धनोल्टीः सरकार स्किल डेवलपमेंट और तकनीकी शिक्षा देने के लाख दावे करती है, लेकिन धरातल पर सभी दावे खोखले साबित हो रहे हैं. इसकी बानगी थौलधार के कंडीसौड़ में देखने को मिल रही है. यहां पर करीब सवा करोड़ रुपये की लागत से बन रहा आईटीआई भवन पांच साल बीत जाने के बाद भी तैयार नहीं हो पाया है. आलम ये है कि निर्माणाधीन भवन मवेशियों का अड्डा बन गया है. वहीं, आईटीआई की कक्षाओं का संचालन विकास खंड कार्यालय के एक कमरे में हो रहा था, वो भी बंद हो गई है.
बता दें कि, थौलधार विकासखंड में 11 साल पहले एक आईटीआई खोलने की स्वीकृति मिली थी. उस समय प्रारंभिक तौर पर आईटीआई का संचालन विकास खंड कार्यालय के दो कमरों में दो ट्रेडों के साथ शुरू हुआ था. कुछ समय बाद कंडीसौड़ तहसील का गठन होने के बाद एक कमरा तहसील को दे दिया गया और आईटीआई एक कमरे में सिमट कर रह गई. जिस कारण एक ट्रेड को बंद करना पड़ा.
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वहीं, एकमात्र संचालित डाटा एंट्री ट्रे़ड को भी बंद कर दिया गया है. स्थानीय जनता की मांग पर पांच साल पहले करीब एक करोड़ 25 लाख रुपये की लागत से आईटीआई भवन का निर्माण शुरू किया गया. जिसका कार्य उत्तरप्रदेश निर्माण निगम को सौंपा गया. इतना ही नहीं उत्तरप्रदेश निर्माण निगम ने धन की कमी का हवाला देते हुए भवन को अधूरा ही छोड़ दिया.
उधर, औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग ने ढाई साल पहले भवन के निर्माण को पूरा करने के लिए 65 लाख रुपये स्वीकृत किए थे, लेकिन उस धनराशि में जीएसटी का प्रावधान न किए जाने के कारण उत्तरप्रदेश निर्माण निगम ने इस धनराशि को विभाग को वापस लौटाने और जीएसटी के प्रावधानों के साथ बढ़ी हुई धनराशि देने का आग्रह किया. जिसके बाद यानि ढाई साल बीत जाने पर भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है.
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शासन स्तर पर आज भी फाइल धन की मांग को लेकर घूम रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार स्किल डेवलपमेंट को लेकर कई तरह की नारे लगाती है, लेकिन यहां पर सरकार गंभीर नजर नहीं आ रही है. बढ़ते पलायन को रोकने के लिए आईटीआई में विभिन्न ट्रेड संचालित कर युवाओं को प्रशिक्षित करने को लेकर स्थानीय लोग टकटकी लगाए हैं, लेकिन सरकार की उदासीनता के कारण भवन निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाया है. साथ ही अन्य ट्रेड भी संचालित नहीं हो पा रहे हैं.
इतना ही नहीं, विभाग ने यहां के अनुदेशक को देहरादून परीक्षा परिसर में तैनात कर दिया है. मामले पर आईटीआई के अनुदेशक के एस रावत ने बताया कि भवन के अभाव में अन्य ट्रेड संचालित नहीं हो पा रहे हैं. साथ ही एक ट्रेड संचालित करने में भी काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था. जिसके बाद वर्तमान में कोई भी ट्रेड संचालित नहीं हो पा रहा है. ट्रेड संचालित न होने के कारण भवन का कार्य पूरा करने को लेकर विभाग को पत्र भेजा गया है.