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जंगलों की आग की घटनाओं को लेकर वन विभाग अलर्ट, रद्द की वन कर्मियों की छुट्टियां - उत्तराखंड न्यूज

टिहरी वन प्रभाग अधिकारी कोको रोसे ने बताया कि फायर सीजन की वजह से वन कर्मियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गये हैं. साथ ही सभी वन कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी गईं हैं.

फायर सीजन की वजह से वन विभाग अलर्ट
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Published : Apr 25, 2019, 9:00 PM IST

टिहरी: जंगलों को आग से बचाने के लिए उत्तराखंड वन विभाग मुस्तैद हो गया है. विभाग ने सभी वन प्रभाग के अधिकारियों को अलर्ट रहने को कहा है. साथ ही वन विभाग ने सभी वन कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं. बता दें, टिहरी में 2 लाख 31 हजार 517 हेक्टेयर रिजर्व फॉरेस्ट है, जबकि 1 लाख 5 हजार 127 हेक्टेयर सिविल फॉरेस्ट है. गर्मियों के सीजन में अक्सर जंगल में आग लग जाती है.

पढे़ं- ओलावृष्टि से हुई 6 मवेशियों की मौत, ग्रामीणों ने की मुआवजे की मांग

आखिर क्यों लगती है आग

  • गर्मी के सीजन में जंगल में आग लगने का मुख्य कारण पिरोल हैं.
  • चीड़ की पत्तियां ज्वलनशील पदार्थ का काम करती है.
  • चीड़ की पत्तियों में लिग्निन नाम का रसायन होता है, जिसकी वजह से वे ज्वलनशील होती हैं और जल्दी आग पकड़ लेती हैं.
  • जंगलों में चीड़ के पेड़ की पत्तियां गिरने से नई घास तब तक नहीं उगती, जब तक इन पत्तियों को हटा न दिया जाए.

इन आवश्यक बिंदुओं पर भी एक नजर

  • आग के कारण जंगलों में सबसे ज्यादा नुकसान पक्षियों और जंगली जानवरों का होता है जो आग के कारण मारे जाते हैं.
  • टिहरी जिले में हिमालयी वनस्पतियों की विशाल श्रृंखला पाई जाती है. जो उष्ण कटिबंध प्रजाति से भिन्न हैं.
  • वनस्पति को 6 प्रकार से विभाजित किया गया है. जिसमें ऊष्ण कटिबंधीय यानी सूखा वन, साल वन, चीड़ वन, देवदार वन और ओंक वन हैं.
  • टिहरी जनपद के जंगल उत्तरकाशी, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और देहरादून के बीच चारों ओर से घिरा हुआ है.

टिहरी वन प्रभाग अधिकारी कोको रोसे ने बताया कि जिले में सभी वन कर्मियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गये हैं. साथ ही वन कर्मियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी गईं हैं. जंगलों को आग से बचाने के लिए 42 फायर स्टेशन बनाये हैं. बता दें, 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन चलता है.

टिहरी: जंगलों को आग से बचाने के लिए उत्तराखंड वन विभाग मुस्तैद हो गया है. विभाग ने सभी वन प्रभाग के अधिकारियों को अलर्ट रहने को कहा है. साथ ही वन विभाग ने सभी वन कर्मियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं. बता दें, टिहरी में 2 लाख 31 हजार 517 हेक्टेयर रिजर्व फॉरेस्ट है, जबकि 1 लाख 5 हजार 127 हेक्टेयर सिविल फॉरेस्ट है. गर्मियों के सीजन में अक्सर जंगल में आग लग जाती है.

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आखिर क्यों लगती है आग

  • गर्मी के सीजन में जंगल में आग लगने का मुख्य कारण पिरोल हैं.
  • चीड़ की पत्तियां ज्वलनशील पदार्थ का काम करती है.
  • चीड़ की पत्तियों में लिग्निन नाम का रसायन होता है, जिसकी वजह से वे ज्वलनशील होती हैं और जल्दी आग पकड़ लेती हैं.
  • जंगलों में चीड़ के पेड़ की पत्तियां गिरने से नई घास तब तक नहीं उगती, जब तक इन पत्तियों को हटा न दिया जाए.

