टिहरी: डोबरा-चांठी सस्पेंशन ब्रिज के एंकर ब्लॉक की ट्रीटमेंट रिपोर्ट सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआइ) ने लोक निर्माण विभाग को सौंप दी है. जिसके बाद लोगों में पुल निर्माण पूरा होने की उम्मीद जग गई है.
गौर हो कि टिहरी बांध की झील बनने के कारण अलग-थलग पड़े प्रतापनगर के लोगों के आवागमन को 2006 में चांठी-डोबरा पुल का निर्माण शुरू हुआ था, लेकिन विभिन्न तकनीकी वजहों से पुल नहीं बन पाया. वहीं पुल निर्माण में करीब 1.35 अरब की रकम खर्च हो चुकी, लेकिन आज तक पुल नहीं बन पाया है. इसके बाद वर्ष 2016 में लोनिवि निर्माण विभाग ने 1.35 अरब की लागत से दोबारा निर्माण कार्य शुरू किया. इस बार पुल का नया डिजाइन दक्षिण कोरिया की कंपनी योसीन से तैयार कराया गया था. उसके बाद पुल का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा था, तभी 23 अगस्त 2018 को पुल के चांठी साइड की ओर से तीन सस्पेंडर अचानक टूट गए थे. जिसके बाद लोनिवि ने डोबरा चांठी पुल के दोनों तरफ बनाये गए एंकरों की जांच दिल्ली स्थित सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI) को सौंपी थी. जिसकी रिपोर्ट CRRI ने लगभग एक साल बाद लोनिवि को दी है.
डोबरा-चांठी पुल की कुल लंबाई 725 मीटर है. इसमें सस्पेंशन ब्रिज 440 मीटर लंबा है. जिसमें 260 मीटर आरसीसी डोबरा साइड और 25 मीटर स्टील गार्डर चांठी के साइड है और पुल की कुल चौड़ाई सात मीटर है. जिसमें मोटरमार्ग की चौड़ाई साढ़े पांच मीटर है. जबकि फुटपाथ की चौड़ाई 0.75 मीटर है.
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वहीं डोबरा-चांठी पुल के प्रोजेक्ट इंजीनियर एवं अधिशासी अभियंता लोनिवि एसएस मखलोगा ने बताया कि CRRI की रिपोर्ट मिल गई है. अब इस रिपोर्ट का अध्ययन किया जाएगा. उसके बाद ही एंकर ब्लॉकों के ट्रीटमेंट का कार्य शुरू किया जाएगा