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टिहरी डैम से अपने गांवों को नहीं मिला फायदा, 9 राज्यों के लिए बना वरदान - टिहरी हिंदी समाचार

विश्व प्रसिद्ध टिहरी बांध से 9 राज्यों को बिजली-पानी का लाभ मिल रहा है. लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों को इस परियोजना का लाभ आज तक नहीं मिल सका है. यहां के लोग अभी भी इस परियोजना से मिलने वाले लाभ से महरूम हैं.

tehri
टिहरी बांध परियोजना
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Published : Sep 17, 2020, 7:44 AM IST

टिहरी: जिले में डैम के बनने के बाद 9 राज्यों को बिजली और पानी मिलने लगा है. लेकिन ये सुविधा पहाड़ी क्षेत्रों में नहीं पहुंच पा रही है. डैम को पुरानी टिहरी में भागीरथी और भिलंगना नदी के संगम पर बनाया गया. डैम बनाने के लिए लिए साल 1972 में स्वीकृति मिली थी और साल 1977-78 में डैम का निर्माण कार्य शुरू हुआ. भूकंप से नुकसान को रोकने के लिए डैम को रॉकफिल बनाया गया. इसमें टिहरी बांध की झील का पानी रोकने के लिए बनी दीवार पूरी तरह से पत्थर और मिट्टी से बनाई गई है.

टिहरी बांध के लाभ को तरह रहे उत्तराखंड के लोग.

दरअसल विश्व प्रसिद्ध रॉकफिल टिहरी डैम से आज देश के 9 राज्यों को बिजली-पानी पहुंच रहा है. साथ ही दिल्ली और उत्तर प्रदेश को पेयजल और सिंचाई के लिए भी इसी बांध से पानी मिल रहा है. डैम से 2,400 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने के लिए पुराने टिहरी शहर को जलमग्न होना पड़ा था. टिहरी बांध के कारण 125 गांव प्रभावित हुए, जिसमें से 37 गांव पूरी तरह से डूब गए थे, जबकि 88 गांव आंशिक रूप से प्रभावित हुए. इसके अलावा डैम की झील के कारण कई गांव खतरे की जद में आज भी हैं. हजारों लोगों को टिहरी और उसके आस-पास के क्षेत्रों से विस्थापित कर देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश में बसाया गया है.

ये भी पढ़ें हल्द्वानी: कार और बाइक की भीषण टक्कर, एक की मौत

टिहरी गांव खाली होने के बाद डैम के लिए यहां पर 42 वर्ग किमी लंबी टिहरी झील बनाई गई. टिहरी डैम से 2,70,000 हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई और प्रतिदिन 102.20 करोड़ लीटर पेयजल दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित है. मॉनसून और झील के जलस्तर में उतार-चढ़ाव के चलते इसमें कुछ अंतर भी आता है. 29 अक्टूबर साल 2005 को बांध की आखिरी सुरंग बंद हो गई थी तब झील बननी शुरू हुई. जुलाई साल 2006 में टिहरी डैम से विद्युत उत्पादन शुरू हुआ. फिलहाल बांध से 1 हजार मेगावाट और कोटेश्वर बांध से 400 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है.

ये भी पढ़ें अल्मोड़ा जिला विकास अधिकारी की अभद्रता का ऑडियो वायरल, मुकदमा दर्ज

1 हजार मेगावाट उत्पादन के लिए अभी पंप स्टोरेज प्लांट का कार्य किया जा रहा है, जिसका काम टिहरी डैम के अंडर में हिंदुस्तान कंपनी कर रही है. PSP का काम पूरा होने के बाद टिहरी बांध से 2,400 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकेगा. डैम बनने से झील के जल स्तर में लगातार उतार-चढ़ाव होने के कारण आस-पास के गांव आज भी खतरे की जद में हैं. फिलहाल टिहरी बांध परियोजना से अन्य राज्यों को बिजली और पानी दिया जाता है. लेकिन पहाड़ी क्षेत्र आज भी इसके लाभ से अछूते हैं. यहां के लोगों को आज भी इसका कोई लाभ नहीं मिलता रहा है.


टिहरी डैम की तीन इकाई हैं

टिहरी डैम-1,000 मेगावाट

कोटेश्वर जल विद्युत परियोजना-400 मेगावाट

टिहरी पम्प स्टोरेज परियोजना-1,000 मेगावाट निर्माणाधीन

टिहरी डैम एक नजर...