इन आवश्यक बिंदुओं पर भी एक नजर

  • आग के कारण जंगलों में सबसे ज्यादा नुकसान पक्षियों और जंगली जानवरों का होता है जो आग के कारण मारे जाते हैं.
  • टिहरी जिले में हिमालयी वनस्पतियों की विशाल श्रृंखला पाई जाती है. जो उष्ण कटिबंध प्रजाति से भिन्न हैं.
  • वनस्पति को 6 प्रकार से विभाजित किया गया है. जिसमें ऊष्ण कटिबंधीय यानी सूखा वन, साल वन, चीड़ वन, देवदार वन और ओंक वन हैं.
  • टिहरी जनपद के जंगल उत्तरकाशी, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग और देहरादून के बीच चारों ओर से घिरा हुआ है.

टिहरी वन प्रभाग अधिकारी कोको रोसे ने बताया कि जिले में सभी वन कर्मियों को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गये हैं. साथ ही वन कर्मियों की छुट्टियां भी रद्द कर दी गईं हैं. जंगलों को आग से बचाने के लिए 42 फायर स्टेशन बनाये हैं. बता दें, 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन चलता है.

Intro:जंगलों को आग से बचाने के लिए टिहरी बन बिभाग हुआ मुस्तेद,सभी बन कर्मियो को किया अलर्ट

टिहरी जिले में 2 लाख 31 हजार 517 हेक्टेयर रिजर्व फॉरेस्ट ओर 1 लाख 5 हजार 127 हेक्टेयर सिविल फॉरेस्ट में आता है जिसमे 80 प्रतिशत 80 हजार हेक्टेयर से अधिक चीड़ के जंगल है और यह चीड़ आग फैलाता है क्योंकि चीड़ के पेड से गिरने वाले पिरोल हल्की आग में भी तेजी से आग फैलाता है


Body:टिहरी जिला बन प्रभागीय अधिकारी ने जिले में सभी बन कर्मीयों के निर्देश दिए है कि वह गर्मियो के फायर सीजन को देखते अलर्ट रहने को कहा, जिला बन प्रभागीय अधिकारी कोको रोसो ने कहा कि जंगलो को आग से बचाने के लिए 42 क्रो स्टेशन बनाये है साथ ही 15 फरवरी से 15 जून तक फायर सीजन चलता है

आग के कारण जंगलो में सबसे ज्यादा नुकसान पक्षियों जंगली जानवरों का होता जो आग के कारण मर जाते है,

टिहरी जिले में हिमालयी वनस्पतियों की विशाल श्रृंखला पाई जाती है उष्ण कटिबंध प्रजाति से भिन्न है यह निचली पहाड़ियों के व्हाया इलाके से उत्तर भाग में अल्पाइन फूलो तक फैली है

टिहरी जिले की वनस्पति को 6 प्रकार से विभाजित किया गया है जिसमे ऊष्ण कटि वंधिया यानी शुखा बन,साल बन ,चीड़ बन,देवदार बन,ओंक बन,अल्पाइन चारागाह,

टिहरी जिला गढ़वाल हिमालय की हिम से ढकी थलीय सागर ,जनोली ओर गनोत्री पर्वत श्रृंखला से तलहटी में ऋषिकेश तक फैला है

टिहरी जनपद के जंगल उत्तरकाशी पोड़ी गढ़वाल रुद्रप्रयाग ओर देहरादुन के बीच चारो ओर से घिरा हुआ है


Conclusion:जिला बन प्रभागीय अधिकारी कोको रोसो ने गर्मियों को देखते हुए सभी कर्मचारियों की छुट्टियों रदद् कर दी है साथ हीं जिले के सभी 42 क्रो स्टेशन को सतर्क रहने को कह है कि कही भी आग की लगे तो तुरंत वह पे पहुंच सके

बाइट जिला बन प्रभागीय अधिकारी कोको रोसो

इसके विसुवल लाइव यु में भी भेजी है,
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