टिहरी: एशिया के सबसे बड़ा टिहरी बांध (Asia largest Tehri Dam) की झील के ऊपर बनाए गए फ्लोटिंग हट्स को पर्यटन विभाग ने एक निजी होटल ग्रुप को पीपीपी मोड में संचालित करने के लिए दिया है, लेकिन आरोप है कि यह कंपनी इन हट्स ने निकलने वाले मल मूत्र और गंदगी को झील में डाला जा रहा है. जिसको लेकर सामाजिक कार्यकर्ता और व्यापारियों में आक्रोश देखा जा रहा है. साथ ही इस कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है.
झील में डाली जा रही गंदगी: आस्था का प्रतीक भागीरथी टिहरी संगम (Bhagirathi Tehri Sangam) में आकर भिलंगना नदी से मिलती है. जहां पर टिहरी बांध (Tehri Lake) बनाया गया है. यहीं पर झील के ऊपर तैरता हुआ फ्लोटिंग हट्स बनाया गया है. जिससे निकलने वाले मल मूत्र और गंदगी को झील में डालने का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसको लेकर लोगों में आक्रोश देखा जा रहा है.
जांच टीम ने पाई कई खामियां: मामले में टिहरी जिलाधिकारी डॉ सौरभ गहरवार ने एक जांच कमेटी गठित की. जांच कमेटी जब मौके पर पहुंची तो उन्होंने जांच में कई खामियां पाई. इसके बावजूद फ्लोटिंग हट्स के किचन को सिर्फ 3 दिन के लिए बंद किया गया और जांच के 1 सप्ताह बाद किचन का ताला खोल दिया गया.
होटल का रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया: आश्चर्य की बात है इस होटल का रजिस्ट्रेशन पर्यटन विभाग में अभी तक भी नहीं किया गया है और ना ही अग्निशमन विभाग से फायर की अनुमति ली गई. यानी मानकों को ताक पर रखकर फ्लोटिंग हट्स को ऋषिकेश के वनंत्रा होटल की तरह चलाया जा रहा है, लेकिन अभी तक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं की है.
व्यापार मंडल ने दी आंदोलन की चेतावनी: मामले को लेकर व्यापार मंडल के अध्यक्ष ज्योति डोभाल ने शासन प्रशासन को चेतावनी दी है. उन्होंने कहा अगर 1 सप्ताह के अंदर निजी होटल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा. साथ ही खुद व्यापार संघ होटल में जाकर तालाबंदी करेगा.वहीं, नई टिहरी के अग्निशमन अधिकारी ने एसएस यादव ने कहा कि फ्लोटिंग हट्स संचालित करने वाली निजी होटल कंपनी ने अभी तक अग्निशमन की अनुमति नहीं ली है. जैसे वह अप्लाई करेंगे, उसके बाद जांच करके एनओसी दी जाएगी.
पर्यटन विभाग ने कंपनी से मांग कागज: पर्यटन विभाग के अधिकारी अतुल भंडारी ने कहा उनके द्वारा रजिस्ट्रेशन के लिए कागज मांगे गए हैं और प्रदूषण विभाग द्वारा कार्रवाई की जा रही है. डीएम डॉ सौरभ गहरवार ने कहा इन्वेस्टिगेशन कमेटी से जांच करवाई गई और इसकी रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है. अब इस पर शासन स्तर से ही कार्रवाई की जाएगी.
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कंपनी मैनेजर से व्हाट्सएप पर बात: जब ईटीवी भारत ने निजी कंपनी होटल के मैनेजर और अन्य कर्मचारियों से बात की तो सबने मना कर दिया. उसके बाद होटल के मैनेजर मनमीत से व्हाट्सएप कॉल पर बात हुई. इस दौरान मनमीत ने बात में कई खुलासे किए. उन्होंने कहा हमारी तरफ से होटल पूरी तरह से ओके है. जितनी भी परेशानियां खड़ी हो रही है, वह सब शासन प्रशासन और पर्यटन विभाग के कारण उत्पन्न हुई है.
सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बंद: आस्था के प्रतीक भागीरथी गंगा नदी में फ्लोटिंग हट्स के शौचालयों की गंदगी के निस्तारण के लिए बनाया गया सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बंद है. सीवर निस्तारण के लिए कर्मचारियों के पास ना कोई उपकरण मिलता है और ना ही क्षमता की नाव मिलती है या कुछ तथ्य हैं जो जिला प्रशासन ने जांच के दौरान लिखे हैं, लेकिन इस पूरी जांच की रिपोर्ट को फ्लोटिंग हट्स को बिना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एनओसी और पर्यटन विभाग के रजिस्ट्रेशन और अग्निशमन विभाग से बिना अनुमति के संचालन किया जा रहा है.
जांच में फ्लोटिंग हट्स प्रबंधन पाया गया दोषी: आपको बता दें कि फ्लोटिंग हट्स के बीस कॉटेज में लगभग 8500 लीटर गंदगी निकलता है. लेकिन जिस वोट में उसे एसटीपी तक ले जाने की व्यवस्था है, वहां मात्र 2 हजार लीटर झमता की है. जांच में साफ लिखा गया है कि एसटीपी के निरीक्षण में लगता है कि एसटीपी का संचालन कभी कभार ही किया गया हो, पूरी जांच में फ्लोटिंग हट्स प्रबंधन दोषी पाया गया है.
दोबारा मिला फ्लोटिंग हट्स को संचालन की अनुमति: इसके बावजूद उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने दोबारा निरीक्षण किए बगैर 18 अक्टूबर को जिला प्रशासन को भेजे पत्र में फ्लोटिंग हट्स को संचालन की अनुमति देने के निर्देश दे दिए. आश्चर्य की बात है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 25 दिन से भी अधिक का समय हो गया, लेकिन फ्लोटिंग हट्स प्रबंधन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है.