धनोल्टी: उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों के लिए धनोल्टी से अच्छी खबर है. धनोल्टी पहुंचते ही पर्यटकों को फूलों की खुशबू से मदहोश हो जाएंगे. जिस तरह नागपुर में संतरे की खुशबू से सबका मन खुश हो जाता है, उसी तरह से धनोल्टी पहुंचने वाले पर्यटक गेदें के फूल की खुशबू से गदगद हो जाएंगे.
लंबे समय से बंजर पड़े आलू फार्म अब गेंदे की खेती से लहलहाएंगे, जिससे बंजर जमीन में एक बार फिर से बहार आएगी. उद्यान विभाग ने सभी तैयारियां कर ली हैं. गेंदे की खेती से निमेटोड की समस्या का भी समाधान हो सकेगा. निमोटोड एक तरह का परजीवी है, जो मिट्टी, पौधों या जानवरों में अपना निवास करता है इसके कारण पैदावार पर असर पड़ता है.
राजकीय आलू प्रजनन प्रक्षेत्र धनोल्टी में कुल 11 हेक्टेयर जमीन है. 2003 में निजीकरण के तहत जड़ी-बूटी शोध संस्थान को दी गई थी, लेकिन इसका सदुपयोग संस्थान द्वारा नहीं किया गया.
विगत वर्ष में भारत सरकार ने आलू फार्मों का निरीक्षण किया जिसमें उन्होंने पाया कि वहां पर निमोटोड आ गया है इसलिए वहां का उत्पादित बीज किसी अन्य जनपद में न दिया जाए. इसीलिए वहां पर आलू का बीज उत्पादित कर रहे हैं, लेकिन वहां पर जो अवशेष जमीन है उसमें फरवरी मार्च के महीने में निमेटोड को ध्यान में रखते हुए गेंदे के फूल लगाने जा रहे हैं.
उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि धनोल्टी आलू फार्म कुल 11 हेक्टेयर में फैला है, जिसमें से एक हेक्टेयर जमीन बीज प्रमाणीकरण विभाग के पास है, जबकि पांच हेक्टेयर जमीन जड़ी-बूटी शोध संस्थान के पास एवं पांच हेक्टेयर जमीन उद्यान विभाग को तीन साल पहले प्राप्त हुई है.
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जमीन बंजर होने के कारण पहले साल में एक हेक्टेयर, दूसरे साल में दो हेक्टेयर और विगत साल में एक हेक्टेयर आलू का उत्पादन कर जनपद के किसानों में वितरण किया गया था.
यह फार्म जब जड़ी-बूटी शोध संस्थान के पास था तब स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया. स्थानीय लोगों की मांग थी, कि यहां पर आलू का उत्पादन कर क्षेत्रीय किसानों को इसका बीज दिया जाना चाहिए. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए पांच हेक्टेयर जमीन उद्यान विभाग के पास वापस आई है.
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गेंदे के फूल की खेती करके जहां एक ओर राजस्व बढ़ेगा, वहीं खेतों में आ रहे निमेटोड को भी खत्म किया जा सकता है. साथ ही धनोल्टी एक पर्यटन नगरी है इसलिए टूरिस्टों का इसके प्रति रुझान बढ़ेगा और राजस्व भी बढ़ेगा. यह सुझाव सरकार को दिए गए हैं.
जैसे ही वहां से निर्देश प्राप्त होंगे प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, क्योंकि बार-बार आलू लगाने से निमोटोड की मात्रा में वृद्धि होती है. दूसरी ओर फसल चक्र अपनाना बहुत जरूरी है. फसल चक्र के बाद जब धनोल्टी आलू फार्म में आलू लगाया जाएगा तो उसका बीज क्षेत्रीय किसानों में वितरित किया जाएगा.