झील क्षेत्र-42 वर्ग किमी

टिहरी डैम की दीवार की शीर्ष पर लंबाई-575 मी.

टिहरी डैम की दीवार की शीर्ष पर चौड़ाई-25.5 मी. से 30.5 मी. तक फैलाव

टिहरी डैम की दीवार की तल पर चौड़ाई-1125 मी.

टिहरी: जिले में डैम के बनने के बाद 9 राज्यों को बिजली और पानी मिलने लगा है. लेकिन ये सुविधा पहाड़ी क्षेत्रों में नहीं पहुंच पा रही है. डैम को पुरानी टिहरी में भागीरथी और भिलंगना नदी के संगम पर बनाया गया. डैम बनाने के लिए लिए साल 1972 में स्वीकृति मिली थी और साल 1977-78 में डैम का निर्माण कार्य शुरू हुआ. भूकंप से नुकसान को रोकने के लिए डैम को रॉकफिल बनाया गया. इसमें टिहरी बांध की झील का पानी रोकने के लिए बनी दीवार पूरी तरह से पत्थर और मिट्टी से बनाई गई है.

टिहरी बांध के लाभ को तरह रहे उत्तराखंड के लोग.

दरअसल विश्व प्रसिद्ध रॉकफिल टिहरी डैम से आज देश के 9 राज्यों को बिजली-पानी पहुंच रहा है. साथ ही दिल्ली और उत्तर प्रदेश को पेयजल और सिंचाई के लिए भी इसी बांध से पानी मिल रहा है. डैम से 2,400 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने के लिए पुराने टिहरी शहर को जलमग्न होना पड़ा था. टिहरी बांध के कारण 125 गांव प्रभावित हुए, जिसमें से 37 गांव पूरी तरह से डूब गए थे, जबकि 88 गांव आंशिक रूप से प्रभावित हुए. इसके अलावा डैम की झील के कारण कई गांव खतरे की जद में आज भी हैं. हजारों लोगों को टिहरी और उसके आस-पास के क्षेत्रों से विस्थापित कर देहरादून, हरिद्वार और ऋषिकेश में बसाया गया है.

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टिहरी गांव खाली होने के बाद डैम के लिए यहां पर 42 वर्ग किमी लंबी टिहरी झील बनाई गई. टिहरी डैम से 2,70,000 हेक्टेयर क्षेत्र की सिंचाई और प्रतिदिन 102.20 करोड़ लीटर पेयजल दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित है. मॉनसून और झील के जलस्तर में उतार-चढ़ाव के चलते इसमें कुछ अंतर भी आता है. 29 अक्टूबर साल 2005 को बांध की आखिरी सुरंग बंद हो गई थी तब झील बननी शुरू हुई. जुलाई साल 2006 में टिहरी डैम से विद्युत उत्पादन शुरू हुआ. फिलहाल बांध से 1 हजार मेगावाट और कोटेश्वर बांध से 400 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है.

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1 हजार मेगावाट उत्पादन के लिए अभी पंप स्टोरेज प्लांट का कार्य किया जा रहा है, जिसका काम टिहरी डैम के अंडर में हिंदुस्तान कंपनी कर रही है. PSP का काम पूरा होने के बाद टिहरी बांध से 2,400 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकेगा. डैम बनने से झील के जल स्तर में लगातार उतार-चढ़ाव होने के कारण आस-पास के गांव आज भी खतरे की जद में हैं. फिलहाल टिहरी बांध परियोजना से अन्य राज्यों को बिजली और पानी दिया जाता है. लेकिन पहाड़ी क्षेत्र आज भी इसके लाभ से अछूते हैं. यहां के लोगों को आज भी इसका कोई लाभ नहीं मिलता रहा है.


टिहरी डैम की तीन इकाई हैं

टिहरी डैम-1,000 मेगावाट

कोटेश्वर जल विद्युत परियोजना-400 मेगावाट

टिहरी पम्प स्टोरेज परियोजना-1,000 मेगावाट निर्माणाधीन

टिहरी डैम एक नजर...

झील क्षेत्र-42 वर्ग किमी

टिहरी डैम की दीवार की शीर्ष पर लंबाई-575 मी.

टिहरी डैम की दीवार की शीर्ष पर चौड़ाई-25.5 मी. से 30.5 मी. तक फैलाव

टिहरी डैम की दीवार की तल पर चौड़ाई-1125 मी.

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