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टिहरी के सबसे बड़े बौराड़ी अस्पताल को पीपीपी मोड से हटाने की मांग, ग्रामीणों ने कही ये बात

टिहरी के जिला अस्पताल बौराड़ी को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी है. उनका कहना है कि बौराड़ी अस्पताल को पीपीपी मोड से बाहर किया जाए.

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Published : Jan 27, 2020, 7:14 PM IST

Updated : Jan 27, 2020, 7:30 PM IST

बौराड़ी अस्पताल
बौराड़ी अस्पताल

नई टिहरी: जिला अस्पताल बौराड़ी में मरीजों और तीमारदारों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और इलाज में लापरवाही को लेकर एक बैठक की गई. इसमें अस्पताल के प्रबंधक, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधिकारी और जिला स्तरीय प्रतिनिधि पहुंचे. बैठक में अस्पताल को पीपीपी मोड से हटाने की वकालत की गई.

बौराड़ी अस्पताल को पीपीपी मोड से हटाने की मांग

वैसे इस बैठक का मुख्य उद्देश्य पीपीपी मोड पर संचालित हो रहे जिला अस्पताल बौराड़ी के संबंध में जनप्रतिनिधियों एवं हितधारकों के मध्य सीधा समन्वय करना था. ताकि पीपीपी मोड पर संचालित हो रहे जिला अस्पताल की कमियों को दूर किया जा सके, लेकिन बैठक महज कुछ गिने-चुने लोगों तक ही सीमित रही.


बता दें टिहरी गढ़वाल का सबसे बड़ा जिला अस्पताल बौराड़ी को निजीकरण के तहत स्वामी राम हिमालय जॉलीग्रांट को पांच साल के लिए दिया गया है. पीपीपी मोड पर अस्पताल को एक साल से अधिक का वक्त हो गया है, लेकिन यहां पर मरीजों के साथ दुर्व्यवहार और इलाज के दौरान लापरवाही देखने को मिलती है. समय-समय पर स्थानीय जनप्रतिनिधि अस्पताल के बाहर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ धरना प्रदर्शन भी कर चुके हैं. लेकिन अस्पताल प्रबंधन के कान में जू तक नहीं रेंगती.

पढ़ेंः PPA मोड पर चल रहे अस्पताल का मरीजों को नहीं मिल रहा लाभ, सड़कों पर उतरने की दी चेतावनी

ऐसे में अब स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उत्तराखंड सरकार से अनुरोध किया है कि अस्पताल को पीपीपी मोड से हटाया जाए, ताकि अस्पताल में मरीजों का सही तरीके से इलाज हो सके. उनका कहना है कि जब अस्पताल उत्तराखंड सरकार के अधीन था, उस वक्त मरीजों को इलाज के लिए कोई परेशानी नहीं होती थी. लेकिन अब पीपीपी मोड आने के बाद मरीजों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं होने लगी हैं.

पढ़ेंः अस्पताल से महिला को नहीं मिली व्हील चेयर, फ्रैक्चर पैर के साथ पैदल नापा रास्ता

इसी को लेकर अस्पताल प्रबंधन और उत्तराखंड स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा जिला स्तरीय प्रतिनिधियों व हितधारकों के मध्य समन्वय बैठक का आयोजन किया गया. सामाजिक कार्यकर्ता मुरारी लाल खंडवाल, मोनू नौटियाल और पूजा देवी ने आरोप लगाया कि बौराड़ी अस्पताल प्रबंधन की ओर से बैठक का आयोजन मुख्यालय से दूर एक निजी होटल में किया गया ताकि आम जनता वहां न पहुंचे और अपनी राय न दे सके.

ग्रामीणों का आरोप है कि इससे साफ जाहिर होता है कि स्थानीय लोगों की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है. बैठक में पहुंचने वालों में अधिकतर लोग अस्पताल के डॉक्टर व कर्मचारी थे. कुछ गिने-चुने लोगों को ही इस बैठक के बारे में बताया गया था.

