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गेंदे की खुशबू से महकेगी धनोल्टी, 'निमोटोड' का होगा खात्मा - उद्यान विभाग

पर्यटक स्थल धनोल्टी में बरसों से बंजर पड़े आलू फार्म में उद्यान विभाग गेंदे के फूल लगाने की तैयारी कर रहा है. गेंदे की खेती से फार्म में मौजूद निमोटोड का खात्मा हो जाएगा.

forest department
पर्यटक स्थल धनोल्टी
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Published : Jan 6, 2020, 8:15 AM IST

Updated : Jan 6, 2020, 6:15 PM IST

धनोल्टी: उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों के लिए धनोल्टी से अच्छी खबर है. धनोल्टी पहुंचते ही पर्यटकों को फूलों की खुशबू से मदहोश हो जाएंगे. जिस तरह नागपुर में संतरे की खुशबू से सबका मन खुश हो जाता है, उसी तरह से धनोल्टी पहुंचने वाले पर्यटक गेदें के फूल की खुशबू से गदगद हो जाएंगे.

लंबे समय से बंजर पड़े आलू फार्म अब गेंदे की खेती से लहलहाएंगे, जिससे बंजर जमीन में एक बार फिर से बहार आएगी. उद्यान विभाग ने सभी तैयारियां कर ली हैं. गेंदे की खेती से निमेटोड की समस्या का भी समाधान हो सकेगा. निमोटोड एक तरह का परजीवी है, जो मिट्टी, पौधों या जानवरों में अपना निवास करता है इसके कारण पैदावार पर असर पड़ता है.

पर्यटक स्थल धनोल्टी

राजकीय आलू प्रजनन प्रक्षेत्र धनोल्टी में कुल 11 हेक्टेयर जमीन है. 2003 में निजीकरण के तहत जड़ी-बूटी शोध संस्थान को दी गई थी, लेकिन इसका सदुपयोग संस्थान द्वारा नहीं किया गया.

विगत वर्ष में भारत सरकार ने आलू फार्मों का निरीक्षण किया जिसमें उन्होंने पाया कि वहां पर निमोटोड आ गया है इसलिए वहां का उत्पादित बीज किसी अन्य जनपद में न दिया जाए. इसीलिए वहां पर आलू का बीज उत्पादित कर रहे हैं, लेकिन वहां पर जो अवशेष जमीन है उसमें फरवरी मार्च के महीने में निमेटोड को ध्यान में रखते हुए गेंदे के फूल लगाने जा रहे हैं.

उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि धनोल्टी आलू फार्म कुल 11 हेक्टेयर में फैला है, जिसमें से एक हेक्टेयर जमीन बीज प्रमाणीकरण विभाग के पास है, जबकि पांच हेक्टेयर जमीन जड़ी-बूटी शोध संस्थान के पास एवं पांच हेक्टेयर जमीन उद्यान विभाग को तीन साल पहले प्राप्त हुई है.

यह भी पढ़ें: श्यामपुर क्षेत्र में लगाया जा रहा अवैध मोबाइल टावर, विरोध में उतरे ग्रामीण

जमीन बंजर होने के कारण पहले साल में एक हेक्टेयर, दूसरे साल में दो हेक्टेयर और विगत साल में एक हेक्टेयर आलू का उत्पादन कर जनपद के किसानों में वितरण किया गया था.

यह फार्म जब जड़ी-बूटी शोध संस्थान के पास था तब स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया. स्थानीय लोगों की मांग थी, कि यहां पर आलू का उत्पादन कर क्षेत्रीय किसानों को इसका बीज दिया जाना चाहिए. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए पांच हेक्टेयर जमीन उद्यान विभाग के पास वापस आई है.

यह भी पढ़ें: CAA-NRC के समर्थन में सड़क पर उतरी बीजेपी, देश हित में बताया ये कानून

गेंदे के फूल की खेती करके जहां एक ओर राजस्व बढ़ेगा, वहीं खेतों में आ रहे निमेटोड को भी खत्म किया जा सकता है. साथ ही धनोल्टी एक पर्यटन नगरी है इसलिए टूरिस्टों का इसके प्रति रुझान बढ़ेगा और राजस्व भी बढ़ेगा. यह सुझाव सरकार को दिए गए हैं.

