टिहरी: पहाड़ों में लगातार हो रही बारिश के बाद टिहरी झील का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. बीती रात टिहरी झील का जलस्तर 827 आरएल मीटर था और करीब 15 घंटे में झील का जलस्तर एक बढ़कर 828 आरएल मीटर पहुंच गया है. झील का जलस्तर बढ़ने से आसपास बसे रौलाकोट, गडोली और कंगसाली आदि गांवों के नीचे अब जमीन खिसकने लग गई है. साथ ही मकानों में दरार भी पड़ने लगी है. इससे ग्रामीण दहशत के साये में जीने को मजबूर हैं.
जानकारी के मुताबिक, टिहरी झील का जलस्तर 828 आरएल मीटर तक पहुंच गया है. इससे झील के आसपास बसे गांवों की जमीनों पर कटाव होने का खतरा बढ़ गया है. रौलाकोट, गडोली और कंगसाली आदि गांवों के नीचे अब जमीन खिसकने लग गई है. साथ ही मकानों में दरार भी पड़ने लगी है.
35 किलोमीटर दूर तक असर: टिहरी झील के जलस्तर बढ़ने का असर करीब 35 से 40 किलोमीटर दूर तक देखा जा रहा है. झील से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित चिन्यालीसौड़ तक देखा जा रहा है. दबाव पड़ने से सड़कों और मकानों में दरारें पड़ने लगीं हैं. इसका असर रौलाकोट, उप्पू और तिवाड़ी, गड़ोली और कंगसाली समेत अन्य गांवों में देखने को मिल रहा है.
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भिलंगना घाटी के दर्जनों गांव प्रभावित: टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से भिलंगना घाटी के भी दर्जनों गांव प्रभावित हैं. यहां पिलखी, ननगांव और उत्थड़ गांवों में भी कई मकानों में दरार पड़ने लगी है.
415 परिवार ज्यादा प्रभावित: कुछ महीने पहले जिला प्रशासन, भारत सरकार और राज्य सरकार की लगातार बैठक हुईं. बैठक में रौलाकोट गांव सहित 415 परिवारों के विस्थापन पर चर्चा हुई थी. बैठक में निर्णय लिया गया था कि 415 परिवारों का विस्थापन किया जाएगा. लेकिन अभी भी जिला प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती यह है कि इनके पास विस्थापित करने के लिए कोई भी जमीन उपलब्ध नहीं है.
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टीएचडीसी को मिली जलस्तर बढ़ाने की अनुमति: इससे पहले टिहरी झील में जलभराव की अनुमति 825 आरएल मीटर थी. लेकिन हाल ही में सरकार ने टीएचडीसी को टिहरी झील में पानी भरने की क्षमता को बढ़ाकर 830 आरएल मीटर कर दिया है. तब झील का जलस्तर 825 आरएल मीटर तक पहुंचने पर गांवों में भारी नुकसान होता था, जिसका खामियाजा झील के आसपास रह गए ग्रामीणों को उठाना पड़ता था. लेकिन अब स्थिति और भयावह हो गई है.
झील का जलस्तर बढ़ाने का विरोध: उत्तराखंड सरकार ने बिना जमीन उपलब्ध हुए टीएचडीसी को टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने की अनुमति दे दी, जिसके खिलाफ ग्रामीणों ने विरोध करना शुरू कर दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक 415 परिवारों का विस्थापन नहीं होता है, तब तक झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर तक भराव की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी. लेकिन सरकार और टीएचडीसी की मिलीभगत होने के कारण झील का जलस्तर बढ़ाने की अनुमति दे दी गई और झील के आसपास के गावों को मुसीबत में डाल दिया गया.
इस मामले में कांग्रेस के पूर्व विधायक विक्रम सिंह नेगी ने कहा है कि राज्य सरकार ने झील में 830 आरएल मीटर पानी भरने की अनुमति देकर सरकार ने यहां की जनता को खतरे में डालने का काम किया है. उन्होंने कहा कि 415 परिवार अभी भी विस्थापन के लिए बाकी हैं लेकिन टीएचडीसी ने उनके साथ विस्थापन के नाम पर विश्वासघात किया है. उन्होंने सरकार से तत्काल सर्वे कराकर इन 415 परिवारों को जल्द से जल्द विस्थापित करने की मांग की है.
सामाजिक कार्यकर्ता खेम सिंह चौहान का कहना है कि टीएसडीसी अपने सीएसआर मद से झील के चारों तरफ डेवलपमेंट कर सकती थी, जिससे ग्रामीण सुरक्षित रह सकें. लेकिन टीएचडीसी पैसा कमाने में लगी है. ग्रामीणों को अपने हाल पर छोड़ दिया. टीएचडीसी को टिहरी झील का जलस्तर 830 आरएल मीटर भरने से उसके नुकसान का असर अब दिखने लग गया है. झील के चारों तरफ की सड़क में जगह-जगह भूस्खलन होने लग गया है.