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Tehri Dam Impact Survey: टिहरी पहुंची जेईसी की टीम, तीन दिन तक करेगी प्रभावित इलाकों का सर्वे - टिहरी बांध समाचार

टिहरी बांध प्रभावित लंबे समय से घरों में दरारें आने से परेशान हैं. घरों के साथ ही सड़कों और पैदल मार्गों पर भी बांध के कारण दरारें आ गई हैं. प्रभावित लोग पुनर्वास की मांग कर रहे हैं. अब जेईसी यानी joint expert committee के सदस्य टिहरी बांध प्रभावित इलाकों का जायजा लेने पहुंच चुके हैं. उम्मीद है समिति के लोगों की रिपोर्ट से सरकार एक्शन लेगी और टिहरी बांध प्रभावितों को राहत मिलेगी.

Tehri Dam
टिहरी बांध
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Published : Jan 30, 2023, 3:14 PM IST

टिहरी: बांध प्रभावित गांवों में झील के कारण हो रहे नुकसान का जायजा लेने के लिए संयुक्त विशेषज्ञ समिति (जेईसी) तीन दिन के भ्रमण पर आज सोमवार को टिहरी पहुंची है. समिति के सदस्य दो दिन भागीरथी घाटी में और एक दिन भिलंगना घाटी के चिन्हित गांवों का भ्रमण कर आकलन करेंगे. टिहरी बांध प्रभावित ग्रामीण लंबे समय से झील के कारण गांवों में भूस्खलन की शिकायत कर रहे हैं. समय-समय पर प्रभावित ग्रामीण पुनर्वास निदेशक सहित शासन-प्रशासन से गांवों का सर्वे कराने की मांग करते आ रहे हैं.

अवस्थापना (पुनर्वास) खंड नई टिहरी के ईई धीरेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि जनप्रतिनिधियों और पुनर्वास निदेशक के निर्देश पर आज सोमवार 30 जनवरी को समिति भागीरथी घाटी के ग्राम राम गांव, तिवाड़ गांव, भल्डियाणा, भल्ड गांव, हडियाडी जबकि 31 जनवरी को डोबन, सरोट, चिन्यालीसौड़ का स्थलीय निरीक्षण करेंगे. उन्होंने बताया कि 1 फरवरी को समिति के सदस्य भिलंगना घाटी के ग्राम उठड़, पिपोलाखास, नंदगांव, नारगढ़, पिपोला-ढुंग मंदार और पिलखी गांव का भ्रमण करेंगे.

टिहरी बांध प्रभावित संघर्ष समिति के अध्यक्ष सोहन सिंह राणा, मामले की कोर्ट में पैरवी करने वाले शांति प्रसाद भट्ट, प्रदीप भट्ट, कुलदीप पंवार आदि ने बताया कि बांध के जलाशय का जलस्तर घटने-बढ़ने के कारण आरएल 835 से ऊपर के गांवों में लगातार भूस्खलन हो रहा है. पिपोलाखास, नारगढ़, लुणेटा, भटकंडा, रौलाकोट गांवों में लोगों के घरों और जमीन पर लंबी-लंबी दरारें पड़ी हुई हैं. लोग दहशत में जीवन यापन कर रहे हैं. ऐसे में जेईसी इन गांवों का निरीक्षण कर जल्द रिपोर्ट उपलब्ध कराए.

संयुक्त विशेषज्ञ समिति में यह लोग हैं शामिल: टिहरी बांध प्रभावित गांवों के आकलन के लिए शासन की ओर से गठित जेईसी में भारतीय भू-सर्वेक्षण विभाग के प्रतिनिधि, प्रमुख वन सरंक्षक उत्तराखंड, केंद्रीय मृदा एवं जल संरक्षण अनुसंधान व प्रशिक्षण संस्थान, भूगर्भीय एवं खनन विभाग, भारतीय सर्वेक्षण विभाग, आईआईटी रुड़की, उत्तराखंड अंतरित उपयोग केंद्र, पुनर्वास निदेशक के प्रतिनिधि और टीएचडीसी इंडिया के प्रतिनिधि शामिल हैं.
ये भी पढ़ें: Tehri Crisis: अकेला नहीं है जोशीमठ! घनसाली के लैणी भिलंग गांव में भी पड़ी दरार

स्थानीय विधाय किशोर उपाध्याय का क्या है कहना: मैं 2005 से बांध की सुरंगें बंद होने के समय से इन मुद्दों को लेकर संघर्षरत हूं. समिति को बुलाने के लिए पुनर्वास निदेशक को निर्देश दिए थे. समिति का तीन दिन का भ्रमण है. प्रभावितों का आकलन कर डबल इंजन की सरकार बांध प्रभावितों और विस्थापितों की समस्याएं हल करेगी. 415 चिन्हित परिवारों के पुनर्वास के मुद्दे को भी भाजपा सरकार ने हाल ही में निस्तारित किया है.

