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नेशनल मॉडर्न लाइब्रेरी के लिए चयनित राजशाही पुस्तकालय, संस्कृति और वित्त मंत्रालय ने दी स्वीकृति

1923 में निर्मित राजशाही पुस्तकालय को संस्कृति और वित्त मंत्रालय से स्वीकृति मिलने के बाद इसका नेशनल मॉडर्न लाइब्रेरी के लिए चयन हो गया है. इस लाइब्रेरी में राजाओं के द्वारा हस्तलिखित पाण्डुलिपि दस्तावेज और 30 हजार से अधिक रियासत के समय के दस्तावेज सुरक्षित रखे गए हैं.

नेशनल मॉडर्न लाइब्रेरी के लिए चयनित राजशाही पुस्तकालय.
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Published : Nov 16, 2019, 10:04 PM IST

टिहरी: जिले के बौराड़ी में स्थित सबसे पुरानी और राजशाही जमाने की लाइब्रेरी नेशनल मॉडर्न लाइब्रेरी के लिए चयनित हुई है. इसके लिए भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और फाइनेंस ऑफ मिनिस्ट्री से स्वीकृति मिल गई है. इस लाइब्रेरी में राजाओं के जमाने की हस्तलिखित पाण्डुलिपि दस्तावेज और 30 हजार से अधिक की रियासत दस्तावेज सुरक्षित हैं.

नेशनल मॉडर्न लाइब्रेरी के लिए चयनित राजशाही पुस्तकालय.

इस लाइब्रेरी की स्थापना 1923 में पुरानी टिहरी में नरेन्द्र शाह ने की थी, जिसकी देखरेख राज परिवार के लोग करते थे. लेकिन, राजशाही शासन समाप्त होने पर ये लाइब्रेरी सरकार के शिक्षा विभाग को सौंप दी गई. उसी दौरान इसका नाम सुमन लाइब्रेरी रखा गया. पुरानी टिहरी में ये श्रीदेव सुमन लाइब्रेरी, राजमाता स्कूल और कान्वेंट स्कूल घंटाघर के पास बना हुआ था, जहां पर हर समय पढ़ने वालों की भीड़ लगी रहती थी.

ये भी पढ़ें: डोइवाला BSF सेंटर नहीं होगा शिफ्ट, गृह मंत्रालय ने उत्तराखंड सरकार को लिखा पत्र

टिहरी बांध की झील बनने के बाद श्रीदेव सुमन लाईब्रेरी को साल 2000 में नई टिहरी के बौराड़ी में शिफ्ट कर दिया गया. लाइब्रेरी की देखरेख करने वाले मनोज वर्मा बताते हैं कि ये लाइब्रेरी उत्तराखंड की पहली लाइब्रेरी है, जिसे भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और फाइनेंस ऑफ मिनिस्ट्री से स्वीकृति मिल गई है. सुमन लाइब्रेरी राजाओं के जमाने की है. इसमें राजाओं के हस्तलिखित पाण्डुलिपि दस्तावेज और 30 हजार से अधिक रियासत के समय के दस्तावेज सुरक्षित रखे गए हैं.

टिहरी: जिले के बौराड़ी में स्थित सबसे पुरानी और राजशाही जमाने की लाइब्रेरी नेशनल मॉडर्न लाइब्रेरी के लिए चयनित हुई है. इसके लिए भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और फाइनेंस ऑफ मिनिस्ट्री से स्वीकृति मिल गई है. इस लाइब्रेरी में राजाओं के जमाने की हस्तलिखित पाण्डुलिपि दस्तावेज और 30 हजार से अधिक की रियासत दस्तावेज सुरक्षित हैं.

नेशनल मॉडर्न लाइब्रेरी के लिए चयनित राजशाही पुस्तकालय.

इस लाइब्रेरी की स्थापना 1923 में पुरानी टिहरी में नरेन्द्र शाह ने की थी, जिसकी देखरेख राज परिवार के लोग करते थे. लेकिन, राजशाही शासन समाप्त होने पर ये लाइब्रेरी सरकार के शिक्षा विभाग को सौंप दी गई. उसी दौरान इसका नाम सुमन लाइब्रेरी रखा गया. पुरानी टिहरी में ये श्रीदेव सुमन लाइब्रेरी, राजमाता स्कूल और कान्वेंट स्कूल घंटाघर के पास बना हुआ था, जहां पर हर समय पढ़ने वालों की भीड़ लगी रहती थी.

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टिहरी बांध की झील बनने के बाद श्रीदेव सुमन लाईब्रेरी को साल 2000 में नई टिहरी के बौराड़ी में शिफ्ट कर दिया गया. लाइब्रेरी की देखरेख करने वाले मनोज वर्मा बताते हैं कि ये लाइब्रेरी उत्तराखंड की पहली लाइब्रेरी है, जिसे भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और फाइनेंस ऑफ मिनिस्ट्री से स्वीकृति मिल गई है. सुमन लाइब्रेरी राजाओं के जमाने की है. इसमें राजाओं के हस्तलिखित पाण्डुलिपि दस्तावेज और 30 हजार से अधिक रियासत के समय के दस्तावेज सुरक्षित रखे गए हैं.

Intro:टिहरी जिले के बौराडी में सबसे पुरानी व बडी राजशाही के जमाने की लाईब्रेरी नेशनल मॉर्डन लाईब्रेरी के लिए हुई चयनित,संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार और फाइनेंस ऑफ मिनिस्ट्री से स्वीकीर्ति मिल गई है,Body:इस लाईब्रेरी की स्थापना 1923 में पुरानी टिहरी में नरेन्द्रशाह ने की थी जिसकी देखरेख राज परिवार के लोग करते थे लेकिन बाद में राजशाही समाप्त होने पर यह लाईब्रेरी सरकार के शिक्षा बिभाग को सौंप दी गई। उसी दौरान इसका नाम सुमन लाईब्रेरी के नाम रखा गया। पुरानी टिहरी में यह सुमन लाईब्रेरी डिग्री कालेज राजमात स्कूल कान्वेन्ट स्कूल अस्पताल कचहरी घण्टाघर के पास बना हुआ था जहा पर हर समय पढने वालो की भीड लगी रहती थी यह पर बैठने को जगह नही मिलती थी लोग खडे खडे यह किताबो आदि पढते थे

टिहरी बांध की झील बनने के बाद इस सुमन लाईब्रेरी को सन 2000 में नई टिहरी के बौराडी में शिप्ट किया गया




Conclusion:इस लाईब्रेरी की देखरेख करने वाले मनोज बर्मा का कहना है कि यह लाईब्रेरी उत्तराखंड की पहली लाईब्रेरी है जिसे संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार और फाइनेंस ऑफ मिनिस्ट्री से स्वीकीर्ति मिल गई है,

सुमन लाईब्रेरी राज राजाओ के जमाने की हे इसमें राजाओ के द्धारा हस्तलिखित पाण्डुलिपि दस्तावेज व 30 हजार से अधिक रियासत के समय के दस्तावेज सुरक्षित रखे गये हे। यह पर बच्चे पढने को आते हे

बाइट मनोज बर्मा लाईब्रेरी संचालक



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