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31 मार्च तक बनकर तैयार हो जाएगा बहुप्रतिक्षित डोबरा-चांठी पुल

टिहरी में निर्माणाधीन डोबरा-चांठी ब्रिज अब लगभग तैयार होने को है. इंजिनियरों ने पुल के 31 मार्च 2020 तक तैयार होने की संभावना जताई है. डोबरा-चांठी भारत का सबसे लंबा एक मात्र हैवी मोटर व्हीकल संस्पेशन ब्रिज होगा.

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31 मार्च 2020 तक तैयार होगा डोबरा-चांठी ब्रिज.
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Published : Dec 4, 2019, 7:08 PM IST

धनोल्टी: टिहरी जनपद के विकासखंड प्रताप नगर को जोड़ने वाला निर्माणाधीन डोबरा-चांठी ब्रिज कई आंदोलनों और तकनीकी खामियों के बाद लगभग तैयार होने के अंतिम चरण पर है. पुल कार्य में लगे इंजीनियरों की मानें तो पुल 31 मार्च 2020 तक तैयार हो जायेगा. जिसका लाभ प्रतापनगर क्षेत्र के लोग उठा सकेंगे. वहीं, उत्तरकाशी क्षेत्र के गाजणा क्षेत्र के दर्जनों गांवो को भी इसका लाभ मिलेगा. बता दें कि इस पुल के निर्माण को लेकर प्रतापनगर क्षेत्र के लोग साल 2006 से मांग करते आ रहे थे.

31 मार्च 2020 तक तैयार होगा डोबरा-चांठी ब्रिज.

डोबरा-चांठी भारी वाहन सेतु भारत का सबसे लंबा एक मात्र हैवी मोटर व्हीकल संस्पेशन ब्रिज होगा. जिसका मुख्य स्पान 440 मीटर के साथ 260 मीटर डोबरा सेतु और दूसरी ओर 25 मीटर चांठी सेतु होगा यानि कुल लंबाई 760 मीटर होगी. पुल निर्माण में अन्य पुलों के निर्माण के प्रयोग में लाए जाने वाले रिवर्स केबल विन्ड केबल के स्थान पर कोरियन डिजाइन के लिंक शू विन्ड शू का प्रयोग किया गया है.

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड शीतकालीन सत्र को लेकर कार्यसूची तय, सदन में 4 संशोधित विधेयक होंगे पेश

साथ ही पुल निर्माण में फ्री सैडल रोलर के स्थान पर इसमें सैडलो को पहले ही टैग कर दिया गया है. जिसमें पुल पर लगे रस्से टैग हैं. इसके लिए पहले ही डिजाइन तैयार किया गया है. पुल निर्माण में 904 सस्पेंडर लगाए गए हैं. पुल का डिजायन कोरियन तकनीक से बनाया जा रहा है. टिहरी बांध झील पर बन रहे इस ब्रिज को पर्यटन की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. लोग पुल के ऊपर खड़े होकर टिहरी झील का और उसमें होने वाले सहासिक खेलों का भी आनंद ले सकते हैं.

धनोल्टी: टिहरी जनपद के विकासखंड प्रताप नगर को जोड़ने वाला निर्माणाधीन डोबरा-चांठी ब्रिज कई आंदोलनों और तकनीकी खामियों के बाद लगभग तैयार होने के अंतिम चरण पर है. पुल कार्य में लगे इंजीनियरों की मानें तो पुल 31 मार्च 2020 तक तैयार हो जायेगा. जिसका लाभ प्रतापनगर क्षेत्र के लोग उठा सकेंगे. वहीं, उत्तरकाशी क्षेत्र के गाजणा क्षेत्र के दर्जनों गांवो को भी इसका लाभ मिलेगा. बता दें कि इस पुल के निर्माण को लेकर प्रतापनगर क्षेत्र के लोग साल 2006 से मांग करते आ रहे थे.

31 मार्च 2020 तक तैयार होगा डोबरा-चांठी ब्रिज.