जैसे ही वहां से निर्देश प्राप्त होंगे प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, क्योंकि बार-बार आलू लगाने से निमोटोड की मात्रा में वृद्धि होती है. दूसरी ओर फसल चक्र अपनाना बहुत जरूरी है. फसल चक्र के बाद जब धनोल्टी आलू फार्म में आलू लगाया जाएगा तो उसका बीज क्षेत्रीय किसानों में वितरित किया जाएगा.

धनोल्टी: उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों के लिए धनोल्टी से अच्छी खबर है. धनोल्टी पहुंचते ही पर्यटकों को फूलों की खुशबू से मदहोश हो जाएंगे. जिस तरह नागपुर में संतरे की खुशबू से सबका मन खुश हो जाता है, उसी तरह से धनोल्टी पहुंचने वाले पर्यटक गेदें के फूल की खुशबू से गदगद हो जाएंगे.

लंबे समय से बंजर पड़े आलू फार्म अब गेंदे की खेती से लहलहाएंगे, जिससे बंजर जमीन में एक बार फिर से बहार आएगी. उद्यान विभाग ने सभी तैयारियां कर ली हैं. गेंदे की खेती से निमेटोड की समस्या का भी समाधान हो सकेगा. निमोटोड एक तरह का परजीवी है, जो मिट्टी, पौधों या जानवरों में अपना निवास करता है इसके कारण पैदावार पर असर पड़ता है.

पर्यटक स्थल धनोल्टी

राजकीय आलू प्रजनन प्रक्षेत्र धनोल्टी में कुल 11 हेक्टेयर जमीन है. 2003 में निजीकरण के तहत जड़ी-बूटी शोध संस्थान को दी गई थी, लेकिन इसका सदुपयोग संस्थान द्वारा नहीं किया गया.

विगत वर्ष में भारत सरकार ने आलू फार्मों का निरीक्षण किया जिसमें उन्होंने पाया कि वहां पर निमोटोड आ गया है इसलिए वहां का उत्पादित बीज किसी अन्य जनपद में न दिया जाए. इसीलिए वहां पर आलू का बीज उत्पादित कर रहे हैं, लेकिन वहां पर जो अवशेष जमीन है उसमें फरवरी मार्च के महीने में निमेटोड को ध्यान में रखते हुए गेंदे के फूल लगाने जा रहे हैं.

उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि धनोल्टी आलू फार्म कुल 11 हेक्टेयर में फैला है, जिसमें से एक हेक्टेयर जमीन बीज प्रमाणीकरण विभाग के पास है, जबकि पांच हेक्टेयर जमीन जड़ी-बूटी शोध संस्थान के पास एवं पांच हेक्टेयर जमीन उद्यान विभाग को तीन साल पहले प्राप्त हुई है.

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जमीन बंजर होने के कारण पहले साल में एक हेक्टेयर, दूसरे साल में दो हेक्टेयर और विगत साल में एक हेक्टेयर आलू का उत्पादन कर जनपद के किसानों में वितरण किया गया था.

यह फार्म जब जड़ी-बूटी शोध संस्थान के पास था तब स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया. स्थानीय लोगों की मांग थी, कि यहां पर आलू का उत्पादन कर क्षेत्रीय किसानों को इसका बीज दिया जाना चाहिए. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए पांच हेक्टेयर जमीन उद्यान विभाग के पास वापस आई है.

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गेंदे के फूल की खेती करके जहां एक ओर राजस्व बढ़ेगा, वहीं खेतों में आ रहे निमेटोड को भी खत्म किया जा सकता है. साथ ही धनोल्टी एक पर्यटन नगरी है इसलिए टूरिस्टों का इसके प्रति रुझान बढ़ेगा और राजस्व भी बढ़ेगा. यह सुझाव सरकार को दिए गए हैं.

जैसे ही वहां से निर्देश प्राप्त होंगे प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, क्योंकि बार-बार आलू लगाने से निमोटोड की मात्रा में वृद्धि होती है. दूसरी ओर फसल चक्र अपनाना बहुत जरूरी है. फसल चक्र के बाद जब धनोल्टी आलू फार्म में आलू लगाया जाएगा तो उसका बीज क्षेत्रीय किसानों में वितरित किया जाएगा.

