रुद्रपयागः लोक निर्माण विभाग की लापरवाही के चलते कोटेश्वर-तिलनी पुल का निर्माण (koteshwar tilani bridge construction work) अधर में लटक गया है. जल्द पुल निर्माण न होने पर उत्तराखंड क्रांति दल ने आंदोलन की चेतावनी दी है. यूकेडी के युवा नेता मोहित डिमरी का कहना है कि करीब पचास मीटर लंबा कोटेश्वर-तिलनी स्टील गार्डर पुल अभी तक बनकर तैयार नहीं हुआ है, जबकि मार्च 2020 में स्थानीय विधायक ने पुल का शिलान्यास किया था. अभी तक पुल निर्माण के लिए सिर्फ बेस ही बना है. निर्माण सामग्री मौके पर धूल फांक रही है. ऐसे में ग्रामीणों को पुल का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
यूकेडी नेता मोहित डिमरी ने कहा कि 60 के दशक में बना झूलापुल अब आवाजाही लायक नहीं है. पूर्व में रानीगढ़, धनपुर और तल्लानागपुर क्षेत्र के दर्जनों गांवों के ग्रामीण इसी पुल से आवागमन करते थे. साल 2015 तक भी पुल से स्थानीय लोगों का आवागमन होता था. हर साल सावन मास में तिलनी, सुमेरपुर, धनपुर, रानीगढ के कई गांवों के लोग कोटेश्वर महादेव के दर्शनों को इसी पुल से आवाजाही करते थे. अब स्थानीय लोगों को कोटेश्वर मंदिर साथ ही कलक्ट्रेट, जज कोर्ट एवं विकास भवन पहुंचने के लिए अतिरिक्त दूरी तय करके आना पड़ता है.
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डिमरी का कहना है कि स्थानीय जनता की मांग पर लोनिवि ने नए पुल निर्माण के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा था, मार्च 2018 में शासन स्तर से यहां पर स्टील गार्डर पुल निर्माण के लिए 89 लाख का बजट को स्वीकृति मिली है, लेकिन पुल के लिए टेंडर प्रक्रिया समेत सभी औपचारिकताएं पूरी होने के लंबे समय बाद पुल निर्माण कार्य शुरू हो सका. लोनिवि ने मार्च 2020 में नए पुल का निर्माण कार्य शुरू किया था. वर्तमान में करीब दस फीसदी निर्माण कार्य ही हो सका है.
नए पुल निर्माण से शहर के तिलणी कस्बे से सटे कोटेश्वर, बेला, खुरड, गन्धारी, सुमेरपुर, तिलणी, रतूड़ा, तूना, किमोठा, लमेरी समेत कई गांवों को इसका लाभ मिलेगा. स्थानीय लोगों को जिलाधिकारी कार्यालय, जज कोर्ट और विकास भवन को आने-जाने में काफी सुगमता मिलेगी. अभी इस क्षेत्र के लोगों को करीब आठ से दस किमी की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है.
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उन्होंने कहा कि जल्द पुल निर्माण का कार्य शुरू नहीं हुआ तो उत्तराखंड क्रांति दल स्थानीय लोगों के साथ लोक निर्माण विभाग कार्यालय में धरना-प्रदर्शन करेगा. वहीं, पूर्व सभासद चंद्रमोहन टम्टा, फते सिंह कठैत, अनिल रावत का कहना है कि पुल न होने से आवागमन में परेशानी होती है. कई बार शासन-प्रशासन से पत्राचार करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही. अब जनता के पास आंदोलन के सिवाय दूसरा कोई विकल्प नहीं है.