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रुद्रप्रयाग: उत्तर्सू गांव सड़क से महरूम, ग्रामीणों को मीलों का करना पड़ता है सफर तय - no road in uttarsu village

रुद्रप्रयाग जिले के तल्लानागपुर क्षेत्र का उत्तर्सू गांव 21वीं सदी में भी यातायात सुविधा से कोसों दूर है. गांव के लोग सड़क मार्ग से करीब तीन किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर पहुंचते हैं.

उत्तर्सू गांव सड़क से महरूम
उत्तर्सू गांव सड़क से महरूम
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Published : Apr 6, 2021, 6:06 PM IST

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड को अस्तित्व में आए 20 साल का समय बीत चुका है, लेकिन आज भी प्रदेश के कई गांव बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं. हाल ये है कि प्रदेश के कई गांवों में आज भी सड़क, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा, संचार और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं को टोटा है, जिसकी वजह से ग्रामीण परेशानी झेलने को मजबूर हैं.

जिले के तल्लानागपुर क्षेत्र का उत्तर्सू गांव 21वीं सदी में भी यातायात सुविधा से कोसों दूर है. गांव के लोग सड़क मार्ग से करीब तीन किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर पहुंचते हैं. उन्हें हर रोज अपने पीठ पर सामान ढोना पड़ता है. यहां के बच्चों को इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए तीन से चार किमी दूर चोपड़ा जाना पड़ता है. जिस रास्ते बच्चे होकर जाते हैं, वह घने जंगल के बीच से होकर गुजरता है. ऐसे में हर समय जंगली जानवरों का भी भय बना रहता है.

उत्तर्सू गांव सड़क से महरूम
उत्तर्सू गांव सड़क से महरूम

ये भी पढ़ें: तीन साल से फरार इनामी बदमाश गुरुग्राम से गिरफ्तार, STF और हरियाणा पुलिस की संयुक्त कार्रवाई

यही नहीं गांव में किसी व्यक्ति के बीमार होने पर उसे सड़क मार्ग तक डोली या चारपाई से पहुंचाना पड़ता है. इस गांव में सड़क तो दूर पैदल चलने के लिए सीसी मार्ग भी नहीं है. सड़क के लिए ग्रामीण कई बार आंदोलन भी कर चुके हैं, लेकिन कहीं से कोई उम्मीद की किरण नहीं दिखाई दे रही है. ग्रामीण शकुंतला देवी, दीक्षा देवी, हीना नेगी और सुभाष पुरोहित का कहना है कि उत्तर्सू गांव जनपद का एक ऐसा अभागा गांव हैं, जहां के लोग सड़क के अभाव में मीलों पैदल चलने को मजबूर हैं. सबसे ज्यादा समस्या बीमार लोगों को ले जाने में होती हैं.

वहीं, गांव में अगर कोई भी सामाजिक कार्य हो तो धियाणियां अपने गांव आना तक पसंद नहीं कर रही हैं. ग्रामीण जनता रोजमर्रा की वस्तुओं के लिए मीलों का सफर तय करना पड़ता है. वहीं प्रशासन को ग्रामीणों की परेशानियों से कोई सरोकार नहीं है.

वहीं, लोनिवि अधिशासी अभियंता इंद्रजीत बोस ने कहा कि उत्तर्सू गांव के लिए तीन किमी मोटरमार्ग की स्वीकृति प्रदान हो गयी है. मोटरमार्ग में सिविल और नाप खेत हैं, जिनका सर्वे किया जाना बाकी है. साथ ही लैंड ट्रांसफर की कार्रवाई भी होनी है. इसके अलावा वन भूमि की स्वीकृति के लिए नौ से दस माह का समय लग जायेगा और फिर नव निर्माण की डीपीआर शासन को भेजी जायेगी. ऐसे में रोड निर्माण कार्य शुरू होने में डेढ़ से दो साल का समय लग जायेगा.

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड को अस्तित्व में आए 20 साल का समय बीत चुका है, लेकिन आज भी प्रदेश के कई गांव बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं. हाल ये है कि प्रदेश के कई गांवों में आज भी सड़क, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा, संचार और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं को टोटा है, जिसकी वजह से ग्रामीण परेशानी झेलने को मजबूर हैं.

जिले के तल्लानागपुर क्षेत्र का उत्तर्सू गांव 21वीं सदी में भी यातायात सुविधा से कोसों दूर है. गांव के लोग सड़क मार्ग से करीब तीन किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर पहुंचते हैं. उन्हें हर रोज अपने पीठ पर सामान ढोना पड़ता है. यहां के बच्चों को इंटरमीडिएट की पढ़ाई के लिए तीन से चार किमी दूर चोपड़ा जाना पड़ता है. जिस रास्ते बच्चे होकर जाते हैं, वह घने जंगल के बीच से होकर गुजरता है. ऐसे में हर समय जंगली जानवरों का भी भय बना रहता है.

उत्तर्सू गांव सड़क से महरूम
उत्तर्सू गांव सड़क से महरूम

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यही नहीं गांव में किसी व्यक्ति के बीमार होने पर उसे सड़क मार्ग तक डोली या चारपाई से पहुंचाना पड़ता है. इस गांव में सड़क तो दूर पैदल चलने के लिए सीसी मार्ग भी नहीं है. सड़क के लिए ग्रामीण कई बार आंदोलन भी कर चुके हैं, लेकिन कहीं से कोई उम्मीद की किरण नहीं दिखाई दे रही है. ग्रामीण शकुंतला देवी, दीक्षा देवी, हीना नेगी और सुभाष पुरोहित का कहना है कि उत्तर्सू गांव जनपद का एक ऐसा अभागा गांव हैं, जहां के लोग सड़क के अभाव में मीलों पैदल चलने को मजबूर हैं. सबसे ज्यादा समस्या बीमार लोगों को ले जाने में होती हैं.

वहीं, गांव में अगर कोई भी सामाजिक कार्य हो तो धियाणियां अपने गांव आना तक पसंद नहीं कर रही हैं. ग्रामीण जनता रोजमर्रा की वस्तुओं के लिए मीलों का सफर तय करना पड़ता है. वहीं प्रशासन को ग्रामीणों की परेशानियों से कोई सरोकार नहीं है.

वहीं, लोनिवि अधिशासी अभियंता इंद्रजीत बोस ने कहा कि उत्तर्सू गांव के लिए तीन किमी मोटरमार्ग की स्वीकृति प्रदान हो गयी है. मोटरमार्ग में सिविल और नाप खेत हैं, जिनका सर्वे किया जाना बाकी है. साथ ही लैंड ट्रांसफर की कार्रवाई भी होनी है. इसके अलावा वन भूमि की स्वीकृति के लिए नौ से दस माह का समय लग जायेगा और फिर नव निर्माण की डीपीआर शासन को भेजी जायेगी. ऐसे में रोड निर्माण कार्य शुरू होने में डेढ़ से दो साल का समय लग जायेगा.

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