ETV Bharat / state

विजय जड़धारी ने टिहरी डैम पर उठाया सवाल, कहा- गाद भरने से 50 साल कम हुई लाइफ

टिहरी डैम को लेकर शुरू से ही पर्यावरणविद सवाल खड़े करते रहे हैं. पर्यावरणविद ने तो टिहरी डैम को गंगा और पर्यावरण दोनों के लिए खतरा बताया है. वहीं बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी ने अब टिहरी डैम की लाइफ पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. उनका मानना है कि टिहरी डैम की लाइफ 50 साल कम हो गई है. उन्होंने इसके पीछे की वजह भी बताई है.

Tehri Dam.
Tehri Dam.
author img

By

Published : Sep 18, 2021, 6:11 PM IST

Updated : Sep 18, 2021, 7:14 PM IST

टिहरी: बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी ने टिहरी बांध परियोजना की लाइफ पर सवाल खड़े किए हैं. जड़धारी ने दावा किया है कि वैज्ञानिकों ने टिहरी डैम की लाइफ 100 साल बताई थी, लेकिन टिहरी झील में गाद भर रही है. इससे डैम की लाइफ 50 साल कम हो जाएगी. इसलिए सरकार को चाहिए टिहरी झील में जितना भी बालू, पत्थर और मिट्टी इकट्ठा हो रही है, उसकी निकासी की जाए.

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार को स्थानीय बेरोजगार युवकों को रेत बेचने के लिए परमिशन देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जब टिहरी डैम बनाया जा रहा था, उस समय में भी सब यही कह रहे थे कि झील के आसपास नमी होगी और बारिश होगी. लेकिन इसका उल्टा हुआ है.

विजय जड़धारी ने टिहरी डैम पर उठाया सवाल.

पढ़ें- टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से व्यू प्वाइंट और हेलीपैड डूबे, विभागों की भयंकर लापरवाही

अध्ययन की जरूरत: जड़धारी ने बताया कि नरेंद्र नगर, देहरादून और कोटद्वार तराई की तरफ तो बारिश हो रही है, लेकिन गंगा घाटी की ओर सबसे ज्यादा सूखा पड़ रहा है. पिछले 15-20 सालों में यहा बारिश बहुत कम हुई है. टिहरी डैम बनने से ग्लेशियर पर काफी असर पड़ा है. ये अलग बात है कि अभीतक इसको लेकर बहुत बड़े अध्ययन नहीं हुए हैं, जबकि इस पर अध्ययन की जरूरत है.

खतरे की घंटी: जड़धारी ने बताया कि जिस इलाके में टिहरी डैम बना है, वो भूकंप और पर्यावरण दोनों ही दृष्टि से सेंसिटिव एरिया है. भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड का टिहरी जिला जोन चार में आता है. टिहरी में जो भूगर्भीय अध्ययन हुए हैं, उसके हिसाब से अभीतक सब ठीक है. आज लोगों को बिजली भी मिल रही है, लेकिन कितने सालों तक मिलेगी इसके बारे में टिहरी बांध परियोजना के अधिकारियों ने जनता को अभी तक कुछ नहीं बताया.

पढ़ें- टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से चिन्यालीसौड़ में भी खतरा, डरे हुए हैं लोग

टिहरी झील का दायरा गंगोत्री की तरफ बढ़ रहा: जड़धारी ने टिहरी बांध परियोजना के अधिकारियों से सवाल किया है, जिस तरह के झील में गाद आ रही है, उस हिसाब से अगले 100 साल तक टिहरी डैम से लोगों को बिजली मिल पाएगी. उन्होंने कहा कि गंगोत्री से टिहरी बांध तक गाद पहुंच रही है. उससे टिहरी बांध की झील का दायरा पीछे की तरफ बढ़ रहा है, यानी गंगोत्री की तरफ जा रहा है.

जड़धारी ने कहा कि झील में भारी मात्रा में मिट्टी और रेत आदि गाद आ रही है, लेकिन इसको रोकने के लिए अभीततक कोई कदम नहीं उठाया गया है. यदि ऐसा ही होता रहा तो टिहरी बांध की झील में एक न एक दिन गाद ऊपर तक भर जाएगी. इसी कारण टरबाइन भी बंद हो होंगे और भविष्य में लोगों को बिजली भी नहीं मिलेगी.