Intro:टिहरी:-
पर्यटक स्थल धानोल में बंजर पड़े आलू फार्म की शोभा बढ़ाएंगे गेंदे के फूलBody:पर्यटक स्थल धनोल्टी में बरसों से बंजर पड़े आलू फार्म मैं उद्यान विभाग गेंदे के फूल लगाने की तैयारी कर रहा है,

आपको बता दें, राजकीय आलू प्रजनन प्रक्षेत्र धनोल्टी में कुल 11 हेक्टेयर जमीन है, जो 2003 में निजीकरण के तहत जड़ी-बूटी शोध संस्थान को दी गई थी, लेकिन जब इसका सदुपयोग जड़ी-बूटी शोध संस्थान द्वारा नहीं किया गया तो धनोल्टी के स्थानीय किसानों ने इसका विरोध किया और इसे पुनः उद्यान विभाग के पास वापस लाने की मांग की।

Conclusion:उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि धनोल्टी आलू फार्म कुल 11 हेक्टेयर मे फैला है, जिसमें से 1 हेक्टेयर जमीन बीज प्रमाणीकरण विभाग के पास, 5 हेक्टेयर जमीन जड़ी-बूटी शोध संस्थान के पास एवं 5हेक्टेयर जमीन उद्यान विभाग को 3 साल पहले प्राप्त हुई हैं।

वह जमीन बंजर पड़ी हुई है। जिसमें प्रथम वर्ष में 1 हेक्टेयर, द्वितीय वर्ष में 2 हेक्टेयर एवं विगत वर्ष में एक हेक्टेयर आलू का उत्पादन कर जनपद के किसानों में वितरण किया गया था।
यह फार्म जब जड़ी-बूटी शोध संस्थान के पास था तब स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया।
स्थानीय लोगों की मांग थी, कि यहां पर आलू का उत्पादन कर क्षेत्रीय किसानों को इसका बीज दिया जाना चाहिए, इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए 5 हेक्टेयर जमीन उद्यान विभाग के पास वापस आई हैं।

विगत वर्ष में भारत सरकार ने आलू फार्मो का निरीक्षण किया जिसमें उन्होंने पाया कि वहां पर निमोटोप आ गया है इसलिए वहां का उत्पादित बीज किसी अन्य जनपद में ना दिया जाए

इसीलिए हम वहां पर आलू का बीज उत्पादित कर रहे हैं, लेकिन वहां पर जो अबशेष जमीन है उसमे फरवरी मार्च के महीने में निमेटोड को ध्यान में रखते हुए
गेंदे के फूल लगाने जा रहे हैं।
गेंदे के फूल की खेती करके जहां एक और राजस्व बढ़ेगा वही खेतों में आ रहे निमेटोड को भी खत्म किया जा सकता है।
साथ ही धनोल्टी एक पर्यटन नगरी है इसलिए टूरिज्म की दृष्टि से वहां पर टूरिस्ट बहुत आते हैं इसलिए टूरिस्ट ओं के लिए फोटो खिंचवाने व घूमने के लिए उसे खोल दिया जाएगा, जिससे टूरिस्ट से कुछ शुल्क वसूल कर राजस्व भी बढ़ेगा। यह सुझाव सरकार को दिए हैं

जैसे ही वहां से निर्देश प्राप्त होंगे निमोटोट को मारने के लिए गेंदा लगाएंगे, क्योंकि बार-बार आलू लगाने से निमोटोड की मात्रा में वृद्धि होती है, लेकिन फसल चक्र अपनाना बहुत जरूरी है।
फसल चक्र अपनाने के बाद जॉब धनोल्टी आलू फार्म में आलू लगाया जाएगा तो उसका बीज क्षेत्रीय किसानों में वितरित किया जाएगा, जिससे स्थानीय किसानों की उत्पादन क्षमता में वृद्धि हो सके

निमोटोप (आलू की फसल पर लगने वाला कीड़ा)

बाइट- डीके तिवारी, जिला उद्यान अधिकारी
बाइट कुसवन्त इंचार्ज
बाइट - स्थानीय किसान
Last Updated : Jan 6, 2020, 6:15 PM IST
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