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15 सालों को लंबा इंतजार जल्द होने जा रहा खत्म, 'कालापानी' की सजा से मिलेगी मुक्ति - टिहरी न्यूज

टिहरी बांध की झील बनने के कारण आवागमन में परेशान झेल रहे प्रतापनगर वासियों को सितंबर में चांठी-डोबरा पुल की सौगात मिलेगी.

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Published : Jul 25, 2020, 10:57 PM IST

टिहरी: लोक निर्माण विभाग के सचिव आरके सुधांशु ने शनिवार को टिहरी झील पर बने डोबरा-चांठी पुल का निरीक्षण किया. इस दौरान सचिव सुधांशु ने कार्यदायी संस्था को बचे हुए कामों को तत्काल पूरा करने के निर्देश दिए हैं. ताकि सितंबर में पुल का उद्घाटन किया जाएगा.

15 सालों को लंबा इंतजार जल्द होने जा रहा खत्म.

सचिव सुधांशु ने कहा कि सितंबर में ये पुल प्रताप नगर की जनता के लिए खोल दिया जाएगा. जिससे प्रताप नगर की जनता को बड़ा लाभ मिलेगा. उम्मीद की जा रही है कि इस पुल का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. इंजीनियरिंग की दृष्टि से यह पुल एक मिसाल है. अभी सुरक्षा आडिट होना है, जिसके बाद ये पुलिस जनता के लिए खोल दिया जाएगा. कोरोना की वजह से पुल के निर्माण में थोड़ी देरी हुई है.

पढ़ें-PM मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट ऑल वेदर रोड में हो रहा मजाक, धनौल्टी में उखड़ने लगी सड़क

प्रतापनगर के लोगों को मिलेगी बड़ी राहत

इस पुल के बनने से ढाई लाख की आबादी की मुश्किलें कम हो जाएंगी. पुल के बनने से पहले जहां प्रतापनगर के लोगों को नई टिहरी बाजार पहुंचने में करीब पांच घंटे लगते थे, पुल बनने के बाद यह समय घटकर सिर्फ डेढ़ घंटे रह जाएगा. इसके साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा की स्थिति में भी सुधार होगा.

2006 में हुआ था काम शुरू

बता दें कि साल 2006 में शुरू हुए डोबरा पुल के काम के दौरान कई समस्याएं सामने आईं. गलत डिजायन, कमजोर प्लानिंग और विषम परिस्थितयों के चलते पुल का काम कई बार रुका भी था, लेकिन अब इस पुल के ऊपर वाहन गुजरने में बस कुछ महीनों का समय बाकी है.

पढ़ें- आपदा का खौफ: धापा गांव के 47 परिवारों ने छोड़े मकान, प्लास्टिक टेंट का 'सहारा'

दक्षिण कोरिया की कंपनी ने बनाया डिजाइन

टिहरी झील पर बन रहे देश के सबसे लंबे डोबरा-चांठी सस्पेंशन ब्रिज झूला पुल का निर्माण कार्य साल 2006 में शुरू हुआ था, लेकिन साल 2010 में डिजाइन फेल होने के कारण इसे बंद करना पड़ा. इसके बाद वर्ष 2016 में लोनिवि निर्माण खंड ने दोबारा निर्माण कार्य शुरू किया. पुल के डिजायन के लिए अंतरराष्ट्रीय निविदा जारी की गई, जिसके बाद पुल का नया डिजाइन दक्षिण कोरिया की कंपनी योसीन से तैयार कराया गया. तब से कार्य तेजी से चल रहा था, लेकिन बीच में साल 2018 में पुल तीन सस्पेंडर (पुल के बेस को लटकाने वाले लोहे के रस्से) अचानक टूट गए. इससे पुल का निर्माणाधीन हिस्सा टेढ़ा हो गया, जिसके बाद फिर से पुल का काम शुरू किया गया.

