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Gaushala without cows: टिहरी में 20 लाख की लागत से निर्मित गौशाला बनी शोपीस

टिहरी में 20 लाख से अधिक की लागत से निर्मित गौशाला शोपीस बनी हुई है. जिसके चलते गोवंश को कड़ाके की सर्दी में भी सड़कों पर रात बितानी पड़ रही है और अधिकारी इस मामले में चुप बैठे हैं.

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Published : Feb 2, 2023, 10:11 AM IST

टिहरी: 20 लाख से अधिक की लागत से पालिका के क्षेत्र के आंचल डेयरी वार्ड में निर्मित गौशाला शोपीस बनी हुई है. एक साल से अधिक समय से गौशाला बनकर तैयार है, लेकिन पालिका की लापरवाही गोवंश पशुओं को भारी पड़ रही है. पहले गौशाला में रैंप और रेलिंग नहीं होने के कारण यहां गोवंश को रखने में दिक्कत आ रही थी. अब सभी कार्य पूरे होने के बावजूद यहां पशुओं को नहीं रखा जा रहा है. इसके चलते गोवंश को कड़ाके की सर्दी में भी सड़कों पर रात बितानी पड़ रही है.

करीब 2 साल पूर्व नगर पालिका टिहरी ने वार्ड नंबर 11 आंचल डेयरी क्षेत्र में जे ब्लॉक के पास पुनर्वास विभाग की भूमि पर गौशाला का निर्माण कराया था. इस कार्य में पालिका ने 20 लाख से अधिक की धनराशि खर्च की. जबकि पूर्व में इस भूमि पर निचली मंजिल पर गौशाला एवं सामुदायिक भवन और ऊपरी तल पर पार्किंग प्रस्तावित थी. इसको दरकिनार कर टिनशेड से गौशाला के नाम पर निर्माण कार्य तो कराया गया, लेकिन गोवंश के संरक्षण के लिए सुरक्षा के कोई उपाय नहीं रखे गए.
ये भी पढ़ें: Smuggling of Cattle: उत्तराखंड में अब बख्‍शे नहीं जाएंगे गौ तस्‍कर, गैंगस्टर एक्ट में होगी कार्रवाई

आलम यह है कि गौशाला में जाने के लिए रैंप तक की व्यवस्था नहीं की गई है. गौशाला के आगे रेलिंग भी नहीं लगाई गई हैं, जिसके चलते जिला प्रशासन ने इस पर आपत्ति लगाते हुए निस्तारण के निर्देश दिए थे. हाल ही में नगर पालिका ने कुछ और धनराशि खर्च कर यह कार्य भी पूरे कर लिए हैं. लेकिन अभी भी यहां गोवंश को नहीं रखा जा रहा है. कड़ाके की ठंड में गोवंश सड़क, मोहल्लों और गलियों में रात गुजार रहे हैं.

स्थानीय लोगों का कहना है कि इतनी धनराशि खर्च होने के बावजूद गौशाला शोपीस बनी हुई है. स्थानीय मोहन सिंह रावत का कहना है कि इससे पूर्व भी नगर पालिका में कार्यों को लेकर जांच करने की मांग की गई थी, लेकिन अभी तक इन कार्यों की कोई जांच नहीं हुई. जिससे नगर पालिका में अनियमिताओं का सिलसिला जारी है. स्थानीय लोगों ने नगर पालिका द्वारा कराए गए कार्यों की जांच की मांग की है, लेकिन नतीजा सिफर ही है.

वहीं, इस बाबत पालिका के ईओ एमएल शाह का कहना है कि गौशाला का कार्य पूरा हो गया है. इसके संचालन के लिए निविदा निकाली जा रही है. जल्द ही किसी समिति को संचालन की जिम्मेदारी देकर गोवंश का संरक्षण किया जाएगा.

टिहरी: 20 लाख से अधिक की लागत से पालिका के क्षेत्र के आंचल डेयरी वार्ड में निर्मित गौशाला शोपीस बनी हुई है. एक साल से अधिक समय से गौशाला बनकर तैयार है, लेकिन पालिका की लापरवाही गोवंश पशुओं को भारी पड़ रही है. पहले गौशाला में रैंप और रेलिंग नहीं होने के कारण यहां गोवंश को रखने में दिक्कत आ रही थी. अब सभी कार्य पूरे होने के बावजूद यहां पशुओं को नहीं रखा जा रहा है. इसके चलते गोवंश को कड़ाके की सर्दी में भी सड़कों पर रात बितानी पड़ रही है.

करीब 2 साल पूर्व नगर पालिका टिहरी ने वार्ड नंबर 11 आंचल डेयरी क्षेत्र में जे ब्लॉक के पास पुनर्वास विभाग की भूमि पर गौशाला का निर्माण कराया था. इस कार्य में पालिका ने 20 लाख से अधिक की धनराशि खर्च की. जबकि पूर्व में इस भूमि पर निचली मंजिल पर गौशाला एवं सामुदायिक भवन और ऊपरी तल पर पार्किंग प्रस्तावित थी. इसको दरकिनार कर टिनशेड से गौशाला के नाम पर निर्माण कार्य तो कराया गया, लेकिन गोवंश के संरक्षण के लिए सुरक्षा के कोई उपाय नहीं रखे गए.
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आलम यह है कि गौशाला में जाने के लिए रैंप तक की व्यवस्था नहीं की गई है. गौशाला के आगे रेलिंग भी नहीं लगाई गई हैं, जिसके चलते जिला प्रशासन ने इस पर आपत्ति लगाते हुए निस्तारण के निर्देश दिए थे. हाल ही में नगर पालिका ने कुछ और धनराशि खर्च कर यह कार्य भी पूरे कर लिए हैं. लेकिन अभी भी यहां गोवंश को नहीं रखा जा रहा है. कड़ाके की ठंड में गोवंश सड़क, मोहल्लों और गलियों में रात गुजार रहे हैं.

स्थानीय लोगों का कहना है कि इतनी धनराशि खर्च होने के बावजूद गौशाला शोपीस बनी हुई है. स्थानीय मोहन सिंह रावत का कहना है कि इससे पूर्व भी नगर पालिका में कार्यों को लेकर जांच करने की मांग की गई थी, लेकिन अभी तक इन कार्यों की कोई जांच नहीं हुई. जिससे नगर पालिका में अनियमिताओं का सिलसिला जारी है. स्थानीय लोगों ने नगर पालिका द्वारा कराए गए कार्यों की जांच की मांग की है, लेकिन नतीजा सिफर ही है.

वहीं, इस बाबत पालिका के ईओ एमएल शाह का कहना है कि गौशाला का कार्य पूरा हो गया है. इसके संचालन के लिए निविदा निकाली जा रही है. जल्द ही किसी समिति को संचालन की जिम्मेदारी देकर गोवंश का संरक्षण किया जाएगा.

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