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डोबरा-चांठी पुल बनकर तैयार, जल्द लोगों को मिलेगी सौगात - उत्तराखंड समाचार

साल 2006 से निर्माणाधीन डोबरा-चांठी पुल का निर्माण कार्य अब अन्तिम चरणों में है. साल 2020 तक पुल की आवाजाही आम लोगों के लिए खोल दी जाएगी.

डोबरा-चांठी पुल
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Published : Sep 10, 2019, 12:32 PM IST

टिहरी: टिहरी झील के ऊपर 13 सालों से निर्माणाधीन डोबरा-चांठी पुल के सभी पैनल जोड़ दिए गए हैं. इसके बाद अब प्रताप नगर के लोगों में खुशी का लहर है. डोबरा-चांठी पुल निर्माण कार्य में एडजस्टमेंट, वेल्डिंग और पेटिंग का कार्य शेष रह गया है. मार्च 2020 तक पुल पर आवाजाही शुरू हो जाएगी.

पढ़ें:अनियंत्रित तेज रफ्तार कार खेत में पलटी, बाल-बाल बचे दर्जन भर लोग

डोबरा-चांठी पुल का निर्माण लोनिवि और कार्यदायी कंपनी वीकेजेए एंड एमबीजेड़ ने किया है. 13 साल से पुल बनने का सपना देख रहे प्रतापनगरवासी अब खुश हैं. टिहरी बांध के चलते अलग-थलग पड़े प्रतापनगर क्षेत्र के लिए डोबरा-चांठी पुल की सभी 87 सेगमेंट (पैनल) जोड़ दिए गए हैं. अब सिर्फ पुल का प्रोफाइल करेक्शन, एडजस्टमेंट, नट-वोल्ट को टाईट करना, वेल्डिंग, पेटिंग और टेस्टिंग का कार्य बाकी रह गया है. अगले साल मार्च 2020 तक पुल पर आवाजाही होने लगेगी.

पढ़ें:पिरान कलियर साबिर दरगाह के पास बनी झोपड़ पट्टियों में कौन रह रहा है, लोगों ने उठाई ये मांग

गौर हो कि साल 2006 से निर्माणाधीन 440 मीटर स्पॉन के डोबरा-चांठी पुल का निर्माण हमेशा ही विवादों में रहा है. कभी पुल की ऊंचाई और लंबाई तो कभी पुल की तकनीकी को लेकर समस्या बनी रहती थी. लेकिन अचानक पुल को जोड़ने के दौरान 23 अगस्त 2018 में पुल के चार सस्पेंडर टूट गए थे. इसके बाद लोनिवि ने विभिन्न तकनीकी परीक्षण किए. फिर मुख्य पुल जोड़ने का काम शुरू किया. त्रिवेंद्र सरकार ने पुल निर्माण के लिए एकमुश्त 76 करोड़ दिए हैं. सरकार ने निर्देश दिए हैं कि तय समय पर कार्य पूरा किया जाए. इस पुल पर करीब दो अरब से अधिक की धनराशि व्यय हो चुकी है. इस पुल के निर्माण में विभाग के 45 लोग लगे है.

डोबरा-चांठी पुल का निर्माण पूरा.


डोबरा-चांठी पुल बनने से ये होगा फायदा

प्रतापनगर और उत्तरकाशी जिले की गाजणा पट्टी की दो लाख आबादी को पुल बनने से फायदा होगा. इन क्षेत्रों के लोगों को 70 से 80 किमी की दूरी कम तय करनी होगी. साथ ही बड़ी बसें और ट्रकों की आवाजाही भी पुल से होगी. पुल न होने से प्रतापनगर क्षेत्र के लोग माल-भाड़े के बड़े ट्रक घनसाली, उत्तकाशी या चिन्यालीसौड़ से होकर ले जाते थे. अब लोगों को ऐसी मुसीबतों का सामना नहीं करना पड़ेगा.

वहीं, लोक निर्माण विभाग के प्रोजेक्ट इंचार्ज एएस असवाल का कहना है कि कोरियाई कंपनी के साथ 13 सालों से निर्माणाधीन डोबरा-चांठी पुल का निर्माण कार्य किया जा रहा है. अभी बहुत कार्य करना शेष रह गया है. पुल के निर्माण में तेजी लाई जा रही है.

