत्कालीन सीएम डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा सड़क की स्वीकृति मिलने के बावजूद आज तक सड़क निर्माण कार्य नहीं हो पाया है. इस कड़ी में टिहरी जिले के थौलधार ब्लॉक के बरनोली गांव के ग्रामीणों ने सड़क की मांग को लेकर डीएम को ज्ञापन सौंपा है.

नही हुआ सड़क निर्माण
ग्रामीणों का कहना है कि बरनोली गांव के लिए साल 2011 में तत्कालीन सीएम डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने छह किमी लंबी सड़क की स्वीकृति की घोषणा की थी, लेकिन नौ वर्ष बाद भी सड़क का निर्माण नहीं हो पाया. ग्रामीणों को सबसे अधिक परेशानी तब होती है, जब गांव में कोई बीमार हो जाता है. सड़क न होने से लोग मरीजों को पैदल ही गांव से सड़क तक ले जाने को मजबूर हैं.

ये भी पढ़े: उत्तराखंड पुलिस को बजट से है खास उम्मीद, जानिए कैसा बजट चाहती है 'मित्र पुलिस'

वहीं, सड़क के अभाव में लोग गांव से पलायन करने को मजबूर हैं. ग्रामीणों ने कई बार शासन-प्रशासन तथा लोनिवि के अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन अधिकारी सड़क मंजूरी की फाइल शासन स्तर पर लंबित होने की बात करते हैं.

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग का जल्द निस्तारण नहीं होता है तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. साथ ही उन्होंने एनएच-94 ऋषिकेश-गंगोत्री चारधाम यात्रा वाली सड़क पर जाम लगाकर बाधित करने की भी धमकी दी है.

वहीं जिलाधिकारी का कहना है कि इस मामले को शासन को भेज दिया गया है. जैसे ही अनुमति आएगी, उसके बाद काम शुरू कर दिया जाएगा.

टिहरी: नौ साल पहले तत्कालीन सीएम डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा सड़क की स्वीकृति मिलने के बावजूद आज तक सड़क निर्माण कार्य नहीं हो पाया है. इस कड़ी में टिहरी जिले के थौलधार ब्लॉक के बरनोली गांव के ग्रामीणों ने सड़क की मांग को लेकर डीएम को ज्ञापन सौंपा है.

नही हुआ सड़क निर्माण
ग्रामीणों का कहना है कि बरनोली गांव के लिए साल 2011 में तत्कालीन सीएम डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने छह किमी लंबी सड़क की स्वीकृति की घोषणा की थी, लेकिन नौ वर्ष बाद भी सड़क का निर्माण नहीं हो पाया. ग्रामीणों को सबसे अधिक परेशानी तब होती है, जब गांव में कोई बीमार हो जाता है. सड़क न होने से लोग मरीजों को पैदल ही गांव से सड़क तक ले जाने को मजबूर हैं.

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वहीं, सड़क के अभाव में लोग गांव से पलायन करने को मजबूर हैं. ग्रामीणों ने कई बार शासन-प्रशासन तथा लोनिवि के अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन अधिकारी सड़क मंजूरी की फाइल शासन स्तर पर लंबित होने की बात करते हैं.

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांग का जल्द निस्तारण नहीं होता है तो वे आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. साथ ही उन्होंने एनएच-94 ऋषिकेश-गंगोत्री चारधाम यात्रा वाली सड़क पर जाम लगाकर बाधित करने की भी धमकी दी है.

वहीं जिलाधिकारी का कहना है कि इस मामले को शासन को भेज दिया गया है. जैसे ही अनुमति आएगी, उसके बाद काम शुरू कर दिया जाएगा.

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