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एक दशक बाद भरपूर और स्यालगी गांव में लहलहाएगी खेती, आपदा से क्षतिग्रस्त नहर का हुआ पुनर्निर्माण - आपदा से क्षतिग्रस्त नहर

टिहरी के भरपूर और स्यालगी गांव के खेत फिर से आबाद होंगे. साथ ही सिंचाई के अभाव में बंजर हो चुकी भूमि में एक बार फिर से खेती लहलहाएगी. दरअसल, यहां एक दशक बाद सिंचाई नहर की मरम्मत हो गई है. अब किसानों को सिंचाई के लिए आसमान की ओर नहीं ताकना पड़ेगा.

tehri canal repair
सिंचाई नहर
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Published : Jun 1, 2022, 10:26 PM IST

टिहरीः प्रतापनगर ब्लॉक के भरपूर और स्यालगी गांव में एक दशक बाद फिर से खेती लहलहाएगी. यहां की सिंचाई नहरें साल 2012-13 में दैवीय आपदा की भेंट चढ़ गई थी. जिससे खेती प्रभावित हो रही थी, लेकिन अब मनरेगा के तहत सिंचाई नहर का पुनर्निर्माण कराया गया है. जिससे बंजर हो चुके खेतों में पानी पहुंचने लगा है. ऐसे में ग्रामीणों को भी अब अच्छी खेती की उम्मीद जग गई है.

दरअसल, साल 2012-13 में प्रतापनगर ब्लॉक की जलकुर नदी में आपदा से भयंकर तबाही मची थी. जिस कारण पिपलोगी, सेरा, बैल्डोगी, स्यालगी, भरपूर आदि गांव के ग्रामीणों की हजारों नाली सिंचित खेती और नहरें पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी. भरपूर और स्यालगी गांव के लोगों की सिंचाई नहरें जलकुर नदी में समाने के कारण कई हेक्टेयर भूमि बंजर होती चली गई. उन्होंने शासन-प्रशासन से नहर बनाने की गुहार लगाई.

ये भी पढ़ेंः सरकारी अफसरों की नई करतूत, जलकुर नदी में ही बना डाली सिंचाई नहर

वहीं, भरपूर गांव की क्षेत्र पंचायत सदस्य आरती देवी ने ग्रामीणों की पीड़ा समझते हुए खेतों को आबाद करने के लिए नहर बनाने की ठानी. जिसके बाद आरती देवी के प्रस्ताव पर मनरेगा के तहत नहर की मरम्मत का कार्य शुरू किया गया. जिसमें गांव के 70 जॉब कार्ड धारकों ने 15 दिन में नहर की मरम्मत की.

उन्होंने क्षेत्र पंचायत निधि और अन्य स्त्रोत से महज 4 लाख रुपए की लागत से गांव के डाबर नामे तोक वाली नहर का पुनर्निर्माण कराया. साथ ही जलकुर नदी पर 14 मीटर लंबा और 3 मीटर ऊंचा, डेढ़ मीटर ऊंचा स्पान तैयार कराया. जिसके बाद नहर बनाकर खेतों के सिंचाई के लिए पानी चलने लग गया है. नहर के निर्माण से गांव के 200 परिवारों को खेती की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो गया है.

ये भी पढ़ेंः टिहरी के युवाओं ने आत्मनिर्भरता से गांव को किया आबाद, बंजर खेत में उगाया 'सोना'

इसके अलावा स्यालगी गांव के सेरा नामे तोक नहर का भी मनरेगा के तहत दोबारा निर्माण कराकर सैकड़ों परिवारों की सिंचित खेती को आबाद करने का कार्य किया है. प्रतापनगर के ब्लॉक प्रमुख प्रदीप रमोला ने भी क्षेपं सदस्य की जज्बे की सराहना की है. उन्होंने कहा कि यदि सभी जनप्रतिनिधि इस तरह गांव के विकास के लिए कार्य करेंगे तो पूरे गांव का सर्वांगीण विकास होगा.

टिहरीः प्रतापनगर ब्लॉक के भरपूर और स्यालगी गांव में एक दशक बाद फिर से खेती लहलहाएगी. यहां की सिंचाई नहरें साल 2012-13 में दैवीय आपदा की भेंट चढ़ गई थी. जिससे खेती प्रभावित हो रही थी, लेकिन अब मनरेगा के तहत सिंचाई नहर का पुनर्निर्माण कराया गया है. जिससे बंजर हो चुके खेतों में पानी पहुंचने लगा है. ऐसे में ग्रामीणों को भी अब अच्छी खेती की उम्मीद जग गई है.

दरअसल, साल 2012-13 में प्रतापनगर ब्लॉक की जलकुर नदी में आपदा से भयंकर तबाही मची थी. जिस कारण पिपलोगी, सेरा, बैल्डोगी, स्यालगी, भरपूर आदि गांव के ग्रामीणों की हजारों नाली सिंचित खेती और नहरें पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई थी. भरपूर और स्यालगी गांव के लोगों की सिंचाई नहरें जलकुर नदी में समाने के कारण कई हेक्टेयर भूमि बंजर होती चली गई. उन्होंने शासन-प्रशासन से नहर बनाने की गुहार लगाई.

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वहीं, भरपूर गांव की क्षेत्र पंचायत सदस्य आरती देवी ने ग्रामीणों की पीड़ा समझते हुए खेतों को आबाद करने के लिए नहर बनाने की ठानी. जिसके बाद आरती देवी के प्रस्ताव पर मनरेगा के तहत नहर की मरम्मत का कार्य शुरू किया गया. जिसमें गांव के 70 जॉब कार्ड धारकों ने 15 दिन में नहर की मरम्मत की.

उन्होंने क्षेत्र पंचायत निधि और अन्य स्त्रोत से महज 4 लाख रुपए की लागत से गांव के डाबर नामे तोक वाली नहर का पुनर्निर्माण कराया. साथ ही जलकुर नदी पर 14 मीटर लंबा और 3 मीटर ऊंचा, डेढ़ मीटर ऊंचा स्पान तैयार कराया. जिसके बाद नहर बनाकर खेतों के सिंचाई के लिए पानी चलने लग गया है. नहर के निर्माण से गांव के 200 परिवारों को खेती की सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो गया है.

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इसके अलावा स्यालगी गांव के सेरा नामे तोक नहर का भी मनरेगा के तहत दोबारा निर्माण कराकर सैकड़ों परिवारों की सिंचित खेती को आबाद करने का कार्य किया है. प्रतापनगर के ब्लॉक प्रमुख प्रदीप रमोला ने भी क्षेपं सदस्य की जज्बे की सराहना की है. उन्होंने कहा कि यदि सभी जनप्रतिनिधि इस तरह गांव के विकास के लिए कार्य करेंगे तो पूरे गांव का सर्वांगीण विकास होगा.

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