टिहरी: हरीश रावत सरकार में पीडीएफ कोटे से पर्यटन मंत्री रहे दिनेश धनै (Former cabinet minister Dinesh Dhanai) सियासत की पिच पर बड़ा शॉट खेलने की तैयारी में हैं. पिछले दिनों भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भाटी मुलाकात के बाद पूर्व कैबिनेट मंत्री के भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं तेज है. दिनेश धनै का मानना है कि टिहरी के विकास के लिए उन्होंने जो सपने देखने देखे थे, वो अभी तक उधूरे हैं. बीजेपी विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है और प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट उनके पुराने साथी हैं. ऐसे में वह बीजेपी में शामिल होने का फैसला ले सकते हैं. इस संबंध में ईटीवी भारत ने दिनेश धनै से खास बातचीत की...
सवाल- क्या आप बीजेपी में शामिल हो सकते हैं ?
जवाब- महेंद्र भट्ट हमारे पुराने मित्र हैं. जब हम ऋषिकेश में पढ़ते थे. वह मेरे सबसे पुराने साथी हैं. उनसे मुलाकात की चर्चाएं जो हैं वह आप लोगों के बीच में है. निश्चित तौर पर महेंद्र भट्ट जी पार्टी के मुखिया हैं और मुखिया होने के नाते हर मुखिया चाहता है कि मेरा परिवार बढे़. वही उनकी सोच भी है और पार्टी को लेकर भी और हमारी जो मुलाकात हुई है वह मित्रता के नाते हुई है.
सवाल- क्या लोकसभा चुनाव को देखते हुए आगे की रणनीति बना रहे है?
जवाब- महेंद्र भट्ट ने प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते कहा कि है आप पार्टी में सम्मिलित हों. लेकिन मैने कहा जो भी निर्णय लूंगा, अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर मिलकर निर्णय लूंगा. मैं आज जहां पर भी हूं, जिस भी स्थिति में हूं. अपने उन्हीं साथियों की वजह से हूं. उन कार्यकर्ताओं की वजह से हूं. इसलिए मेरा दायित्व भी है, जब भी कोई निर्णय लूं तो अपने साथियों को जरूर पूछूं और विश्वास में लेकर ही आगे निर्णय लूंगा.
सवाल- टिहरी के विकास के लिए भाजपा में नहीं जा रहे हैं ?
जवाब- यह सच है कि जो विकास का सपना जो मैंने देखे थे, वो सपने अधूरे रह गए. उनमें कई योजनाएं अधूरी हैं. उनके चुनाव हारने के बाद जीतकर आए नए जनप्रतिनिधियों की छोटी सोच के कारण कई कई स्वीकृत योजनाएं भी बलि चढ़ गईं. मेरा मानना है कि क्षेत्र का विकास चाहिए. एक ऐसी पार्टी हो जो मजबूत हो, जिसका जनप्रतिनिधि मजबूत हो. आज हमारे क्षेत्र में विकास की करने जरूरत है.
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देहरादून राजधानी से सबसे नजदीक का जिला टिहरी है, जो यहां पर विकास होने चाहिए थे, जिस विकास के रेखा मैंने खींची थी, ओ रेखा अभी अधूरी है. उन पर अभी काम नहीं हुआ है. उसको लेकर जरूर मेरे मन में पीड़ा है कि मैं कुछ काम नहीं कर पाया. यह अवसर मुझे जनता ने नहीं दिया. उन कामों को लेकर जो मेरे सपने थे, उनमें मेरी कोई कमी नहीं थी. न ही उनको पूरा करने के लिए मेरी इच्छा शक्ति में कोई कमी आई. अगर उन कामों को करने के लिए कहीं पर मार्ग बदलना पड़े तो मैं बदलने को तैयार हूं और इस पर विचार किया जाएगा.
सवाल- क्या अधूरे कामों को पूरा करने के लिए भाजपा से सौदा?
जवाब- विकास को कुछ लोग अपने-अपने ढंग से परिभाषित कर सकते हैं लेकिन निश्चित तौर पर हम कोई मार्ग बदलते हैं, तो उद्देश्य हमें नहीं बदलना चाहिए. जो हमारी मंजिल है वह नहीं बदलनी चाहिए. निश्चित मैं भी उस बात पर कायम हूं. जनप्रतिनिधि जनता की सेवा के लिए होते हैं और सेवा का माध्यम अगर नहीं बदलना पड़े तो जनप्रतिनिधि को उस पर विचार करना चाहिए.
सवाल - भाजपा में कब तक शामिल होंगे?
जवाब- अभी कोई ऐसा निर्णय नहीं है. महेंद्र भट्ट से मित्रता है और बात भी आगे होती रहेगी. कब क्या होना है ? यह मुझे भी नहीं पता. क्योंकि जब कुछ होना होगा वह होकर रहेगा. यह सब किस्मत का खेल है. आदमी अपनी मर्जी से आगे नहीं बढ़ता, उसे उसकी तकदीर लेकर चलती है. निश्चित तौर पर मैं भी इंसान हूं. मैं भी भाग्य के हाथ विवश हूं. जहां मुझे भाग्य लेकर चलेगा मैं भी वहां चलूंगा. मैं भी विवश हूं चलने के लिए.
सवाल- क्या आपके पास बीजेपी के बड़े नेताओं के फोन आए?
जवाब- शायद उस समय परिस्थिति नहीं थी. शायद भाग्य को कुछ और मंजूर था इसलिए मैंने कहा भाग्य ने जो मंजूर होगा वह होगा. भाग्य के हिसाब से हम निर्णय लेंगे.
सवाल- बीजेपी सरकार के कामों पर क्या कहना है?
जवाब- मेरा मानना है कि जिस ढंग से भारतीय जनता पार्टी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी है. निश्चित तौर पर जहां भारतीय जनता पार्टी है और तो दृढ़ इच्छाशक्ति उनके जनप्रतिनिधियों में है. कुछ करने की क्षमता जिन-जिन जनप्रतिनिधियों में है वहां का विकास हुआ है. जहां का जनप्रतिनिधि सोया हो उसी ढंग से वहां का विकास होता है. मेरा मानना है कि भारतीय जनता पार्टी में जहां-जहां मजबूत नेतृत्व और जनप्रतिनिधि रहा है. वहां पर अच्छा विकास हुआ है लेकिन जहां पर अच्छा जनप्रतिनिधि नहीं रहा वहां का विकास रुका है.