ETV Bharat / state

बुसान में खूब सराही जा रही है उत्तराखंड की शॉर्ट फिल्म 'पताल ती', कौन बनेगा बादशाह आज होगा तय - Uttarakhand Latest News

पताल ती फिल्म (uttarakhand patal ti movie) के लेखक व निर्देशक संतोष सिंह रावत और प्रोड्यूसर मुकुन्द नारायण ने फाइनल राउंड से पहले फेस्टिवल स्थल का दौरा किया. 26 अप्रैल को अपने पहले अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शन में जूरी सहित दुनिया के 111 देशों के प्रतिनिधियों ने पताल ती को खूब सराहा. दर्शकों ने फिल्म की पटकथा की जमकर सराहना की. अब यहां से जो चार फिल्में चुननी जाएंगी उन्हें ऑस्कर अवॉर्ड के लिए भेजा जाएगा.

uttarakhand
बुसान अन्तर्राष्ट्रीय शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल
author img

By

Published : May 2, 2022, 11:50 AM IST

Updated : May 17, 2022, 1:40 PM IST

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड की फिल्म पताल ती देश ही नहीं अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहुंच चुकी है. शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जाने वाली दुनिया के 111 देशों से चयनित 2548 फिल्मों में रुद्रप्रयाग की इस फिल्म का भी चयन किया गया है. यह उत्तराखंड की पहली फिल्म होगी जिसका वर्ल्ड प्रीमियर होने जा रहा है. शॉर्ट फिल्म पताल ती के लेखक व निर्देशक संतोष सिंह रावत और प्रोड्यूसर मुकुन्द नारायण ने फाइनल राउंड से पहले फेस्टिवल स्थल का दौरा किया. टीम ने उत्तराखंड में अपने एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर गजेन्द्र रौतेला से वीडियो कॉल पर बात करते हुए बताया कि बुसान (South Korea Busan City) बहुत ही साफ सुथरा और शांत शहर है. यहां की आबोहवा भारत के गोवा शहर से बहुत मिलती जुलती है.

बताते चलें कि 26 अप्रैल को अपने पहले अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शन में जूरी सहित दुनिया के 111 देशों के प्रतिनिधियों ने पताल ती को खूब सराहा. दर्शकों ने फिल्म की पटकथा, प्राकृतिक दृश्यों और सिनेमेटोग्राफी को खूब सराहते हुए पसंद किया. जूरी और दर्शकों को यह जानकर भी आश्चर्य हुआ कि इस फिल्म के निर्माण से जुड़े सभी लोग स्थानीय हैं और अभी तक किसी के पास भी फिल्म निर्माण का कोई बड़ा अनुभव नहीं था.

बावजूद इसके टीम ने बहुत ही सराहनीय और उम्दा काम करते हुए बुसान शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में जगह बनाई, जो स्वयं ही इस बात का प्रमाण है कि फिल्म में पूरी टीम वर्क के साथ बेहतरीन काम किया गया है. जूरी और दर्शकों ने फिल्म की सिनेमेटोग्राफर बिट्टू रावत और दिव्यांशु रौतेला के काम की भी बहुत तारीफ की और उन्हें भविष्य में इस क्षेत्र की काफी संभावनाओं से भरा युवा बताया.

पढ़ें-अमिताभ बच्चन फिल्म की शूटिंग के लिए डोईवाला पहुंचे, प्रशंसकों की लगी भीड़

111 देशों की फिल्मों में पताल-ती का भी चयन: दक्षिण कोरिया के बुसान में 27 अप्रैल से 2 मई यानी आज आयोजित होने वाले 39वें बुसान अंतरराष्ट्रीय शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जाने वाली दुनिया के 111 देशों से चयनित 2548 फिल्मों में रुद्रप्रयाग की इस फिल्म का भी चयन किया गया है. यह उत्तराखंड की पहली फिल्म होगी जिसका वर्ल्ड प्रीमियर होने जा रहा है. पताल-ती (होली-वाटर) विश्व के 111 देशों से आई 2548 फिल्मों में से चुनी गई 40 शॉर्ट फिल्मों में से एक है.

