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दुष्कर्म पीड़िता से मिलीं मंत्री रेखा आर्य, बच्ची का छलका दर्द, बोली- पुलिस अफसर बन दरिंदों को भेजूंगी जेल

नाबालिग पीड़िता से बातचीत के आधार पर उन्होंने बताया कि  बच्ची बहादुर है और वह फिर से जल्दी पढ़ाई के लिए स्कूल जाएगी. उन्होंने कहा बच्ची ने बताया कि वह पढ़-लिखकर पुलिस अधिकारी बनना चाहती है, ताकि अपराधियों को सबक सिखा सके.

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Published : Jun 3, 2019, 11:44 PM IST

रेखा आर्य, बाल विकास मंत्री

देहरादून: टिहरी जिले की 9 साल की मासूम के साथ हुए दुष्कर्म मामले में बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने पीड़िता को सात लाख रुपये की मदद की बात कही है. साथ ही मामले में पुलिस के रवैया पर भी सवाल खड़े किये हैं. रेखा आर्य ने पीड़िता से बातचीत के आधार पर बताया कि वह बड़ी होकर पुलिस अधिकारी बनना चाहती है और ऐसे अपराधियों को सबक सिखाना चाहती है.

रेखा आर्य, बाल विकास मंत्री

सोमवार को बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने दून अस्पताल पहुंचकर रेप पीड़िता और उसके परिजनों से मुलाकात की. रेखा आर्य ने बताया कि इस तरह की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और उत्तराखंड को शर्मसार करने वाली है. उन्होंने कहा कि सरकार मामले को लेकर गंभीर है, इस घटना के बाद आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया. साथ ही पीड़ित परिवार को ढाई लाख रुपये की मदद भी की गई. उन्होंने कहा कि उनका विभाग पीड़िता के परिवार को सात लाख रुपये की मदद देगा, जिससे उसका भविष्य सुरक्षित हो सके.

नाबालिग पीड़िता से बातचीत के आधार पर उन्होंने बताया कि बच्ची बहादुर है और वह फिर से जल्दी पढ़ाई के लिए स्कूल जाएगी. उन्होंने कहा बच्ची ने बताया कि वह पढ़-लिखकर पुलिस अधिकारी बनना चाहती है, ताकि अपराधियों को सबक सिखा सके.

उन्होंने पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि पीड़िता के परिजनों ने शिकायत की है कि पुलिस द्वारा अपराधी और बच्ची को एक ही गाड़ी में बैठाकर ले जाया गया, जो बेहद ही गलत है. उन्होंने कहा कि इस मामले में वे डीजीपी और मुख्यमंत्री से मिलकर ऐसे अधिकारियों को सस्पेंड कराने का अनुरोध करेंगी.

देहरादून: टिहरी जिले की 9 साल की मासूम के साथ हुए दुष्कर्म मामले में बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने पीड़िता को सात लाख रुपये की मदद की बात कही है. साथ ही मामले में पुलिस के रवैया पर भी सवाल खड़े किये हैं. रेखा आर्य ने पीड़िता से बातचीत के आधार पर बताया कि वह बड़ी होकर पुलिस अधिकारी बनना चाहती है और ऐसे अपराधियों को सबक सिखाना चाहती है.

रेखा आर्य, बाल विकास मंत्री

सोमवार को बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने दून अस्पताल पहुंचकर रेप पीड़िता और उसके परिजनों से मुलाकात की. रेखा आर्य ने बताया कि इस तरह की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और उत्तराखंड को शर्मसार करने वाली है. उन्होंने कहा कि सरकार मामले को लेकर गंभीर है, इस घटना के बाद आरोपी को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया. साथ ही पीड़ित परिवार को ढाई लाख रुपये की मदद भी की गई. उन्होंने कहा कि उनका विभाग पीड़िता के परिवार को सात लाख रुपये की मदद देगा, जिससे उसका भविष्य सुरक्षित हो सके.

