टिहरी: भाजपा सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह के पूर्वजों की विरासत प्रतापनगर का राजमहल खंडहर में तब्दील हो चुका है. बता दें कि 28 दिसम्बर 1815 को पुरानी टिहरी को राजा सुदर्शन शाह ने बसाया था. 1887 में प्रतापशाह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र कीर्तिशाह गद्दी पर बैठ गए. लेकिन आश्चर्य की बात तो ये है कि इसी टिहरी सीट से माला राज्य लक्ष्मी शाह को जीत मिली है लेकिन सांसद अपने पूर्वजों का पैतृक राजमहल नहीं संजो सकीं, जिससे वो आज खण्डर में तब्दील हो गया.
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प्रतापशाह ने अपने नाम से 1877 में टिहरी से करीब 15 किमी पैदल दूर उत्तर दिशा में ऊंचाई वाली पहाड़ी पर प्रतापनगर बसाना शुरू किया. इससे टिहरी का विस्तार कुछ प्रभावित हुआ. टिहरी से प्रतापनगर आने-जाने के लिए भिलंगना नदी पर झूला पुल (कण्डल पुल) का निर्माण होने से एक बड़े क्षेत्र (रैका-धारमण्डल) की आबादी का टिहरी आना-जाना आसान हो गया और इसी प्रतापनगर में राजा ने राजमहल का निर्माण कराया. जिसके बाद राजशाही सर्दी के 6 महीने पुरानी टिहरी से होती थी और गर्मी के 6 महीने प्रतापनगर से होती थी, जो राजमहल आज विरान और खंडहर बन गया.
इस वजह से होनी चाहिए थी हिफाजत
वहीं सरकार पलायन रोकने के बातें कर रही है, लेकिन प्रतापनगर का ये राज महल सरकार के पलायन नीति को अंगूठा दिखाता नजर आ रहा है. दरअसल, इस महल को देखने के लिए काफी मात्रा में लोगों की भीड़ रहती है और अगर सरकार इसे संजो कर रखे तो इससे पर्यटन को बढ़ावा मिल सकता था. लेकिन इस ओर किसी ने ध्यान नहीं दिया. जिससे आज ये महल खंडहर में तब्दील हो गया है.
ये भी है वजह
ये राजमहल ऐसा-वैसा नहीं बल्कि टिहरी की भाजपा सांसद माला राज्य लक्ष्मी शाह के पूर्वजों की विरासत है. जिसे राजा प्रतापशाह ने बनवाया था. लेकिन सांसद के इसपर ध्यान नहीं दिए जाने से पूर्वजों की विरासत खत्म होने के कगार पर आ गई है.