प्रतापनगर के स्थानीय विधायक विजय सिंह पंवार का कहना है कि डोबरा चांठी पुल साल 2020 तक लोगों को आवाजाही के लिए खोल दिए जायेंगे. जिससे लोगों को कम दूरी तय करनी पड़ेगी.

टिहरी: टिहरी झील के ऊपर 13 सालों से निर्माणाधीन डोबरा-चांठी पुल के सभी पैनल जोड़ दिए गए हैं. इसके बाद अब प्रताप नगर के लोगों में खुशी का लहर है. डोबरा-चांठी पुल निर्माण कार्य में एडजस्टमेंट, वेल्डिंग और पेटिंग का कार्य शेष रह गया है. मार्च 2020 तक पुल पर आवाजाही शुरू हो जाएगी.

पढ़ें:अनियंत्रित तेज रफ्तार कार खेत में पलटी, बाल-बाल बचे दर्जन भर लोग

डोबरा-चांठी पुल का निर्माण लोनिवि और कार्यदायी कंपनी वीकेजेए एंड एमबीजेड़ ने किया है. 13 साल से पुल बनने का सपना देख रहे प्रतापनगरवासी अब खुश हैं. टिहरी बांध के चलते अलग-थलग पड़े प्रतापनगर क्षेत्र के लिए डोबरा-चांठी पुल की सभी 87 सेगमेंट (पैनल) जोड़ दिए गए हैं. अब सिर्फ पुल का प्रोफाइल करेक्शन, एडजस्टमेंट, नट-वोल्ट को टाईट करना, वेल्डिंग, पेटिंग और टेस्टिंग का कार्य बाकी रह गया है. अगले साल मार्च 2020 तक पुल पर आवाजाही होने लगेगी.

पढ़ें:पिरान कलियर साबिर दरगाह के पास बनी झोपड़ पट्टियों में कौन रह रहा है, लोगों ने उठाई ये मांग

गौर हो कि साल 2006 से निर्माणाधीन 440 मीटर स्पॉन के डोबरा-चांठी पुल का निर्माण हमेशा ही विवादों में रहा है. कभी पुल की ऊंचाई और लंबाई तो कभी पुल की तकनीकी को लेकर समस्या बनी रहती थी. लेकिन अचानक पुल को जोड़ने के दौरान 23 अगस्त 2018 में पुल के चार सस्पेंडर टूट गए थे. इसके बाद लोनिवि ने विभिन्न तकनीकी परीक्षण किए. फिर मुख्य पुल जोड़ने का काम शुरू किया. त्रिवेंद्र सरकार ने पुल निर्माण के लिए एकमुश्त 76 करोड़ दिए हैं. सरकार ने निर्देश दिए हैं कि तय समय पर कार्य पूरा किया जाए. इस पुल पर करीब दो अरब से अधिक की धनराशि व्यय हो चुकी है. इस पुल के निर्माण में विभाग के 45 लोग लगे है.

डोबरा-चांठी पुल का निर्माण पूरा.


डोबरा-चांठी पुल बनने से ये होगा फायदा

प्रतापनगर और उत्तरकाशी जिले की गाजणा पट्टी की दो लाख आबादी को पुल बनने से फायदा होगा. इन क्षेत्रों के लोगों को 70 से 80 किमी की दूरी कम तय करनी होगी. साथ ही बड़ी बसें और ट्रकों की आवाजाही भी पुल से होगी. पुल न होने से प्रतापनगर क्षेत्र के लोग माल-भाड़े के बड़े ट्रक घनसाली, उत्तकाशी या चिन्यालीसौड़ से होकर ले जाते थे. अब लोगों को ऐसी मुसीबतों का सामना नहीं करना पड़ेगा.

वहीं, लोक निर्माण विभाग के प्रोजेक्ट इंचार्ज एएस असवाल का कहना है कि कोरियाई कंपनी के साथ 13 सालों से निर्माणाधीन डोबरा-चांठी पुल का निर्माण कार्य किया जा रहा है. अभी बहुत कार्य करना शेष रह गया है. पुल के निर्माण में तेजी लाई जा रही है.

प्रतापनगर के स्थानीय विधायक विजय सिंह पंवार का कहना है कि डोबरा चांठी पुल साल 2020 तक लोगों को आवाजाही के लिए खोल दिए जायेंगे. जिससे लोगों को कम दूरी तय करनी पड़ेगी.