टिहरी: बांध प्रभावित गांवों में झील के कारण हो रहे नुकसान का जायजा लेने के लिए संयुक्त विशेषज्ञ समिति (जेईसी) तीन दिन के भ्रमण पर आज सोमवार को टिहरी पहुंची है. समिति के सदस्य दो दिन भागीरथी घाटी में और एक दिन भिलंगना घाटी के चिन्हित गांवों का भ्रमण कर आकलन करेंगे. टिहरी बांध प्रभावित ग्रामीण लंबे समय से झील के कारण गांवों में भूस्खलन की शिकायत कर रहे हैं. समय-समय पर प्रभावित ग्रामीण पुनर्वास निदेशक सहित शासन-प्रशासन से गांवों का सर्वे कराने की मांग करते आ रहे हैं.

अवस्थापना (पुनर्वास) खंड नई टिहरी के ईई धीरेंद्र सिंह नेगी ने बताया कि जनप्रतिनिधियों और पुनर्वास निदेशक के निर्देश पर आज सोमवार 30 जनवरी को समिति भागीरथी घाटी के ग्राम राम गांव, तिवाड़ गांव, भल्डियाणा, भल्ड गांव, हडियाडी जबकि 31 जनवरी को डोबन, सरोट, चिन्यालीसौड़ का स्थलीय निरीक्षण करेंगे. उन्होंने बताया कि 1 फरवरी को समिति के सदस्य भिलंगना घाटी के ग्राम उठड़, पिपोलाखास, नंदगांव, नारगढ़, पिपोला-ढुंग मंदार और पिलखी गांव का भ्रमण करेंगे.

टिहरी बांध प्रभावित संघर्ष समिति के अध्यक्ष सोहन सिंह राणा, मामले की कोर्ट में पैरवी करने वाले शांति प्रसाद भट्ट, प्रदीप भट्ट, कुलदीप पंवार आदि ने बताया कि बांध के जलाशय का जलस्तर घटने-बढ़ने के कारण आरएल 835 से ऊपर के गांवों में लगातार भूस्खलन हो रहा है. पिपोलाखास, नारगढ़, लुणेटा, भटकंडा, रौलाकोट गांवों में लोगों के घरों और जमीन पर लंबी-लंबी दरारें पड़ी हुई हैं. लोग दहशत में जीवन यापन कर रहे हैं. ऐसे में जेईसी इन गांवों का निरीक्षण कर जल्द रिपोर्ट उपलब्ध कराए.

संयुक्त विशेषज्ञ समिति में यह लोग हैं शामिल: टिहरी बांध प्रभावित गांवों के आकलन के लिए शासन की ओर से गठित जेईसी में भारतीय भू-सर्वेक्षण विभाग के प्रतिनिधि, प्रमुख वन सरंक्षक उत्तराखंड, केंद्रीय मृदा एवं जल संरक्षण अनुसंधान व प्रशिक्षण संस्थान, भूगर्भीय एवं खनन विभाग, भारतीय सर्वेक्षण विभाग, आईआईटी रुड़की, उत्तराखंड अंतरित उपयोग केंद्र, पुनर्वास निदेशक के प्रतिनिधि और टीएचडीसी इंडिया के प्रतिनिधि शामिल हैं.
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स्थानीय विधाय किशोर उपाध्याय का क्या है कहना: मैं 2005 से बांध की सुरंगें बंद होने के समय से इन मुद्दों को लेकर संघर्षरत हूं. समिति को बुलाने के लिए पुनर्वास निदेशक को निर्देश दिए थे. समिति का तीन दिन का भ्रमण है. प्रभावितों का आकलन कर डबल इंजन की सरकार बांध प्रभावितों और विस्थापितों की समस्याएं हल करेगी. 415 चिन्हित परिवारों के पुनर्वास के मुद्दे को भी भाजपा सरकार ने हाल ही में निस्तारित किया है.

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