रुद्रप्रयाग और चमोली में फिल्माई गई फिल्म: यह फिल्म भोटिया जनजाति की एक लोक कथा पर आधारित है. फिल्म का निर्माण स्टूडियो यूके13 की टीम ने किया है, और फिल्म के पोस्ट प्रोडक्शन में ध्वनि संयोजन ऑस्कर विजेता रेसुल पूकुट्टी (स्लमडॉग मिलियनेयर), एडिटिंग संयुक्ता काज़ा (तुम्बाड़) और पूजा पिल्लै (पाताल लोक) एवं रंग संयोजन ईरान के हामिद रेजाफातोरेचिअन ने किया है. फिल्म की शूटिंग रुद्रप्रयाग और चमोली जनपद के कई स्थानों पर की गई है.

फिल्म के निर्माता-निर्देशक संतोष सिंह रावत एवं मुकुंद नारायण ने इस फिल्म में हिमालय के एक गांव के जीवन को दर्शाया है. इस फिल्म के लिए टीम ने 20 दिनों में 4500 मीटर की ऊंचाई तक हिमालय में 300 किलोमीटर से भी ज्यादा की पैदल यात्राएं की हैं.

इसलिए हुआ फेस्टिवल के लिए चुनाव: यह फिल्म भोटिया जनजाति की लोक कथा पर आधारित है. जिसमें किशोरावस्था की तरफ बढ़ रहा एक लड़का अपने दादा की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए भूत और भौतिक के बीच की दूरी को नापता है. इस दौरान प्रकृति और जीवन के बीच संघर्ष इस फिल्म को मानवीय पक्ष से और भी संवेदनशील और भावपूर्ण बना देता है. फिल्म में प्राकृतिक रोशनी, कैमरे और कलाकारों के नाम मात्र के संवादों में की गयी अदाकारी इसे और भी खास बना देती है. यही कारण है कि इस फिल्म को 39वें बुसान अंतरराष्ट्रीय शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल (दक्षिण कोरिया) में प्रीमियर के लिए चुना गया है.

फिल्म की मजबूत पटकथा: इस फिल्म में आयुष रावत, धन सिंह राणा, कमला कुंवर, भगत सिंह बुरफाल ने प्रमुख भूमिका निभाई है. फिल्म के एक्सिक्यूटिव प्रोड्यूसर गजेंद्र रौतेला व सत्यार्थ प्रकाश शर्मा हैं. जबकि फिल्म का फिल्मांकन बिट्टू रावत और दिव्यांशु रौतेला ने किया है. फिल्म निर्माण के लिए व्यवस्थाएं बनाने और समन्वय स्थापित करने का काम एसोसिएट प्रोड्यूसर रजत बर्त्वाल ने किया है. एक्सिक्यूटिव प्रोड्यूसर गजेंद्र रौतेला बताते हैं कि पताल ती फिल्म ने लोक भाषा के साथ-साथ कला को भी एक नई पहचान देने का काम किया है. साथ ही नई पीढ़ी के कलाकारों की प्रतिभा को मंच देने में अहम रोल अदा किया है. इस फिल्म के माध्यम से उत्तराखंड में फिल्म निर्माण की दिशा में भी नए अवसर प्रदान होंगे. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में फिल्म को और अधिक लोकप्रियता मिलेगी और इस फेस्टिवल में चयन के बाद ऑस्कर के लिए नामित होने की उम्मीद भी बढ़ गई है.

इस पूरी फिल्म निर्माण की एक खास बात यह भी रही कि इस पूरी टीम में सिर्फ दो-तीन लोग ही फिल्म निर्माण के क्षेत्र से रहे. बाकी पूरी टीम ग्रामीण परिवेश से थी या फिर फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में पहली बार कदम रख रहे थे. इस सबके बावजूद पूरी टीम के जज़्बे और जुनून ने एक शानदार उपलब्धि हासिल की है. यह इस बात को भी स्पष्ट करती है कि यदि किसी कहानी और उसके प्रस्तुतीकरण से न्याय किया जाए तो वो क्षेत्र और भाषा की सीमाओं को तोड़ देती है. यह बात इससे भी साबित होती है कि अंत में साउंड और एडिटिंग के लिए बॉलीवुड की जानीमानी हस्तियों ने भी इसके पोस्ट प्रोडक्शन में अपना सहर्ष सहयोग दिया. फिल्म निर्माण के क्षेत्र में उत्तराखंड जैसे पर्वतीय प्रदेश के लिए यह भी एक बड़ी उपलब्धि है.

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड की फिल्म पताल ती देश ही नहीं अंतरराष्ट्रीय फलक पर पहुंच चुकी है. शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जाने वाली दुनिया के 111 देशों से चयनित 2548 फिल्मों में रुद्रप्रयाग की इस फिल्म का भी चयन किया गया है. यह उत्तराखंड की पहली फिल्म होगी जिसका वर्ल्ड प्रीमियर होने जा रहा है. शॉर्ट फिल्म पताल ती के लेखक व निर्देशक संतोष सिंह रावत और प्रोड्यूसर मुकुन्द नारायण ने फाइनल राउंड से पहले फेस्टिवल स्थल का दौरा किया. टीम ने उत्तराखंड में अपने एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर गजेन्द्र रौतेला से वीडियो कॉल पर बात करते हुए बताया कि बुसान (South Korea Busan City) बहुत ही साफ सुथरा और शांत शहर है. यहां की आबोहवा भारत के गोवा शहर से बहुत मिलती जुलती है.

बताते चलें कि 26 अप्रैल को अपने पहले अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शन में जूरी सहित दुनिया के 111 देशों के प्रतिनिधियों ने पताल ती को खूब सराहा. दर्शकों ने फिल्म की पटकथा, प्राकृतिक दृश्यों और सिनेमेटोग्राफी को खूब सराहते हुए पसंद किया. जूरी और दर्शकों को यह जानकर भी आश्चर्य हुआ कि इस फिल्म के निर्माण से जुड़े सभी लोग स्थानीय हैं और अभी तक किसी के पास भी फिल्म निर्माण का कोई बड़ा अनुभव नहीं था.

बावजूद इसके टीम ने बहुत ही सराहनीय और उम्दा काम करते हुए बुसान शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में जगह बनाई, जो स्वयं ही इस बात का प्रमाण है कि फिल्म में पूरी टीम वर्क के साथ बेहतरीन काम किया गया है. जूरी और दर्शकों ने फिल्म की सिनेमेटोग्राफर बिट्टू रावत और दिव्यांशु रौतेला के काम की भी बहुत तारीफ की और उन्हें भविष्य में इस क्षेत्र की काफी संभावनाओं से भरा युवा बताया.

पढ़ें-अमिताभ बच्चन फिल्म की शूटिंग के लिए डोईवाला पहुंचे, प्रशंसकों की लगी भीड़

111 देशों की फिल्मों में पताल-ती का भी चयन: दक्षिण कोरिया के बुसान में 27 अप्रैल से 2 मई यानी आज आयोजित होने वाले 39वें बुसान अंतरराष्ट्रीय शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जाने वाली दुनिया के 111 देशों से चयनित 2548 फिल्मों में रुद्रप्रयाग की इस फिल्म का भी चयन किया गया है. यह उत्तराखंड की पहली फिल्म होगी जिसका वर्ल्ड प्रीमियर होने जा रहा है. पताल-ती (होली-वाटर) विश्व के 111 देशों से आई 2548 फिल्मों में से चुनी गई 40 शॉर्ट फिल्मों में से एक है.

रुद्रप्रयाग और चमोली में फिल्माई गई फिल्म: यह फिल्म भोटिया जनजाति की एक लोक कथा पर आधारित है. फिल्म का निर्माण स्टूडियो यूके13 की टीम ने किया है, और फिल्म के पोस्ट प्रोडक्शन में ध्वनि संयोजन ऑस्कर विजेता रेसुल पूकुट्टी (स्लमडॉग मिलियनेयर), एडिटिंग संयुक्ता काज़ा (तुम्बाड़) और पूजा पिल्लै (पाताल लोक) एवं रंग संयोजन ईरान के हामिद रेजाफातोरेचिअन ने किया है. फिल्म की शूटिंग रुद्रप्रयाग और चमोली जनपद के कई स्थानों पर की गई है.

फिल्म के निर्माता-निर्देशक संतोष सिंह रावत एवं मुकुंद नारायण ने इस फिल्म में हिमालय के एक गांव के जीवन को दर्शाया है. इस फिल्म के लिए टीम ने 20 दिनों में 4500 मीटर की ऊंचाई तक हिमालय में 300 किलोमीटर से भी ज्यादा की पैदल यात्राएं की हैं.

इसलिए हुआ फेस्टिवल के लिए चुनाव: यह फिल्म भोटिया जनजाति की लोक कथा पर आधारित है. जिसमें किशोरावस्था की तरफ बढ़ रहा एक लड़का अपने दादा की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए भूत और भौतिक के बीच की दूरी को नापता है. इस दौरान प्रकृति और जीवन के बीच संघर्ष इस फिल्म को मानवीय पक्ष से और भी संवेदनशील और भावपूर्ण बना देता है. फिल्म में प्राकृतिक रोशनी, कैमरे और कलाकारों के नाम मात्र के संवादों में की गयी अदाकारी इसे और भी खास बना देती है. यही कारण है कि इस फिल्म को 39वें बुसान अंतरराष्ट्रीय शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल (दक्षिण कोरिया) में प्रीमियर के लिए चुना गया है.

फिल्म की मजबूत पटकथा: इस फिल्म में आयुष रावत, धन सिंह राणा, कमला कुंवर, भगत सिंह बुरफाल ने प्रमुख भूमिका निभाई है. फिल्म के एक्सिक्यूटिव प्रोड्यूसर गजेंद्र रौतेला व सत्यार्थ प्रकाश शर्मा हैं. जबकि फिल्म का फिल्मांकन बिट्टू रावत और दिव्यांशु रौतेला ने किया है. फिल्म निर्माण के लिए व्यवस्थाएं बनाने और समन्वय स्थापित करने का काम एसोसिएट प्रोड्यूसर रजत बर्त्वाल ने किया है. एक्सिक्यूटिव प्रोड्यूसर गजेंद्र रौतेला बताते हैं कि पताल ती फिल्म ने लोक भाषा के साथ-साथ कला को भी एक नई पहचान देने का काम किया है. साथ ही नई पीढ़ी के कलाकारों की प्रतिभा को मंच देने में अहम रोल अदा किया है. इस फिल्म के माध्यम से उत्तराखंड में फिल्म निर्माण की दिशा में भी नए अवसर प्रदान होंगे. उम्मीद है कि आने वाले दिनों में फिल्म को और अधिक लोकप्रियता मिलेगी और इस फेस्टिवल में चयन के बाद ऑस्कर के लिए नामित होने की उम्मीद भी बढ़ गई है.

इस पूरी फिल्म निर्माण की एक खास बात यह भी रही कि इस पूरी टीम में सिर्फ दो-तीन लोग ही फिल्म निर्माण के क्षेत्र से रहे. बाकी पूरी टीम ग्रामीण परिवेश से थी या फिर फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में पहली बार कदम रख रहे थे. इस सबके बावजूद पूरी टीम के जज़्बे और जुनून ने एक शानदार उपलब्धि हासिल की है. यह इस बात को भी स्पष्ट करती है कि यदि किसी कहानी और उसके प्रस्तुतीकरण से न्याय किया जाए तो वो क्षेत्र और भाषा की सीमाओं को तोड़ देती है. यह बात इससे भी साबित होती है कि अंत में साउंड और एडिटिंग के लिए बॉलीवुड की जानीमानी हस्तियों ने भी इसके पोस्ट प्रोडक्शन में अपना सहर्ष सहयोग दिया. फिल्म निर्माण के क्षेत्र में उत्तराखंड जैसे पर्वतीय प्रदेश के लिए यह भी एक बड़ी उपलब्धि है.

Last Updated : May 17, 2022, 1:40 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.