नई टिहरी: जिला अस्पताल बौराड़ी में मरीजों और तीमारदारों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और इलाज में लापरवाही को लेकर एक बैठक की गई. इसमें अस्पताल के प्रबंधक, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधिकारी और जिला स्तरीय प्रतिनिधि पहुंचे. बैठक में अस्पताल को पीपीपी मोड से हटाने की वकालत की गई.

बौराड़ी अस्पताल को पीपीपी मोड से हटाने की मांग

वैसे इस बैठक का मुख्य उद्देश्य पीपीपी मोड पर संचालित हो रहे जिला अस्पताल बौराड़ी के संबंध में जनप्रतिनिधियों एवं हितधारकों के मध्य सीधा समन्वय करना था. ताकि पीपीपी मोड पर संचालित हो रहे जिला अस्पताल की कमियों को दूर किया जा सके, लेकिन बैठक महज कुछ गिने-चुने लोगों तक ही सीमित रही.


बता दें टिहरी गढ़वाल का सबसे बड़ा जिला अस्पताल बौराड़ी को निजीकरण के तहत स्वामी राम हिमालय जॉलीग्रांट को पांच साल के लिए दिया गया है. पीपीपी मोड पर अस्पताल को एक साल से अधिक का वक्त हो गया है, लेकिन यहां पर मरीजों के साथ दुर्व्यवहार और इलाज के दौरान लापरवाही देखने को मिलती है. समय-समय पर स्थानीय जनप्रतिनिधि अस्पताल के बाहर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ धरना प्रदर्शन भी कर चुके हैं. लेकिन अस्पताल प्रबंधन के कान में जू तक नहीं रेंगती.

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ऐसे में अब स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उत्तराखंड सरकार से अनुरोध किया है कि अस्पताल को पीपीपी मोड से हटाया जाए, ताकि अस्पताल में मरीजों का सही तरीके से इलाज हो सके. उनका कहना है कि जब अस्पताल उत्तराखंड सरकार के अधीन था, उस वक्त मरीजों को इलाज के लिए कोई परेशानी नहीं होती थी. लेकिन अब पीपीपी मोड आने के बाद मरीजों के साथ दुर्व्यवहार की घटनाएं होने लगी हैं.

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इसी को लेकर अस्पताल प्रबंधन और उत्तराखंड स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा जिला स्तरीय प्रतिनिधियों व हितधारकों के मध्य समन्वय बैठक का आयोजन किया गया. सामाजिक कार्यकर्ता मुरारी लाल खंडवाल, मोनू नौटियाल और पूजा देवी ने आरोप लगाया कि बौराड़ी अस्पताल प्रबंधन की ओर से बैठक का आयोजन मुख्यालय से दूर एक निजी होटल में किया गया ताकि आम जनता वहां न पहुंचे और अपनी राय न दे सके.

ग्रामीणों का आरोप है कि इससे साफ जाहिर होता है कि स्थानीय लोगों की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है. बैठक में पहुंचने वालों में अधिकतर लोग अस्पताल के डॉक्टर व कर्मचारी थे. कुछ गिने-चुने लोगों को ही इस बैठक के बारे में बताया गया था.

Intro:टिहरी
बौराड़ी अस्पताल के सम्बद्ध में जिला मुख्यालय से दूर निजी होटल में बैठक किये जाने पर शहर के स्थानीय लोगों ने उठाए बोराड़ी अस्पताल प्रबंधन पर सवालBody:नई टिहरी। जिला अस्पताल बौराड़ी के प्रबंधन एवं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, उत्तराखंड के द्वारा लोक निजी सहभागिता मॉडल पर संचालित स्वास्थ्य इकाई हेतु जिला स्तरीय प्रतिनिधियों व हितधारकों के मध्य टीसीआर होटल चम्बा में समन्वय कार्यशाला का आयोजन डॉ विनोद टोलिया, अपर परियोजना निदेशक के अध्यक्षता में किया गया।