Intro:टिहरी गढ़वाल
टिहरी झील के ऊपर 13 सालो से निर्माणाधीन डोबरा-चांठी पुल के सभी पैनल जुड़कर तैयार,प्रताप नगर के लोगो जल्दी मिलेगी आने जाने की सुबिधा, एडजस्टमेंट, वेल्डिंग और पेटिंग का कार्य अवशेष, मार्च 2020 से होगी आवाजाही

पुल का निर्माण लोनिवि निर्माण खंड और कार्यदायी कंपनी वीकेजेएएंड एमबीजेड़ के इंजीनियरों को याद किया जाएगा हमेशाBody:13 साल से पुल बनने का सपना देख रहे प्रतापनगरवासियों के लिए आज का दिन खुशियां लेकर आया है। टिहरी बांध के कारण अलग-थलग पड़े प्रतापनगर क्षेत्र के लिए निर्माणाधीन डोबरा-चांठी पुल की सभी 87 सेगमेंट (पैनल) जोड़ दिए गए हैं। अब सिर्फ पुल का प्रोफाईल करेक्शन, एडजस्टमेंट, नट-वोल्ट को टाईट करना, वेल्डिंग, पेटिंग और टेस्टिंग का कार्य बाकी रह गए है। अगले वर्ष मार्च 2020 तक पुल पर आवाजाही का सपना अब साकार हो सकेगा।
वर्ष 2006 से निर्माणाधीन 440 मीटर स्पॉन के डोबरा-चांठी पुल का निर्माण हमेशा ही विवादों में रहा है। कभी पुल की ऊंचाई और लंबाई तो कभी पुल की तकनीकी को लेकर। सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन अचानक पुल को जोडने के दौरान 23 अगस्त 2018 में पुल के चार सस्पेंडर टूट गए थे। इसके बाद लोनिवि ने विभिन्न तकनीकी परीक्षण करवाकर फिर से मुख्य पुल जोडऩे का काम शुरू किया था। वर्तमान भाजपा सरकार ने पुल निर्माण के लिए एकमुश्त 76 करोड़ अवमुक्त कर निर्देश दिए कि तय समय पर कार्य पूरा किया जाए। पुल पर करीब दो अरब से अधिक की धनराशि व्यय हो चुकी है।
आखिरकार सभी बाधाओं को पार करने के बाद निर्माण विभाग लोनिवि निर्माण खंड और कार्यदायी कंपनी वीकेजेएएंड एमबीजेड़ के इंजीनियरों ने आज पुल के सभी सेगेमेंट जोड़ दिए हैं। 43 पैनल डोबरा और 43 पैनल चांठी साईड से जोडऩे के बाद दोनों ओर की पैनल को जोडऩे वाले मास्टर पैनल से जोड़े गए। मास्टर पैनल की लंबाई साढ़े सात मीटर है। सबसे ज्यादा चुनौती दोनों साईड के पैनल को मास्टर पैनल से जोडऩे की थी। लेकिन इंजीनियरों ने इस चुनौती को बखूबी पार हुए सफलतापूर्वक जोड़ दिया है। अब पुल से आसानी से पैदल आरपार जा सकते हैं। इस पुल के निर्माण में 45 लोग लगे हुए है,



Conclusion:पुल बनने से यह होगा फायदा-

टिहरी बांध के कारण अलग-थलग पड़े प्रतापनगर और उत्तरकाशी जिले की गाजणा पट्टी की दो लाख की आबादी को पुल बनने से फायदा होगा। इन क्षेत्र के लोगों को 70 से 80 किमी की दूरी कम तय करनी पड़ेगी। साथ ही बड़ी बसें, ट्रकों की आवाजाही भी पुल से होगी। पुल न होने से प्रतापनगर क्षेत्र के लोग माल-भाड़े के बड़े ट्रक घनसाली, उत्तकाशी अथवा चिन्यालीसौड़ से होकर ले जाने पड़ते थे।

बाइट आर एस यादव प्रोजेक्ट इंचार्ज
बाइट ए एस असवाल लोक निर्माण बिभाग अधिशासी अभियंता
बाइट विजय सिंह पंवार विधायक प्रतापनगर
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