टिहरी: आज शहीद विक्टोरिया क्रॉस विजेता गब्बर सिंह नेगी की जयंती (Gabbar Singh Negi birth anniversary) धूमधाम से मनाई गई. इस दौरान पूर्व सैनिकों ने गब्बर सिंह नेगी के स्मारक पर पुष्प अर्पित कर उन्हें याद किया. इस दौरान भाजपा विधायक किशोर उपाध्याय (BJP MLA Kishor Upadhyay) ने बड़ा बयान दिया. उन्होंने कहा कि अगले साल इस मेले में टिहरी जिले के सभी विधायकों और टिहरी सांसद को आना होगा, नहीं तो उन्हें चंबा में घुसने नहीं देंगे.
बता दें टिहरी जिले के चंबा में कोरोना के कारण 2 साल से इस मेले का आयोजन नहीं हो पाया था. आज विक्टोरिया क्रॉस विजेता गब्बर सिंह नेगी के जन्मोत्सव पर तीन दिवसीय मेले का शुभारंभ हुआ. मेले में आज मुख्य चौराहे गब्बर सिंह चौक पर विक्टोरिया क्रॉस विजेता गब्बर सिंह नेगी के स्मारक में गढ़वाल राइफल्स के जवानों तथा पूर्व सैनिकों और स्थानीय लोगों ने शहीद को सलामी दी. इस अवसर पर टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय भी शामिल हुए.
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टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय ने कहा कि शहीद विक्टोरिया क्रॉस विजेता गब्बर सिंह ने 19 साल की उम्र में अपना जीवन बलिदान कर दिया. उन्होंने कहा शहीदों के प्रति हमारी भी जिम्मेदारी बनती है. इस अवसर पर सैनिक मेला समिति के अध्यक्ष इंद्र सिंह नेगी ने कहा कि शहीद विक्टोरिया क्रॉस विजेता गब्बर सिंह का मेला भव्य बनाया जाए साथ ही इसे सरकारी मेला घोषित किया जाये.
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काैन थे विक्टोरिया क्रॉस विजेता गब्बर सिंह नेगी: शहीद सेनानायक वीर गब्बर सिंह चंबा मज्यूंड गांव के निवासी थे. उनका जन्म 21 अप्रैल 1895 में हुआा था. 10 मार्च 1915 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान दुश्मनों के छक्के छुड़ाते हुये वे शहीद हो गये थे. शहीद सेनानायक गब्बर सिंह 19 अक्टूबर 1912 को द्वितीय गढ़वाल राइफल में भर्ती हुये थे. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जब ब्रिटिश सेना, जर्मन सेना के सामने टिक नहीं पा रही थी तो ब्रिटिश सेना की ओर से गब्बर सिह के नेतृत्व में गढ़वाल राइफल के जवानों को आगे भेजा गया. उन्होंने जर्मन सेना के दांत खट्टे कर दिये थे. इस दौरान गब्बर सिंह ने जर्मन सेना के कई किलों को अपने कब्जे में ले लिया. साथ ही उन्होंने कई किलों को ध्वस्त भी किया. इस दौरान 350 से अधिक जर्मन सैनिकों ने गब्बर सिंह के सामने आत्मसर्मपण भी किया. इसके बाद 10 मार्च 1915 को गढ़वाल राइफल ने जर्मनी के प्रसिद्ध न्यू चैपल लैंड पर कब्जा किया. इस युद्ध में गब्बर सिंह शहीद हो गये. सरकार ने मरणोपरान्त उन्हें विक्टोरिया क्रॉस विजेता का सम्मान दिया. गब्बर सिंह वो शहीद हैं जिन्हें सबसे कम उम्र में यह पदक मिला.