आपको बता दें, टिहरी गढ़वाल का सबसे बड़ा जिला अस्पताल बौराड़ी को निजीकरण के तहत स्वामी राम हिमालय जोलीग्रांट को 5 सालों के लिए दिया गया है, जिसे 1 साल से अधिक का समय हो गया, लेकिन यहां पर मरीजों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार और इलाज के दौरान लापरवाही को लेकर समय-समय पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के द्वारा अस्पताल के बाहर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ धरना प्रदर्शन एवं आवाज उठाते रहे है, जिसको लेकर स्थानीय जनता ने अब पीपीपी मोड पर स्वामी राम हिमालय की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने उत्तराखंड सरकार से अनुरोध किया है, कि इस अस्पताल को पीपीपी मोड से हटाया जाए। क्योंकि पीपी मोड पर इसलिए दिया गया था कि यहां पर लोगों का इलाज सही तरीके से हो। जब यह अस्पताल उत्तराखंड सरकार के पास था, उस समय लोगों को यहां पर सही तरीके से इलाज मिल पा रहा था, लेकिन जब से स्वामी राम हिमालय को पीपीपी मोड मे दिया गया है। तब से यहां पर मरीजों का इलाज सही तरीके से नहीं हो पा रहा है और अस्पताल की स्थिति पहले से खराब हो चुकी है।
स्थानीय जनप्रतिनिधि अब इस अस्पताल को पीपीपी मोड से हटाने की मांग कर रहे हैं और साथ ही मांग कर रहे हैं, कि इस अस्पताल को उत्तराखंड सरकार अपने हाथों में लेकर पहले की भांति चलाएं। जिससे मरीजों को बेहतर इलाज मिल सके।

इसी को लेकर अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, उत्तराखंड के द्वारा लोक निजी सहभागिता मॉडल पर संचालित स्वास्थ्य इकाई हेतु जिला स्तरीय प्रतिनिधियों व हितधारकों के मध्य समन्वय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य पीपीपी मोड पर संचालित हो रहे जिला अस्पताल बौराड़ी के संबंध में जनप्रतिनिधियों एवं हितधारकों के मध्य सीधा समन्वय करना था, जिससे पीपीपी मोड पर संचालित हो रहा जिला अस्पताल की कमियों को दूर किया जा सके, लेकिन यह बैठक महज कुछ गिने-चुने लोगों तक ही सीमित रही।

बाइट मुरारी लाल खण्डवल सामाजिक कार्यकर्ता
बाइट मोनू नौडियाल सामाजिक कार्यकर्ता
बाइट डॉ जी टोलिया कमेटी इंचार्ज

Conclusion:सामाजिक कार्यकर्ता मुरारी लाल खंडवाल, मोनू नौटियाल, पूजा देवी आदि का कहना है की पीपीपी मोड़ पर चल रहे जिला अस्पताल बौराड़ी के प्रबंधन द्वारा नई टिहरी की जनता से राय न लेकर इस कार्यशाला को जिला मुख्यालय टिहरी से दूर एक निजी होटल में करवाया गया। जहां पर टिहरी की जनता अपनी राय न रख सके और अस्पताल की रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को सही चले जाए। ताकि अस्पताल के खिलाफ स्थानीय लोगों की आवाज को दबा दिया जाए, परंतु स्थानीय लोगों ने साफ-साफ अस्पताल प्रबंधन पर उंगली उठा दी है, कि यह कार्यशाला नई टिहरी मुख्यालय या जिला अस्पताल के अंदर होना चाहिए थी। जहां स्थानीय लोग भी अपनी राय रख सके और अस्पताल की लापरवाही की हकीकत कमेटी जान सके।
कार्यशाला में पहुंचे अधिकतर लोग अस्पताल मैं कार्यरत डॉक्टर व कर्मचारी थे, कुछ गिने-चुने लोगों को ही इस कार्यशाला के बारे में बताया गया था, वही लोग वहां पर उपस्थित थे
जबकि हकीकत आए दिन हो रही लापरवाही को लेकर विवादों को देख सकते हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता वाह कमेटी के सदस्य सुशील बहुगुणा ने जब अस्पताल प्रबंधक से एमओयू मांगा गया तो अस्पताल प्रबंधक द्वारा एमओयू नया नहीं बताया गया
Last Updated : Jan 27, 2020, 7:30 PM IST
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