तकनीक की मिसाल

टिहरी बांध प्रभावित प्रतापनगर और उत्तरकाशी के गाजणा क्षेत्र की बड़ी आबादी को जोड़ने वाले डोबरा-चांठी पुल की कुल लंबाई 725 मीटर है. इसमें सस्पेंशन ब्रिज 440 मीटर लंबा है। इसमें 260 मीटर आरसीसी डोबरा साइड और 25 मीटर स्टील गार्डर चांठी साइड है। पुल की कुल चौड़ाई सात मीटर है, जिसमें मोटर मार्ग की चौड़ाई साढ़े पांच मीटर है, जबकि फुटपाथ की चौड़ाई 0.75 मीटर है.

टिहरी: लोक निर्माण विभाग के सचिव आरके सुधांशु ने शनिवार को टिहरी झील पर बने डोबरा-चांठी पुल का निरीक्षण किया. इस दौरान सचिव सुधांशु ने कार्यदायी संस्था को बचे हुए कामों को तत्काल पूरा करने के निर्देश दिए हैं. ताकि सितंबर में पुल का उद्घाटन किया जाएगा.

15 सालों को लंबा इंतजार जल्द होने जा रहा खत्म.

सचिव सुधांशु ने कहा कि सितंबर में ये पुल प्रताप नगर की जनता के लिए खोल दिया जाएगा. जिससे प्रताप नगर की जनता को बड़ा लाभ मिलेगा. उम्मीद की जा रही है कि इस पुल का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. इंजीनियरिंग की दृष्टि से यह पुल एक मिसाल है. अभी सुरक्षा आडिट होना है, जिसके बाद ये पुलिस जनता के लिए खोल दिया जाएगा. कोरोना की वजह से पुल के निर्माण में थोड़ी देरी हुई है.

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प्रतापनगर के लोगों को मिलेगी बड़ी राहत

इस पुल के बनने से ढाई लाख की आबादी की मुश्किलें कम हो जाएंगी. पुल के बनने से पहले जहां प्रतापनगर के लोगों को नई टिहरी बाजार पहुंचने में करीब पांच घंटे लगते थे, पुल बनने के बाद यह समय घटकर सिर्फ डेढ़ घंटे रह जाएगा. इसके साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा की स्थिति में भी सुधार होगा.

2006 में हुआ था काम शुरू

बता दें कि साल 2006 में शुरू हुए डोबरा पुल के काम के दौरान कई समस्याएं सामने आईं. गलत डिजायन, कमजोर प्लानिंग और विषम परिस्थितयों के चलते पुल का काम कई बार रुका भी था, लेकिन अब इस पुल के ऊपर वाहन गुजरने में बस कुछ महीनों का समय बाकी है.

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दक्षिण कोरिया की कंपनी ने बनाया डिजाइन

टिहरी झील पर बन रहे देश के सबसे लंबे डोबरा-चांठी सस्पेंशन ब्रिज झूला पुल का निर्माण कार्य साल 2006 में शुरू हुआ था, लेकिन साल 2010 में डिजाइन फेल होने के कारण इसे बंद करना पड़ा. इसके बाद वर्ष 2016 में लोनिवि निर्माण खंड ने दोबारा निर्माण कार्य शुरू किया. पुल के डिजायन के लिए अंतरराष्ट्रीय निविदा जारी की गई, जिसके बाद पुल का नया डिजाइन दक्षिण कोरिया की कंपनी योसीन से तैयार कराया गया. तब से कार्य तेजी से चल रहा था, लेकिन बीच में साल 2018 में पुल तीन सस्पेंडर (पुल के बेस को लटकाने वाले लोहे के रस्से) अचानक टूट गए. इससे पुल का निर्माणाधीन हिस्सा टेढ़ा हो गया, जिसके बाद फिर से पुल का काम शुरू किया गया.

तकनीक की मिसाल

टिहरी बांध प्रभावित प्रतापनगर और उत्तरकाशी के गाजणा क्षेत्र की बड़ी आबादी को जोड़ने वाले डोबरा-चांठी पुल की कुल लंबाई 725 मीटर है. इसमें सस्पेंशन ब्रिज 440 मीटर लंबा है। इसमें 260 मीटर आरसीसी डोबरा साइड और 25 मीटर स्टील गार्डर चांठी साइड है। पुल की कुल चौड़ाई सात मीटर है, जिसमें मोटर मार्ग की चौड़ाई साढ़े पांच मीटर है, जबकि फुटपाथ की चौड़ाई 0.75 मीटर है.

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