धनोल्टी: अपने लोक संस्कृति के लिए प्रसिद्ध जौनपुर ब्लॉक के ग्राम ख्यार्शी ललोटना में इन दिनों जागड़ा पर्व की धूम है. मान्यता है कि धार्मिक पर्व जागड़ा राजा रघुनाथ देवता की पूजा-अर्चना के रूप में मनाया जाता है. इस पर्व को कालरात्रि के रूप में भी मनाया जाता है. वहीं दूसरे दिन भव्य रुप से सभी देवी देवता अवतार लेते हैं. दूर-दूर से जागड़ा के लिए पहुंचे लोग आपस में मेल मिलाप करते हुए सुख-समृद्धि की कामना करते हैं.
बता दें कि गांव ख्यार्शी के ललोटना में देर रात देवी-देवता अवतरित होते हैं और अपनी पीठ पर लोहे की सांट से खुद को मारते हैं. बताया जाता है कि द्वापर युग में भगवान श्रीराम ने अपने भक्तों की रक्षा के लिए जगह-जगह अपने धाम चुनें. जिसमें कहा जाता है कि पहला मंदिर राजा रघुनाथ जी का कश्मीर में है और दूसरा हनोल के जौनसार में पड़ता है जो कि महासू देवता के नाम से जाना जाता है.
वर्षों पुरानी मान्यता है कि उस गांव की ध्याण( ब्याही बेटी बहन ) जो अपने ससुराल में रहती हैं. अगर उसके ससुराल में किसी भी प्रकार की परेशानी या उसके बच्चों कोई दुख या बीमारी हो तो वो ध्याण अपने देवता का सुमिरन करके भगवान रघुनाथजी से अपनी और अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. जिसके बाद रघुनाथ उनकी रक्षा के लिए उनके ससुराल तक जाते हैं और उन धियाणियों की मन्नतें पूरी करते हैं.
वहीं, देवभूमि के गढ़वाल की भाषा में ये देवता महासु के नाम से भी जाने जातें हैं. मान्यता है कि जगाड़े के दिन भगवान राजा रामनाथ की डोली को स्नान कराया जाता है. जिसके बाद पूरे गांव में सभी देवता भ्रमण के लिए निकलते हैं और समापन में फल, श्रीफल और छत्र चढ़ाया जाता है. वहीं बारी-बारी से गांवों में जगाड़े का आयोजन होता है.