टिहरी: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक दिवसीय दौरे पर टिहरी पहुंचे. इस दौरान धामी टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कॉरपोरेशन द्वारा आयोजित ‘जर्नी ऑफ टिहरी डैम’ कार्यक्रम में शामिल हुए. वहीं, इस कार्यक्रम में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह भी मौजूद रहे.
केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने कहा ऊर्जा के क्षेत्र में हाइड्रो पावर का महत्त्व बहुत बढ़ गया. पर्यावरण को स्वच्छ बनाने की मुहिम में क्लीन सोर्सेज ऑफ एनर्जी पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. उन्होंने टिहरी हाइड्रो बांध की क्षमता के पूरे उपयोग की सहमति देने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आभार व्यक्त किया. केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा जिन राज्यों के पास हाइड्रो पावर का पोटेंशियल है, उन राज्यों की आर्थिकी को बढ़ाने में हाईड्रो पॉवर की अहम भूमिका रही है. हाइड्रो पॉवर के क्षेत्र में उत्तराखंड में भी अनेक संभावनाएं हैं. हाइड्रो प्रोजेक्ट बनाने में कठिनाई तो है, लेकिन समाधान सेंसिविटी से किया जाय तो हाइड्रो प्रोजेक्ट फायदेमंद होते है.
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केंद्रीय मंत्री ने कहा टिहरी हाइड्रो प्रोजेक्ट के अंश के लिए उत्तराखंड सरकार से जो मांग की गई है, उस पर न्यायोचित कार्यवाही की जाएगी. टिहरी बांध से संबंधित पुनर्वास के सभी लंबित मामलों का समाधान किया गया है. कार्यक्रम के दौरान सीएम धामी ने कहा कि हमारे राज्य में छोटी परियोजनाओं की बहुत संभावनाएं हैं. प्रधानमंत्री मोदी की कल्पना स्वरूप उत्तराखंड देश का अग्रणी राज्य बने इस पर हमारी सरकार काम कर रही है.
सीएम धामी ने कहा टीएचडीसी की टिहरी यात्रा कार्यक्रम के प्रारंभ से पूर्व अतीत की ओर देखें तो जल विद्युत की अपार संभावनाओं वाले इस राज्य में वर्ष 1906-07 से ही लघु जल विद्युत परियोजनाओं की स्थापना होने लगी थी. 1914 में मसूरी के भट्टाफॉल में स्थापित गलोगी जल विद्युत परियोजना, जो मैसूर के बाद देश का दूसरा और उत्तर भारत का प्रथम विद्युत संयत्र था. जिसका वर्तमान में पुनः कायाकल्प किया जा रहा है.
सीएम धामी ने कहा समय के साथ-साथ गलोगी जल विद्युत परियोजनाओं से लेकर पंचेश्वर बांध परियोजना सहित लगभग 21 जल विद्युत परियोजनाओं में कई परियोजनाएं निर्मित एवं क्रियाशील हैं, कुछ निर्माणाधीन हैं. जल विद्युत परियोजना के इस सफर में टीएचडीसी का पदार्पण केंद्र सरकार ने 1989 में किया था.
1990 में विस्थापित लोगों के पुनर्वास की भी कॉर्पोरेशन को जिम्मेदारी सौंपी गई. 2400 मेगावॉट विद्युत उत्पादन क्षमता वाली इस परियोजना में दो चरण हैं. प्रथम चरण में 1000 मेगावॉट की टिहरी बांध एवं जल विद्युत परियोजना है. द्वितीय चरण में 1000 मेगावॉट की टिहरी पम्प स्टोरेज प्लांट और 400 मेगावॉट की कोटेश्वर बांध एवं जल विद्युत परियोजना है.
केंद्र सरकार ने बीते साल टीएचडीसी के जलाशय का जलस्तर 830 मीटर तक भरने की भी अनुमति प्रदान की थी. सरकार के इस निर्णय से जो बिजली उत्पादन पहले 3000 मिलियन यूनिट थी, उसमें 20 मिलियन यूनिट अतिरिक्त विद्युत उत्पादन हो पाया है. जिससे 770 करोड़ रुपए की आय की प्रतिवर्ष बढ़ोत्तरी हो हुई है. टिहरी बांध के अतिरिक्त THDCIL कोटेश्वर हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट सहित अन्य हाइड्रो, सोलर, पवन ऊर्जा स्रोतों से विद्युत उत्पादन कर रहा है.
सीएम ने आशा व्यक्त की कि THDCIL देश में ऊर्जा संचय में भारत सरकार की पहल में अग्रणी भूमिका बढ़ाते हुए शीघ्र ही टिहरी PSP परियोजना को पूर्ण करेगा. साथ ही देश के विभिन्न राज्यों में भारत सरकार द्वारा सौंपी गई विभिन्न स्टोरेज परियोजनाओं में भी तेज गति से आगे बढ़ायेगा.