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धनौल्टी: मूलभूत सुविधाओं से वंचित है मेलगढ़ गांव, ग्रामीणों का छलका दर्द

टिहरी गढ़वाल के धनौल्टी गांव में मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते लोग पलायन करने पर मजबूर हैं. ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार द्वारा उन्हें झूठा दिलासा देकर छला गया है.

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मेलगढ़ गांव
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Published : Dec 11, 2019, 6:00 PM IST

धनौल्टी: सरकार भले ही पलायन रोकने के लिए अभियान चला रही हो, लेकिन हर दिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव से लोग गांव छोड़ने को मजबूर हैं. ग्रामीणों की पलायन स्थिति यही बताती है कि सरकार की ओर से किए गए वादे और लोगों को मूलभूत सुविधाएं देने की बातें बेहद खोखली हैं.

ग्रामीणों का आरोप है कि प्रदेश में सरकार चाहे कांग्रेस की रही हो या भाजपा की, दोनों ने ग्रामीणों को बारी-बारी से छलने का काम किया है. बता दें कि साल 2014 में धनौल्टी के विधायक महावीर रांगड़ ने भी इस गांव का दौरा किया था. साथ ही ग्रामीणों को गांव के लिए सड़क निर्माण का आश्वासन भी दिया था, लेकिन सड़क को लेकर वित्तीय स्वीकृति मिल जाने के बाद भी कोई कार्य नहीं हुआ.

मेलगढ़ गांव

यह भी पढ़ें: रुड़की: स्लाटर हाउस का लोगों ने किया पुरजोर विरोध, आमरण- अनशन की दी चेतावनी

ग्रामीणों का कहना है कि किसी व्यक्ति के बीमार पड़ने पर उसे कुर्सी के सहारे तीन किलोमीटर के विकट रास्ते से मुख्य मार्ग तक पहुंचाना पड़ता है. वहीं उनका सरकार को लेकर यह आरोप है कि सरकार ने उन्हें वोट बैंक के लिए प्रयोग किया है. गांव में न तो प्राथमिक उपचार की कोई सुविधा है, न ही पेयजल की सुचारू व्यवस्था है. सरकार द्वारा दिए गए झूठे अश्वासन के चलते ग्रामीणों में भारी आक्रोश है. उनका कहना है कि प्रशासन द्वारा मांगें पूरी न होने पर उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे.

धनौल्टी: सरकार भले ही पलायन रोकने के लिए अभियान चला रही हो, लेकिन हर दिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव से लोग गांव छोड़ने को मजबूर हैं. ग्रामीणों की पलायन स्थिति यही बताती है कि सरकार की ओर से किए गए वादे और लोगों को मूलभूत सुविधाएं देने की बातें बेहद खोखली हैं.

ग्रामीणों का आरोप है कि प्रदेश में सरकार चाहे कांग्रेस की रही हो या भाजपा की, दोनों ने ग्रामीणों को बारी-बारी से छलने का काम किया है. बता दें कि साल 2014 में धनौल्टी के विधायक महावीर रांगड़ ने भी इस गांव का दौरा किया था. साथ ही ग्रामीणों को गांव के लिए सड़क निर्माण का आश्वासन भी दिया था, लेकिन सड़क को लेकर वित्तीय स्वीकृति मिल जाने के बाद भी कोई कार्य नहीं हुआ.

मेलगढ़ गांव

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ग्रामीणों का कहना है कि किसी व्यक्ति के बीमार पड़ने पर उसे कुर्सी के सहारे तीन किलोमीटर के विकट रास्ते से मुख्य मार्ग तक पहुंचाना पड़ता है. वहीं उनका सरकार को लेकर यह आरोप है कि सरकार ने उन्हें वोट बैंक के लिए प्रयोग किया है. गांव में न तो प्राथमिक उपचार की कोई सुविधा है, न ही पेयजल की सुचारू व्यवस्था है. सरकार द्वारा दिए गए झूठे अश्वासन के चलते ग्रामीणों में भारी आक्रोश है. उनका कहना है कि प्रशासन द्वारा मांगें पूरी न होने पर उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे.

