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सरकार की उदासीनता से बंद हुई ITI की कक्षाएं, गौशाला बना करोड़ों की लागत का निर्माणाधीन भवन

थौलधार विकासखंड कंडीसौड़ में पांच साल पहले करीब एक करोड़ 25 लाख रुपये की लागत से आईटीआई भवन का निर्माण शुरू किया गया था, लेकिन अभी तक निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है. जबकि, विकास खंड कार्यालय में संचालित हो रही कक्षाएं भी बंद हो गई हैं.

iti building kandisaur
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Published : Sep 18, 2019, 7:16 PM IST

Updated : Sep 18, 2019, 9:27 PM IST

धनोल्टीः सरकार स्किल डेवलपमेंट और तकनीकी शिक्षा देने के लाख दावे करती है, लेकिन धरातल पर सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं. इसकी बानगी थौलधार के कंडीसौड़ में देखने को मिल रही है. यहां पर करीब सवा करोड़ रुपये की लागत से बन रहा आईटीआई भवन पांच साल बीत जाने के बाद भी तैयार नहीं हो पाया है. आलम ये है कि निर्माणाधीन भवन मवेशियों का अड्डा बन गया है. वहीं, आईटीआई की कक्षाओं का संचालन विकास खंड कार्यालय के एक कमरे में हो रहा था, वो भी बंद हो गई है.

अधर में लटका आईटीआई भवन का निर्माण कार्य.

बता दें कि, थौलधार विकासखंड में 11 साल पहले एक आईटीआई खोलने की स्वीकृति मिली थी. उस समय प्रारंभिक तौर पर आईटीआई का संचालन विकास खंड कार्यालय के दो कमरों में दो ट्रेडों के साथ शुरू हुआ था. कुछ समय बाद कंडीसौड़ तहसील का गठन होने के बाद एक कमरा तहसील को दे दिया गया और आईटीआई एक कमरे में सिमट कर रह गई. जिस कारण एक ट्रेड को बंद करना पड़ा.

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वहीं, एकमात्र संचालित डाटा एंट्री ट्रे़ड को भी बंद कर दिया गया है. स्थानीय जनता की मांग पर पांच साल पहले करीब एक करोड़ 25 लाख रुपये की लागत से आईटीआई भवन का निर्माण शुरू किया गया. जिसका कार्य उत्तरप्रदेश निर्माण निगम को सौंपा गया. इतना ही नहीं उत्तरप्रदेश निर्माण निगम ने धन की कमी का हवाला देते हुए भवन को अधूरा ही छोड़ दिया.

उधर, औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग ने ढाई साल पहले भवन के निर्माण को पूरा करने के लिए 65 लाख रुपये स्वीकृत किए थे, लेकिन उस धनराशि में जीएसटी का प्रावधान न किए जाने के कारण उत्तरप्रदेश निर्माण निगम ने इस धनराशि को विभाग को वापस लौटाने और जीएसटी के प्रावधानों के साथ बढ़ी हुई धनराशि देने का आग्रह किया. जिसके बाद यानि ढाई साल बीत जाने पर भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.

ये भी पढ़ेंः आज तक दारमा वैली में नहीं बनी सड़क, सीमा पर तैनात जवानों तक सप्लाई पहुंचाने में आ रही मुश्किल

शासन स्तर पर आज भी फाइल धन की मांग को लेकर घूम रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार स्किल डेवलपमेंट को लेकर कई तरह की नारे लगाती है, लेकिन यहां पर सरकार गंभीर नजर नहीं आ रही है. बढ़ते पलायन को रोकने के लिए आईटीआई में विभिन्न ट्रेड संचालित कर युवाओं को प्रशिक्षित करने को लेकर स्थानीय लोग टकटकी लगाए हैं, लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण भवन निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है. साथ ही अन्य ट्रेड भी संचालित नहीं हो पा रहे हैं.

इतना ही नहीं, विभाग ने यहां के अनुदेशक को देहरादून परीक्षा परिसर में तैनात कर दिया है. मामले पर आईटीआई के अनुदेशक के एस रावत ने बताया कि भवन के अभाव में अन्य ट्रेड संचालित नहीं हो पा रहे हैं. साथ ही एक ट्रेड संचालित करने में भी काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था. जिसके बाद वर्तमान में कोई भी ट्रेड संचालित नहीं हो पा रहा है. ट्रेड संचालित न होने के कारण भवन का कार्य पूरा करने को लेकर विभाग को पत्र भेजा गया है.