डोबरा-चांठी भारी वाहन सेतु भारत का सबसे लंबा एक मात्र हैवी मोटर व्हीकल संस्पेशन ब्रिज होगा. जिसका मुख्य स्पान 440 मीटर के साथ 260 मीटर डोबरा सेतु और दूसरी ओर 25 मीटर चांठी सेतु होगा यानि कुल लंबाई 760 मीटर होगी. पुल निर्माण में अन्य पुलों के निर्माण के प्रयोग में लाए जाने वाले रिवर्स केबल विन्ड केबल के स्थान पर कोरियन डिजाइन के लिंक शू विन्ड शू का प्रयोग किया गया है.

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साथ ही पुल निर्माण में फ्री सैडल रोलर के स्थान पर इसमें सैडलो को पहले ही टैग कर दिया गया है. जिसमें पुल पर लगे रस्से टैग हैं. इसके लिए पहले ही डिजाइन तैयार किया गया है. पुल निर्माण में 904 सस्पेंडर लगाए गए हैं. पुल का डिजायन कोरियन तकनीक से बनाया जा रहा है. टिहरी बांध झील पर बन रहे इस ब्रिज को पर्यटन की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. लोग पुल के ऊपर खड़े होकर टिहरी झील का और उसमें होने वाले सहासिक खेलों का भी आनंद ले सकते हैं.

Intro:कैसे बन रहा है डोबरा-चाँठी पुल खासBody:
धनोल्टी( टिहरी)

डोबरा- चाँठी पुल कैसे बन रहा खास

एंकर-टिहरी जनपद के विकासखण्ड प्रताप नगर को जोड़ने वाला निर्माणाधीन डोबरा-चाँठी ब्रिज कई आन्दोलनों , और बार बार आ रही तकनीकी खामियों के बाद अब लगभग तैयार होने के अन्तिम चरण पर है पुल कार्य मे लगे इंजिनियरों की मानें तो पुल 31 मार्च 2020 तक तैयार हो जायेगा जिसका लाभ प्रतापनगर क्षेत्र की लगभग 60-70 हजार की आबादी को मिलेगा साथ ही उत्तरकाशी क्षेत्र के गाजणा क्षेत्र के दर्जनों गाँवो को भी इसका लाभ मिलेगा इसकी माँग प्रतापनगर क्षेत्र के लोग बर्ष 2006 से करते आ रहे थे इस पुल का मुद्दा अब तक राज्य के साथ साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी बार बार उठता आ रहा था जो लगभग अब 13 बर्षो के इन्तजार के बाद बनकर तैयार होने जा रहा है

डोबरा-चाँठी भारी वाहन सेतु भारत का सबसे लम्बा एक मात्र हैब्बी मोटर व्हीकल संस्पेशन ब्रिज होगा
जिसका मुख्य स्पान 440 मीटर के साथ 260 मीटर डोबरा सेतु तथा दूसरी ओर 25 मीटर चाँठी सेतु होगा यानि कुल लम्बाई 760 मीटर होगी

पुल निर्माण में अन्य पुलो के निर्माण के प्रयोग मे लाये जाने वाले रिवर्स केबल विन्ड केबल के स्थान पर कोरियन डिजाइन के लिंक शू विन्ड शू का प्रयोग किया गया है साथ ही पुल निर्माण में फ्री सैडल रोलर के स्थान पर इसमे सैडलो को पहले ही टैग कर दिया गया है जिसमें पुल पर लगे रस्से टैग है इसके लिए पहले ही डिजाइन तैयार किया गया है

पुल निर्माण मे 904 सस्पेंडर लगाये गये है जिन्हे यही पर तैयार किया गया है


टिहरी बाँध झील पर बन रहे इस ब्रीज को पर्यटन की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है टिहरी झील पर कोटी कालोनी के करीब बन रहे इस ब्रिज पर पर्यटकों की आवाजाही की भी काफी उम्मीद है लोग पुल के ऊपर खड़े होकर टिहरी झील का आन्नद और उसमें होने वाले सहासिक खेलों का भी आन्नद ले सकते है

बाईट- सन्नी पालीवाल (सहा०अभियन्ता लो नि वि)


Conclusion:अब तक पहेली बना पुल का डिजायन अब कोरियन तकनीक से बनाया जा रहा है जिसके बाद कार्य में तेजी आई जिससे लोगों में अब आशा की किरण जगी है
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