Intro: आजादी के बर्षों बाद भी सड़क की माँग कर रहे है मेलगढ के ग्रामीणBody: धनोल्टी
स्लग-आजादी के बर्षो बाद भी सड़क से वंचित है जौनपुर का मेलगढ़ गाँव, छलका दर्द
एंकर- सरकार भले ही लोगों से अपने अपने गावों की ओर आने का कैम्पेन चलाकर लोगों का ध्यान खाली होते गाँवो को आबाद रखने पर अपनी मंशा जाहिर करने पर लगी है लेकिन सही मयानो में तो दिन व दिन मूलभूत सुविधाओं के आभाव से अब वहां के वाशिंदें गाँवो को छोड़ने पर विचार कर रहे है ऐसे ही कुछ देखने को मिला विकासखण्ड जौनपुर के मेलगढ गाँव मे जहाँ आजादी के कई बर्षो बाद भी लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे है
ग्रामीणों का कहना है कि कई बर्षों से लगातार की जा रही माँग के बाद भी आज तक गांव में सड़क नहीं पहुंची। प्रदेश में सरकार चाहे कांग्रेस की रही हो या भा ज पा की दोनों ने ग्रामीणों को अबतक बारी बारी से छलने का काम किया। बर्ष 2014 में धनोल्टी के विधायक महावीर रांगड़ ने भी इस गाँव का दौरा किया था और ग्रामीणों को पूर्ण आश्वासन दिया था कि इस गांव के लिए जल्द ही सड़क निर्माण करवाया जाएगा और सड़क को लेकर वित्तीय स्वीकृति मिल जाने की बात गई थी लेकिन आज तक भी पता नहीं चला कि वह फाइल कहाँ दबी है। मेलगढ गाँव में 25 परिवार के 200 से अधिक लोग निवास करते हैं लेकिन मूलभूत सुविधाओं के आभाव से धीरे-धीरे गाँव के लोग पलायन करने पर विचार कर रहे है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि कोई गाँव में बीमार हो जाता है तो कुर्सी के सहारे तीन किलोमीटर के विकट रास्ते से मुख्य मार्ग तक पहुँचाना पड़ता है। गाँव के रास्ते की स्थिति भी बहुत जीर्णशीर्ण है । जब हमारे द्वारा खबर को लेकर लोगों से हकीकत जानी गई तो वहाँ पर बुजुर्गों व महिलाओं का दर्द भी सामने देखने को मिला, ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने आज तक हमें वोट बैंक के लिए प्रयोग किया है न गाँव में प्राथमिक उपचार की कोई सुविधा है न पेयजल की सुचारू व्यवस्था है जब कोई भी जनप्रतिनिधि जीत जाता है तो कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखता जिसका हमें बार बार पछतावा होता है। गत लोकसभा चुनाव में ग्रामीणों ने राष्ट्रीय राजमार्ग 507 में धरना प्रर्दशन कर चुनाव का बहिष्कार किया था लेकिन स्थानीय प्रशासन ने उनकी मांगों को लेकर झूठा अश्वासन दिया और कहा कि जल्द ही आपकी समस्या का निराकरण किया जाएगा लेकिन आज तक भी समस्या जस की तस बनी हुई है। जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है,और उनका कहना है कि यदि शासन प्रशासन हमारी मांगे पूरी नहीं करता तो ग्रामीण उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

बाईट - राकेश तोमर
व अन्य ग्रामीण


Conclusion: ग्रामीणों का कहना है कि हमे केवल वोट देने तक छला जाता रहा है जीतने के बाद कोई भी पीछे मुड़कर नही देखता अब हम गाँव छोड़ने को मजबूर है
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