नाबालिग पीड़िता से बातचीत के आधार पर उन्होंने बताया कि बच्ची बहादुर है और वह फिर से जल्दी पढ़ाई के लिए स्कूल जाएगी. उन्होंने कहा बच्ची ने बताया कि वह पढ़-लिखकर पुलिस अधिकारी बनना चाहती है, ताकि अपराधियों को सबक सिखा सके.

उन्होंने पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि पीड़िता के परिजनों ने शिकायत की है कि पुलिस द्वारा अपराधी और बच्ची को एक ही गाड़ी में बैठाकर ले जाया गया, जो बेहद ही गलत है. उन्होंने कहा कि इस मामले में वे डीजीपी और मुख्यमंत्री से मिलकर ऐसे अधिकारियों को सस्पेंड कराने का अनुरोध करेंगी.

Intro:टिहरी जिले के नैनबाग इलाके में 9 साल की मासूम के साथ दुष्कर्म मामले बाल विकास मंत्री रेखा आर्य ने पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाएं, इसके अलावा उन्होंने कहा कि पीड़िता नाबालिक के परिजनों को उत्तराखंड अपराध से सहायता पीड़ित योजना के तहत सात लाख रुपये तक की व्यवस्था की जाएगी ताकि पीड़िता और उसका परिवार अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सकें।


Body:देहरादून के दून मेडिकल कॉलेज की महिला विंग में नाबालिग किशोरी को देखने पहुंची रेखा आर्य ने पीड़िता के परिजनों और पीड़िता से मुलाकात की, इस दौरान उन्होंने कहा कि यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण और उत्तराखंड को शर्मसार करने वाली है जिस प्रकार से पीड़िता की मां ने घटना की व्याख्या की है उससे प्रतीत होता है कि कहीं ना कहीं समाज में नैतिकता का स्तर लगातार गिरता जा रहा है और कहीं ना कहीं संस्कारों का अभाव भी दिखाई दे रहा है मां और पीड़िता के प्रति सरकार का दायित्व है कि जैसी घटना की जानकारी मिली आरोपी को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया सरकार ने अपने दायित्वों का निर्वाह करते हुए पीड़िता को ढाई लाख रुपए की मदद फौरी तौर पर की। अब बाल विकास विभाग की तरफ से भी बच्ची के परिजनों को उत्तराखंड अपराध से सहायता पीड़ित योजना के तहत सात लाख रुपये तक की व्यवस्था करके उन्हें दी जाएगी, ताकि पीड़िता और उसका परिवार अपने आप को सुरक्षित महसूस कर सकें, वहीं कोर्ट के ऑर्डर के अनुसार यह धनराशि बढ़ भी सकती है। उन्होंने कहा कि कि पीड़िता नाबालिग के मॉरल को बढ़ाने की जरूरत है जिस प्रकार से उसने घटना का विस्तृत विवरण दिया है उससे लगता है कि बच्ची बहुत बहादुर है बच्ची को पुनः पढ़ाई कराई जाएगी ताकि वो पुलिस अधिकारी बनने का सपना पूरा कर सकें। उन्होंने उन्होंने पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए कहा कि जिस प्रकार से पुलिस की तरफ से उनके परिजनों ने शिकायत की है कि पुलिस अपराधी और बच्ची को एक ही गाड़ी में बैठा कर ले गए थे, उसे देखकर लगता है कि निश्चित रूप से पुलिस ने घृणित कार्य किया है। इस मामले में वे डीजीपी और मुख्यमंत्री से मिलकर ऐसे अधिकारियों को सस्पेंड कराने का अनुरोध करेंगी।

बाईट- रेखा आर्य, बाल विकास मंत्री


Conclusion:गौरतलब है कि बीती 31 मई को पुलिस दून अस्पताल से पीड़ित बच्ची व मां को सीधे 150 किलोमीटर दूर गांव ले गई फिर 2 जून को करीब ढाई सौ किलोमीटर दूरी 164 के बयान दर्ज कराने के लिए ले गई किंतु बयान नहीं हो सके। इस दौरान पुलिस ने आरोपी के साथ ही पीड़िता को भी 4 घंटे के सफ़र में उसी गाड़ी में बैठाया,जिसका संज्ञान लेते हुए रेखा आर्य ने भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाए हैं
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