धनोल्टीः सरकार स्किल डेवलपमेंट और तकनीकी शिक्षा देने के लाख दावे करती है, लेकिन धरातल पर सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं. इसकी बानगी थौलधार के कंडीसौड़ में देखने को मिल रही है. यहां पर करीब सवा करोड़ रुपये की लागत से बन रहा आईटीआई भवन पांच साल बीत जाने के बाद भी तैयार नहीं हो पाया है. आलम ये है कि निर्माणाधीन भवन मवेशियों का अड्डा बन गया है. वहीं, आईटीआई की कक्षाओं का संचालन विकास खंड कार्यालय के एक कमरे में हो रहा था, वो भी बंद हो गई है.

अधर में लटका आईटीआई भवन का निर्माण कार्य.

बता दें कि, थौलधार विकासखंड में 11 साल पहले एक आईटीआई खोलने की स्वीकृति मिली थी. उस समय प्रारंभिक तौर पर आईटीआई का संचालन विकास खंड कार्यालय के दो कमरों में दो ट्रेडों के साथ शुरू हुआ था. कुछ समय बाद कंडीसौड़ तहसील का गठन होने के बाद एक कमरा तहसील को दे दिया गया और आईटीआई एक कमरे में सिमट कर रह गई. जिस कारण एक ट्रेड को बंद करना पड़ा.

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वहीं, एकमात्र संचालित डाटा एंट्री ट्रे़ड को भी बंद कर दिया गया है. स्थानीय जनता की मांग पर पांच साल पहले करीब एक करोड़ 25 लाख रुपये की लागत से आईटीआई भवन का निर्माण शुरू किया गया. जिसका कार्य उत्तरप्रदेश निर्माण निगम को सौंपा गया. इतना ही नहीं उत्तरप्रदेश निर्माण निगम ने धन की कमी का हवाला देते हुए भवन को अधूरा ही छोड़ दिया.

उधर, औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग ने ढाई साल पहले भवन के निर्माण को पूरा करने के लिए 65 लाख रुपये स्वीकृत किए थे, लेकिन उस धनराशि में जीएसटी का प्रावधान न किए जाने के कारण उत्तरप्रदेश निर्माण निगम ने इस धनराशि को विभाग को वापस लौटाने और जीएसटी के प्रावधानों के साथ बढ़ी हुई धनराशि देने का आग्रह किया. जिसके बाद यानि ढाई साल बीत जाने पर भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.

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शासन स्तर पर आज भी फाइल धन की मांग को लेकर घूम रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार स्किल डेवलपमेंट को लेकर कई तरह की नारे लगाती है, लेकिन यहां पर सरकार गंभीर नजर नहीं आ रही है. बढ़ते पलायन को रोकने के लिए आईटीआई में विभिन्न ट्रेड संचालित कर युवाओं को प्रशिक्षित करने को लेकर स्थानीय लोग टकटकी लगाए हैं, लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण भवन निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है. साथ ही अन्य ट्रेड भी संचालित नहीं हो पा रहे हैं.

इतना ही नहीं, विभाग ने यहां के अनुदेशक को देहरादून परीक्षा परिसर में तैनात कर दिया है. मामले पर आईटीआई के अनुदेशक के एस रावत ने बताया कि भवन के अभाव में अन्य ट्रेड संचालित नहीं हो पा रहे हैं. साथ ही एक ट्रेड संचालित करने में भी काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था. जिसके बाद वर्तमान में कोई भी ट्रेड संचालित नहीं हो पा रहा है. ट्रेड संचालित न होने के कारण भवन का कार्य पूरा करने को लेकर विभाग को पत्र भेजा गया है.