पन बिजली योजना काम करना चाहिए: जड़धारी ने कहा कि उत्तराखंड को छोटी-छोटी पन बिजली योजना पर काम करना चाहिए. पर्यावरणविद स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा भी बार-बार एक ही बात करते थे. धार एच पानी पानी ढाल पर डाला बिजली बनावा खाला खाला यानी हमारी प्लानिंग यह होनी चाहिए धार के ऊपर पानी लाकर नीचे की तरफ सिंचाई के लिए पानी और ढलान पर पेड़ लगाना चाहिए. वहीं गधेरों पर बिजली का उत्पादन होना चाहिए. छोटी-छोटी नदियों में बिजली बनाएंगे, इससे हमारे पहाड़ का भला हो जाएगा. इसके आम आदमी संचालित कर सके. पहले सरकार एक-एक, दो-दो मेगावाट की छोटी-छोटी योजनाएं बनाए.

पढ़ें- खतरा: हर घंटे बढ़ रहा टिहरी झील का जलस्तर, सड़कों-मकानों में पड़ने लगीं दरारें

बडे़ बांधों से होगा विनाश: जड़धारी ने कहा कि बड़े-बड़े बांधों को बनाने से सिर्फ विनाश ही होगा. इसके कई प्रमाण केदारनाथ त्रासदी और रैणी गांव की आपदा के रूप में हमारे सामने हैं. इतनी ऊंचाई पर जाकर जो टनल बनाई जा रही है, उससे पूरा इकोलॉजी सिस्टम गड़बड़ा गया है. इस बात को सब मान रहे हैं कि पूरी धरती का क्लाइमेट चेंज हो गया है. इसी वजह से कभी भी कहीं पर बादल फट जाता है, जिससे बड़ा नुकसान होता है.

उन्होंने बताया कि जड़धार गांव का जंगल 6 से 8 वर्ग किलोमीटर में फैल हुआ है. 2015 में जब इस जंगल में एक बादल फटा था, उस समय भारी मात्रा में गांव के बगल से पानी आया था, लेकिन पुरानी तकनीकी की वजह से यह पानी गांव तक पहुंचने में सामान्य हो गया था.

जड़धारी ने कहा कि यदि पहाड़ों में खूब पेड़ लगाए जाएं तो इस तरह की घटनाएं नहीं होंगी और न ही आपदा आएगी. क्योंकि जहां-जहां पेड़ ज्यादा संख्या में लगे रहते हैं, वहां पर इस तरह की घटनाएं कम होती हैं. आज विकास के कारण ही बादल फट रहे हैं. बादल फटने से बचने की कोई तकनीक हमारे पास नहीं है. इसीलिए हमें सावधान रहने की जरूरत है.

टिहरी: बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी ने टिहरी बांध परियोजना की लाइफ पर सवाल खड़े किए हैं. जड़धारी ने दावा किया है कि वैज्ञानिकों ने टिहरी डैम की लाइफ 100 साल बताई थी, लेकिन टिहरी झील में गाद भर रही है. इससे डैम की लाइफ 50 साल कम हो जाएगी. इसलिए सरकार को चाहिए टिहरी झील में जितना भी बालू, पत्थर और मिट्टी इकट्ठा हो रही है, उसकी निकासी की जाए.

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार को स्थानीय बेरोजगार युवकों को रेत बेचने के लिए परमिशन देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि जब टिहरी डैम बनाया जा रहा था, उस समय में भी सब यही कह रहे थे कि झील के आसपास नमी होगी और बारिश होगी. लेकिन इसका उल्टा हुआ है.

विजय जड़धारी ने टिहरी डैम पर उठाया सवाल.

पढ़ें- टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से व्यू प्वाइंट और हेलीपैड डूबे, विभागों की भयंकर लापरवाही

अध्ययन की जरूरत: जड़धारी ने बताया कि नरेंद्र नगर, देहरादून और कोटद्वार तराई की तरफ तो बारिश हो रही है, लेकिन गंगा घाटी की ओर सबसे ज्यादा सूखा पड़ रहा है. पिछले 15-20 सालों में यहा बारिश बहुत कम हुई है. टिहरी डैम बनने से ग्लेशियर पर काफी असर पड़ा है. ये अलग बात है कि अभीतक इसको लेकर बहुत बड़े अध्ययन नहीं हुए हैं, जबकि इस पर अध्ययन की जरूरत है.

