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श्रीदेव सुमन को डंडा फेंककर भी पकड़ नहीं पाई थी पुलिस, राजशाही की दिलाता है याद - टिहरी न्यूज

सबसे बड़े आंदोलनकारियों में से एक रहे श्रीदेव सुमन के परिजनों ने आज भी उनसे जुड़ी वस्तुओं को संजोकर रखा है. राजशाही के दौरान पुलिस ने उन्हें भागने से रोकने के लिये जो डंडा फेंका था वो आज भी सुरक्षित है.

Sridev Suman
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Published : Jan 25, 2021, 2:53 PM IST

टिहरी: महान क्रांतिकारी श्रीदेव सुमन के परिजनों ने आज भी उनकी याद में उनसे जुड़ी वस्तुओं को संजोकर रखा है. राजशाही की पुलिस का डंडा श्रीदेव सुमन के परिजनों ने अभी तक संजोकर रखा है. बता दें कि, श्रीदेव सुमन सबसे बड़े आंदोलनकारी रहे हैं. टिहरी राजशाही के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले श्रीदेव सुमन के घर पर उनका सामान आज भी सुरक्षित है.

संजोकर रखा है श्रीदेव सुमन के परिजनों ने राजशाही पुलिस का डंडा.

बता दें, श्रीदेव सुमन को देखते ही पुलिस के एक जवान ने उनके ऊपर जोर से डंडा फेंका था. श्रीदेव सुमन तो भाग गये डंडा एक झाड़ी में उलझ गया. जो डंडा झाड़ी में अटक गया था उसे श्रीदेव सुमन की मां ने अपने पास छुपा दिया. राजशाही की पुलिस ने सुमन की मां से डंडा वापस मांगा और धमकी भी दी. लेकिन श्रीदेव सुमन की मां ने डंडा वापस नहीं दिया. इसके बाद राजशाही की पुलिस टिहरी वापस चली गई. श्रीदेव सुमन (28) साल की उम्र में 25 जुलाई 1944 को राजशाही के खिलाफ 84 दिनों तक भूख हड़ताल करने के बाद शहीद हो गए.

पढ़ें: नेपाल में सियासी उठापटक : ओली को सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी से हटाया गया

वहीं श्रीदेव सुमन के भाई के पुत्र मस्तराम बड़ोनी ने बताया कि श्रीदेव सुमन से जुड़ी यादें पलंग, डेस्क और पुलिस का डंडा आज भी उनके पास सुरक्षित है. जिन्हें वे अपने पितरों की निशानी समझते हैं. उन्होंने कहा कि यहां पर श्रीदेव सुमन की जयंती और बलिदान दिवस पर कई नेता मुख्यमंत्री आए और इन वस्तुओं को संजोकर रखने के वादे किए. आज तक किसी ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया.

टिहरी: महान क्रांतिकारी श्रीदेव सुमन के परिजनों ने आज भी उनकी याद में उनसे जुड़ी वस्तुओं को संजोकर रखा है. राजशाही की पुलिस का डंडा श्रीदेव सुमन के परिजनों ने अभी तक संजोकर रखा है. बता दें कि, श्रीदेव सुमन सबसे बड़े आंदोलनकारी रहे हैं. टिहरी राजशाही के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले श्रीदेव सुमन के घर पर उनका सामान आज भी सुरक्षित है.

संजोकर रखा है श्रीदेव सुमन के परिजनों ने राजशाही पुलिस का डंडा.

बता दें, श्रीदेव सुमन को देखते ही पुलिस के एक जवान ने उनके ऊपर जोर से डंडा फेंका था. श्रीदेव सुमन तो भाग गये डंडा एक झाड़ी में उलझ गया. जो डंडा झाड़ी में अटक गया था उसे श्रीदेव सुमन की मां ने अपने पास छुपा दिया. राजशाही की पुलिस ने सुमन की मां से डंडा वापस मांगा और धमकी भी दी. लेकिन श्रीदेव सुमन की मां ने डंडा वापस नहीं दिया. इसके बाद राजशाही की पुलिस टिहरी वापस चली गई. श्रीदेव सुमन (28) साल की उम्र में 25 जुलाई 1944 को राजशाही के खिलाफ 84 दिनों तक भूख हड़ताल करने के बाद शहीद हो गए.

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वहीं श्रीदेव सुमन के भाई के पुत्र मस्तराम बड़ोनी ने बताया कि श्रीदेव सुमन से जुड़ी यादें पलंग, डेस्क और पुलिस का डंडा आज भी उनके पास सुरक्षित है. जिन्हें वे अपने पितरों की निशानी समझते हैं. उन्होंने कहा कि यहां पर श्रीदेव सुमन की जयंती और बलिदान दिवस पर कई नेता मुख्यमंत्री आए और इन वस्तुओं को संजोकर रखने के वादे किए. आज तक किसी ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया.

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