Intro:आई टी आई भवन न बनने से निराश हो रहे है क्षेत्र के युवा
Body:
धनोल्टी (टिहरी)

एंकर- आई टी आई भवन न बनने निराश क्षेत्र हो रहे के युवा
स्लग- राष्ट्रीय स्तर पर स्किल डेवलपमेंट का नारा खूब जोर-शोर से प्रचारित प्रसारित किया जा रहा है। लेकिन सरकारी स्तर पर ही इस नारे को पलीता लगाने का काम किया जा रहा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण थौलधार विकासखंड मुख्यालय कण्डीसौड़ में आईटीआई के लिए पाँच वर्ष पूर्व लगभग सवा करोड़ रुपए की लागत से भब्य भवन का निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया था।भवन का 75% कार्य लगभग तीन वर्ष पूर्व पूर्ण हो गया था। लेकिन विगत तीन साल से अभी तक धनाभाव के कारण भवन निर्माण रूका हुआ है। कुछ समय के लिए आईटीआई का संचालन विकास खंड कार्यालय के एक कमरे में संचालित कर स्किल डेवलपमेंट को हवा देने की भी कोशिश की गई लेकिन धरातल पर दावे आखिर फुस्स ही साबित हुए
बताते चले कि थौलधार विकासखंड मुख्यालय में 11 वर्ष पूर्व आईटीआई की स्वीकृति दी गई थी। उस समय प्रारंभिक तौर पर संचालन विकास खंड कार्यालय के दो कमरों में प्रारंभ किया गया था। दो ट्रेडों के साथ संचालन प्रारंभ किया गया था। कुछ समय बाद कण्डीसौड़ तहसील का गठन होने पर एक कमरा तहसील को दे दिया गया और आईटीआई एक कमरे में सिमट कर रह गई।जिस कारण एक ट्रेड बन्द करना पड़ा। जिस कारण अब केवल डाटा एन्ट्री आपरेटर का एक ट्रेड ही संचालित हो रहा है। जनता की मांग पर तीन वर्ष पूर्व लगभग सवा करोड़ रुपए की लागत से आईटीआई भवन का ढांचा खड़ा कर दिया गया। जिस का कार्य उत्तर प्रदेश निर्माण निगम द्वारा किया गया।उत्तरप्रदेश निर्माण निगम के द्वारा धन की कमी बताते हुए भवन को अधूरा छोड़ दिया गया। औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग द्वारा 65 लाख रुपए भवन को पूर्ण करने हेतु ढाई वर्ष पूर्व स्वीकृत कर दिए गए थे। किंतु उस धनराशि में जीएसटी का प्रावधान न किए जाने के कारण उत्तर प्रदेश निर्माण निगम ने वह धनराशि विभाग को वापस लौटाने एवं जीएसटी के प्रावधानों के साथ बढ़ी हुई धनराशि देने का आग्रह किया गया।किन्तु ढाई वर्ष बीत जाने पर भी अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। सरकारी स्तर पर आज भी वह फाइल धन की मांग को लेकर घूम रही है। स्किल डेवलपमेंट के नारे देने वाली सरकार द्वारा कोई अब तक कोई भी गंभीर प्रयास न करना यह दर्शाता है कि यह सब नारों तक सीमित है क्षेत्र के बढ़ते पलायन को रोकने के लिए आईटीआई में विभिन्न ट्रेड संचालित कर युवाओं को प्रशिक्षित करने की लोग आस लगाए बैठे हैं। किंतु सरकारी उदासीनता के कारण यह अभी तक संभव होता नहीं दिख रहा है।भवन निर्माण कार्य पूरा न होने के कारण अब अन्य ट्रेड भी संचालित नहीं हो पा रहे हैं। जिसके कारण विभाग के द्वारा यहां के अनुदेशक को फिलहाल देहरादून परीक्षा परिसर में बुलाया गया है इस सम्बंध में आईटीआई के अनुदेशक के एस रावत ने बताया कि कि भवन के अभाव में अन्य ट्रेड संचालित न करने के साथ ही एक ट्रेड संचालित करने में भी काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था जिसके बाद वर्तमान में कोई भी ट्रेड संचालित नही हो पा रहा है। ट्रेड संचालित न होने के कारण भवन को शीघ्र पूर्ण का पूर्ण करने को लेकर विभाग को पत्र भेजा गया है।


बाईट- राजपाल सिह गुसाई






Conclusion:एक कमरें मे संचालित हो रहा आई टी आई कार्यालय

भवन न बनने से पिछले दो बर्षो से बन्द हो रखा है एक मात्र ट्रेड है

क्षेत्र के आस पास नही है कोई अन्य आई टी आई
Last Updated : Sep 18, 2019, 9:27 PM IST
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