खतरे की घंटी: जड़धारी ने बताया कि जिस इलाके में टिहरी डैम बना है, वो भूकंप और पर्यावरण दोनों ही दृष्टि से सेंसिटिव एरिया है. भूकंप के लिहाज से उत्तराखंड का टिहरी जिला जोन चार में आता है. टिहरी में जो भूगर्भीय अध्ययन हुए हैं, उसके हिसाब से अभीतक सब ठीक है. आज लोगों को बिजली भी मिल रही है, लेकिन कितने सालों तक मिलेगी इसके बारे में टिहरी बांध परियोजना के अधिकारियों ने जनता को अभी तक कुछ नहीं बताया.

पढ़ें- टिहरी झील का जलस्तर बढ़ने से चिन्यालीसौड़ में भी खतरा, डरे हुए हैं लोग

टिहरी झील का दायरा गंगोत्री की तरफ बढ़ रहा: जड़धारी ने टिहरी बांध परियोजना के अधिकारियों से सवाल किया है, जिस तरह के झील में गाद आ रही है, उस हिसाब से अगले 100 साल तक टिहरी डैम से लोगों को बिजली मिल पाएगी. उन्होंने कहा कि गंगोत्री से टिहरी बांध तक गाद पहुंच रही है. उससे टिहरी बांध की झील का दायरा पीछे की तरफ बढ़ रहा है, यानी गंगोत्री की तरफ जा रहा है.

जड़धारी ने कहा कि झील में भारी मात्रा में मिट्टी और रेत आदि गाद आ रही है, लेकिन इसको रोकने के लिए अभीततक कोई कदम नहीं उठाया गया है. यदि ऐसा ही होता रहा तो टिहरी बांध की झील में एक न एक दिन गाद ऊपर तक भर जाएगी. इसी कारण टरबाइन भी बंद हो होंगे और भविष्य में लोगों को बिजली भी नहीं मिलेगी.

पन बिजली योजना काम करना चाहिए: जड़धारी ने कहा कि उत्तराखंड को छोटी-छोटी पन बिजली योजना पर काम करना चाहिए. पर्यावरणविद स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा भी बार-बार एक ही बात करते थे. धार एच पानी पानी ढाल पर डाला बिजली बनावा खाला खाला यानी हमारी प्लानिंग यह होनी चाहिए धार के ऊपर पानी लाकर नीचे की तरफ सिंचाई के लिए पानी और ढलान पर पेड़ लगाना चाहिए. वहीं गधेरों पर बिजली का उत्पादन होना चाहिए. छोटी-छोटी नदियों में बिजली बनाएंगे, इससे हमारे पहाड़ का भला हो जाएगा. इसके आम आदमी संचालित कर सके. पहले सरकार एक-एक, दो-दो मेगावाट की छोटी-छोटी योजनाएं बनाए.

पढ़ें- खतरा: हर घंटे बढ़ रहा टिहरी झील का जलस्तर, सड़कों-मकानों में पड़ने लगीं दरारें

बडे़ बांधों से होगा विनाश: जड़धारी ने कहा कि बड़े-बड़े बांधों को बनाने से सिर्फ विनाश ही होगा. इसके कई प्रमाण केदारनाथ त्रासदी और रैणी गांव की आपदा के रूप में हमारे सामने हैं. इतनी ऊंचाई पर जाकर जो टनल बनाई जा रही है, उससे पूरा इकोलॉजी सिस्टम गड़बड़ा गया है. इस बात को सब मान रहे हैं कि पूरी धरती का क्लाइमेट चेंज हो गया है. इसी वजह से कभी भी कहीं पर बादल फट जाता है, जिससे बड़ा नुकसान होता है.

उन्होंने बताया कि जड़धार गांव का जंगल 6 से 8 वर्ग किलोमीटर में फैल हुआ है. 2015 में जब इस जंगल में एक बादल फटा था, उस समय भारी मात्रा में गांव के बगल से पानी आया था, लेकिन पुरानी तकनीकी की वजह से यह पानी गांव तक पहुंचने में सामान्य हो गया था.

जड़धारी ने कहा कि यदि पहाड़ों में खूब पेड़ लगाए जाएं तो इस तरह की घटनाएं नहीं होंगी और न ही आपदा आएगी. क्योंकि जहां-जहां पेड़ ज्यादा संख्या में लगे रहते हैं, वहां पर इस तरह की घटनाएं कम होती हैं. आज विकास के कारण ही बादल फट रहे हैं. बादल फटने से बचने की कोई तकनीक हमारे पास नहीं है. इसीलिए हमें सावधान रहने की जरूरत है.

Last Updated : Sep 18, 2021, 7:14 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.