धनौल्टी: सरकार भले ही पलायन रोकने के लिए अभियान चला रही हो, लेकिन हर दिन मूलभूत सुविधाओं के अभाव से लोग गांव छोड़ने को मजबूर हैं. ग्रामीणों की पलायन स्थिति यही बताती है कि सरकार की ओर से किए गए वादे और लोगों को मूलभूत सुविधाएं देने की बातें बेहद खोखली हैं.
ग्रामीणों का आरोप है कि प्रदेश में सरकार चाहे कांग्रेस की रही हो या भाजपा की, दोनों ने ग्रामीणों को बारी-बारी से छलने का काम किया है. बता दें कि साल 2014 में धनौल्टी के विधायक महावीर रांगड़ ने भी इस गांव का दौरा किया था. साथ ही ग्रामीणों को गांव के लिए सड़क निर्माण का आश्वासन भी दिया था, लेकिन सड़क को लेकर वित्तीय स्वीकृति मिल जाने के बाद भी कोई कार्य नहीं हुआ.
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ग्रामीणों का कहना है कि किसी व्यक्ति के बीमार पड़ने पर उसे कुर्सी के सहारे तीन किलोमीटर के विकट रास्ते से मुख्य मार्ग तक पहुंचाना पड़ता है. वहीं उनका सरकार को लेकर यह आरोप है कि सरकार ने उन्हें वोट बैंक के लिए प्रयोग किया है. गांव में न तो प्राथमिक उपचार की कोई सुविधा है, न ही पेयजल की सुचारू व्यवस्था है. सरकार द्वारा दिए गए झूठे अश्वासन के चलते ग्रामीणों में भारी आक्रोश है. उनका कहना है कि प्रशासन द्वारा मांगें पूरी न होने पर उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे.