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बेमौसम बारिश ने किसानों की तोड़ी कमर, फसल बर्बाद होने से परेशान - फसल खराब होने से काश्तकारों पर रोटी का संकट

इस बार बारिश और बर्फबारी से काश्तकारों को बहुत नुकसान हुआ है. गेहूं की फसल खराब हो गयी है. फसल खराब होने से काश्तकारों के सामने रोटी का संकट आ गया है. साथ फल ,सब्जी को भी नुकसान हुआ है. इसे पर्यावरणविदों की चिन्तायें बढती जा रही थी .

Tenants troubled by unseasonal snowfall and rain
फसल बर्बाद होने से परेशान
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Published : Apr 30, 2021, 10:23 AM IST

Updated : Apr 30, 2021, 1:34 PM IST

रुद्रप्रयाग: इस बार केदारघाटी के हिमालयी क्षेत्रों में मौसम के अनुकूल बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश न होने से काश्तकारों की गेहूं की फसल खराब हो गयी है. जिससे काश्तकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की बीमारी के साथ ही यहां के काश्तकार प्रकृति की दोहरी मार झेल रहे हैं. गेहूं की फसल के बुरी तरह प्रभावित होने से काश्तकारों को भविष्य की चिंता सताने लगी है. सीमान्त क्षेत्रों में भी पेड़-पौधों के सूखने से मवेशियों के लिए चारापत्ती का संकट बना हुआ है.

बेमौसम बारिश ने किसानों की तोड़ी कमर

बता दें कि इस वर्ष मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश न होने से काश्तकारों की फसलें खासी प्रभावित हुई हैं. जिससे काश्तकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.काश्तकारों के अनुसार इस वर्ष मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश न होने से गेहूं, जौ, सरसों की फसलों के उत्पादन पर 70 प्रतिशत तक गिरावट आई है. काश्तकार गजपाल भट्ट ने बताया कि विगत वर्षों तक गेहूं के उत्पादन से लगभग 8 माह तक का गुजारा हो जाता था, मगर इस बार गेहूं की फसल के उत्पादन पर भारी गिरावट आने से मात्र दो माह के गुजर बसर करने के लिए गेहूं नसीब हो पाया है.

पढ़ें: कोरोना संकट के बीच सफाई कर्मचारी 2 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

काश्तकार उत्तम सेमवाल ने बताया कि जब गेहूं की फसल को बारिश की जरूरत थी, तब बारिश नहीं हुई. अप्रैल माह के तीसरे सप्ताह में होने वाली बारिश ने गेहूं की फसल को प्रभावित किया है. काश्तकार महेश नेगी ने बताया कि गेहूं के उत्पादन में भारी गिरावट आने से यहां का काश्तकार कोरोना संक्रमण की बीमारी के साथ प्रकृति की दोहरी मार झेल रहा है.

रुद्रप्रयाग: इस बार केदारघाटी के हिमालयी क्षेत्रों में मौसम के अनुकूल बर्फबारी व निचले क्षेत्रों में बारिश न होने से काश्तकारों की गेहूं की फसल खराब हो गयी है. जिससे काश्तकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमण की बीमारी के साथ ही यहां के काश्तकार प्रकृति की दोहरी मार झेल रहे हैं. गेहूं की फसल के बुरी तरह प्रभावित होने से काश्तकारों को भविष्य की चिंता सताने लगी है. सीमान्त क्षेत्रों में भी पेड़-पौधों के सूखने से मवेशियों के लिए चारापत्ती का संकट बना हुआ है.

बेमौसम बारिश ने किसानों की तोड़ी कमर

बता दें कि इस वर्ष मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश न होने से काश्तकारों की फसलें खासी प्रभावित हुई हैं. जिससे काश्तकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.काश्तकारों के अनुसार इस वर्ष मौसम के अनुकूल बर्फबारी व बारिश न होने से गेहूं, जौ, सरसों की फसलों के उत्पादन पर 70 प्रतिशत तक गिरावट आई है. काश्तकार गजपाल भट्ट ने बताया कि विगत वर्षों तक गेहूं के उत्पादन से लगभग 8 माह तक का गुजारा हो जाता था, मगर इस बार गेहूं की फसल के उत्पादन पर भारी गिरावट आने से मात्र दो माह के गुजर बसर करने के लिए गेहूं नसीब हो पाया है.

पढ़ें: कोरोना संकट के बीच सफाई कर्मचारी 2 मई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

काश्तकार उत्तम सेमवाल ने बताया कि जब गेहूं की फसल को बारिश की जरूरत थी, तब बारिश नहीं हुई. अप्रैल माह के तीसरे सप्ताह में होने वाली बारिश ने गेहूं की फसल को प्रभावित किया है. काश्तकार महेश नेगी ने बताया कि गेहूं के उत्पादन में भारी गिरावट आने से यहां का काश्तकार कोरोना संक्रमण की बीमारी के साथ प्रकृति की दोहरी मार झेल रहा है.

Last Updated : Apr 30, 2021, 1:34 PM IST
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