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डोबरा-चांठी झूला पुल का श्रेय लेने के लिए कांग्रेस-बीजेपी में लगी होड़ - प्रताप नगर न्युज

नई टिहरी से पांच घंटे का सफर तय कर प्रतापनगर पहुंचा जाता है. ऐसे में इस पुल पर आवाजाही शुरू होने के बाद सिर्फ डेढ़ घंटे में सफर तय किया जा सकता है.

डोबरा-चांठी झूला पुल
डोबरा-चांठी झूला पुल
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Published : Aug 1, 2020, 4:48 PM IST

प्रतापनगर: 15 सालों से कालापानी की सजा भुगत रहे प्रतापनगर के लोगों के अच्छे दिन आने वाले है. क्योंकि, टिहरी झील पर बने डोबरा-चांठी झूला पुल (सस्पेंशन ब्रिज) निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है. जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करने वाले हैं. इससे पुल के बनने से प्रतापनगर के लोगों की 15 साल पुरानी मुश्किल खत्म हो जाएगी. लेकिन अब दोनों ही पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी में डोबरा-चांठी झूला पुल का श्रेय लेने की होड़ मची हुई है.

कांग्रेस की मानें तो डोबरा-चांठी झूला का निर्माण कार्य 2006 में उनकी तत्कालीन सरकार के समय में शुरू हुआ था. कांग्रेस जिला अध्यक्ष राकेश राणा ने कहा कि 2006 में तत्कानी एनडी तिवारी सरकार में प्रतापनगर के विधायक फूल सिंह बिष्ट ने इस पुल के लिए 89 करोड़ रुपए का बजट पास कराया था, लेकिन पुल को बनाने की समय सीमा 24 महीन रखी गई थी, लेकिन 14 सालों में ये पुल नहीं बन पाया था. डोबरा-चांठी झूला पुल बनाने में कांग्रेस का बहुत बड़ा योगदान है ये प्रतापनगर की जनता जानती है.

डोबरा-चांठी झूला पुल पर राजनीति

पढ़ें- करोड़ों खर्च के बावजूद नहीं बना डोबरा-चांठी पुल, ग्रामीण बोले- खामियों की हो जांच

कांग्रेस जहां पुल की नींव धरने का श्रेय ले रही है तो वहीं, बीजेपी भी कहां पीछे रहने वाली है. प्रतापनगर से बीजेपी विधायक विजय पंवार की मानें तो कांग्रेस सरकार पुल के लिए 90 करोड़ रुपए तो स्वीकृत कर दिए हैं, लेकिन उन्हें रिलीज करने के लिए कांग्रेस ने काफी कोताही बरती.

विधायक विजय पंवार ने कहा कि 2007 में जब वे विधायक बने तो उन्होंने एक साथ 30 प्रतिशत बजट रिलीज कराया था. 2012 में जैसे ही दोबारा कांग्रेस की सरकार पुल का काम फिर लटक गया. 2017 में दोबारा बीजेपी की सरकार के बनी. इसके बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक मुश्त पैसा दिया और पुल का निर्माण कार्य पूरा हो सका.

डोबरा-चांठी झूला पुल

बता दें कि टिहरी झील बनने के बाद से ही प्रतापनगर क्षेत्र जिला मुख्यालय से अलग-थलग पड़ गया. तब से लेकर आज तक स्थानीय लोगों को कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है. साथ ही स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी जरूरी सुविधाओं का भी अकाल है. प्रतापनगर जाने के लिए लोगों को पीपलडाली और भल्डयाना रोड से जाना पड़ता है, लेकिन पुल बनने से नई टिहरी से डोबरा पुल पार कर प्रतापनगर पहुंचा जा सकेगा. इससे प्रतापनगर की लगभग दो लाख की आबादी को कई तरह की दिक्कतों से भी छुटकारा मिल पाएगा. फिलहाल, नई टिहरी से पांच घंटे का सफर तय कर प्रतापनगर पहुंचा जाता है. इस पुल से अवाजाही शुरू होने के बाद सिर्फ डेढ़ घंटे में ही सफर पूरा हो जाता है.

प्रतापनगर: 15 सालों से कालापानी की सजा भुगत रहे प्रतापनगर के लोगों के अच्छे दिन आने वाले है. क्योंकि, टिहरी झील पर बने डोबरा-चांठी झूला पुल (सस्पेंशन ब्रिज) निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है. जल्द ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करने वाले हैं. इससे पुल के बनने से प्रतापनगर के लोगों की 15 साल पुरानी मुश्किल खत्म हो जाएगी. लेकिन अब दोनों ही पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी में डोबरा-चांठी झूला पुल का श्रेय लेने की होड़ मची हुई है.

कांग्रेस की मानें तो डोबरा-चांठी झूला का निर्माण कार्य 2006 में उनकी तत्कालीन सरकार के समय में शुरू हुआ था. कांग्रेस जिला अध्यक्ष राकेश राणा ने कहा कि 2006 में तत्कानी एनडी तिवारी सरकार में प्रतापनगर के विधायक फूल सिंह बिष्ट ने इस पुल के लिए 89 करोड़ रुपए का बजट पास कराया था, लेकिन पुल को बनाने की समय सीमा 24 महीन रखी गई थी, लेकिन 14 सालों में ये पुल नहीं बन पाया था. डोबरा-चांठी झूला पुल बनाने में कांग्रेस का बहुत बड़ा योगदान है ये प्रतापनगर की जनता जानती है.

डोबरा-चांठी झूला पुल पर राजनीति

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कांग्रेस जहां पुल की नींव धरने का श्रेय ले रही है तो वहीं, बीजेपी भी कहां पीछे रहने वाली है. प्रतापनगर से बीजेपी विधायक विजय पंवार की मानें तो कांग्रेस सरकार पुल के लिए 90 करोड़ रुपए तो स्वीकृत कर दिए हैं, लेकिन उन्हें रिलीज करने के लिए कांग्रेस ने काफी कोताही बरती.

विधायक विजय पंवार ने कहा कि 2007 में जब वे विधायक बने तो उन्होंने एक साथ 30 प्रतिशत बजट रिलीज कराया था. 2012 में जैसे ही दोबारा कांग्रेस की सरकार पुल का काम फिर लटक गया. 2017 में दोबारा बीजेपी की सरकार के बनी. इसके बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक मुश्त पैसा दिया और पुल का निर्माण कार्य पूरा हो सका.

डोबरा-चांठी झूला पुल

बता दें कि टिहरी झील बनने के बाद से ही प्रतापनगर क्षेत्र जिला मुख्यालय से अलग-थलग पड़ गया. तब से लेकर आज तक स्थानीय लोगों को कई तरह की परेशानियों से जूझना पड़ रहा है. साथ ही स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी जरूरी सुविधाओं का भी अकाल है. प्रतापनगर जाने के लिए लोगों को पीपलडाली और भल्डयाना रोड से जाना पड़ता है, लेकिन पुल बनने से नई टिहरी से डोबरा पुल पार कर प्रतापनगर पहुंचा जा सकेगा. इससे प्रतापनगर की लगभग दो लाख की आबादी को कई तरह की दिक्कतों से भी छुटकारा मिल पाएगा. फिलहाल, नई टिहरी से पांच घंटे का सफर तय कर प्रतापनगर पहुंचा जाता है. इस पुल से अवाजाही शुरू होने के बाद सिर्फ डेढ़ घंटे में ही सफर पूरा हो जाता है.

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