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नए स्वरूप में आएगा नजर तुंगनाथ धाम, शिखर की छतरी का हो रहा जीर्णोद्धार

Tungnath Dham Uttarakhand विश्व के सबसे ऊंचे शिव मंदिरों में शुमार तुंगनाथ मंदिर का शिखर जल्द ही नए स्वरूप में नजर आएगा. मंदिर के शिखर पर स्थित छतरी के जीर्णोद्धार का काम शुरू हो गया है. यह मंदिर करीब करीब 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है. जो पंच केदारों में तृतीय केदार है. जहां गवान शिव के बाहु और हृदय भाग की पूजा होती है.

Tungnath Temple Peak Chhatr
तृतीय केदार तुंगनाथ धाम
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 17, 2023, 5:58 PM IST

रुद्रप्रयागः पंच केदारों में से तृतीय केदार से शुमार तुंगनाथ मंदिर के जीर्णशीर्ण छतरी का जीर्णोद्धार कार्य विधि विधान के साथ शुरू हो गया है. देवदार की लकड़ी से पहले की तरह छतरी का नव निर्माण किया जा रहा है. जीर्णोद्धार का काम उचित ढंग से हो सके, इसके लिए मंदिर के कलश को भी उतारा गया. ऐसे में जल्द ही तुंगनाथ धाम नए स्वरूप में नजर आएगा.

गौर हो कि करीब 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित पंच केदार में शुमार तुंगनाथ धाम में भगवान शिव के बाहु और हृदय भाग की पूजा होती है. यहां काफी संख्या में तीर्थयात्री पहुंचते हैं. तुंगनाथ घाटी स्थित चोपता और दुग्गल बिट्टा को उत्तराखंड का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है. इन्हीं पड़ावों से होकर तीर्थयात्री भगवान तुंगनाथ के दर्शन को पहुंचते हैं.

Tungnath Dham Uttarakhand
छतरी के लिए देवदार की लकड़ी

बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि तुंगनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य पर भी विचार हो रहा है. इस संबंध में उनकी ओर से एएसआई यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और जीएसआई यानी भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग को पत्र लिखा गया है. ताकि, विशेषज्ञों की राय के अनुसार मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य आगे बढ़ाया जा सके.

Tungnath Dham Uttarakhand
शिखर के छतरी का जीर्णोद्धार का काम

बता दें कि स्थानीय जनता बीते कई सालों से तुंगनाथ मंदिर के शिखर पर स्थित छतरी के जीर्णोद्धार की मांग कर रही थी, लेकिन इस संबंध में काम आगे नहीं बढ़ पा रहा रहा था. ऐसे में बीकेटीसी अध्यक्ष का पदभार संभालते ही अजेंद्र अजय ने मामले को लेकर पहल की. साथ ही दान दाताओं से संपर्क किया. जिसके तहत मंदिर के शीर्ष छतरी का जीर्णोद्धार कार्य शुरू हो गया.
ये भी पढ़ेंः विश्व के सबसे ऊंचे शिव मंदिर तुंगनाथ धाम में आया झुकाव, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का खुलासा

वहीं, छतरी निर्माण और नक्काशी कर रहे कारीगरों की ओर से पूर्व छतरी की तरह देवदार की लकड़ी से नई छतरी का निर्माण किया जा रहा है. जल्द ही नई छतरी को मंदिर के शीर्ष पर विराजमान किया जाना है. इसके लिए मंदिर के शीर्ष कलश को भी मुहूर्त निकाल कर उतारा गया है. इसी तरह विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी की मंदिर की छतरी का नव निर्माण प्रस्तावित है.

Tungnath Dham Uttarakhand
तुंगनाथ मंदिर का शिखर

छतरी उतारने की प्रक्रिया ऐसे हुई पूरीः आज रविवार को मुहूर्त अनुसार सुबह के समय पूजा अर्चना और वैदिक मंत्रोच्चार के बाद तृतीय केदार तुंगनाथ के कलश को उतारने की प्रक्रिया शुरू हुई. सबसे पहले बाबा तुंगनाथ की पूजा हुई, उसके बाद भूतनाथ यानी भैरवनाथ की पूजा की गई. इसके बाद भूतनाथ के पश्वा अवतरित हुए और उन्होंने कलश उतारने की आज्ञा दी.

इसी तरह मां भगवती कालिंका के पश्वा अवतरित हुए. उन्होंने भी कलश उताने की आज्ञा प्रदान की. इसके बाद मंदिर समिति, मंगोली गांव के दस्तूर धारियों और मक्कूमठ के मैठाणी पुजारियों की मौजूदगी में दस्तूर धारी मंदिर के शिखर पर पहुंचे. जहां से कलश को मंदिर परिसर में लाए. इसके बाद पूजा अर्चना दर्शन कर कलश को तुंगनाथ स्थित मंदिर गर्भगृह में रखा गया. जहां रोजाना कलश की पूजा की जाएगी.

वहीं, प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि भूतनाथ के पश्वा (पश्वा यानी जिन पर देव अवतरित होते हैं) ने तुंगनाथ के कपाट बंद होने के बाद यात्रियों का मंदिर क्षेत्र में प्रवेश कराने पर नाराजगी दिखाई. बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि आज कलश को उतारने के साथ ही छतरी के जीर्णोद्धार का शुभारंभ हो गया है.

रुद्रप्रयागः पंच केदारों में से तृतीय केदार से शुमार तुंगनाथ मंदिर के जीर्णशीर्ण छतरी का जीर्णोद्धार कार्य विधि विधान के साथ शुरू हो गया है. देवदार की लकड़ी से पहले की तरह छतरी का नव निर्माण किया जा रहा है. जीर्णोद्धार का काम उचित ढंग से हो सके, इसके लिए मंदिर के कलश को भी उतारा गया. ऐसे में जल्द ही तुंगनाथ धाम नए स्वरूप में नजर आएगा.

गौर हो कि करीब 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित पंच केदार में शुमार तुंगनाथ धाम में भगवान शिव के बाहु और हृदय भाग की पूजा होती है. यहां काफी संख्या में तीर्थयात्री पहुंचते हैं. तुंगनाथ घाटी स्थित चोपता और दुग्गल बिट्टा को उत्तराखंड का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है. इन्हीं पड़ावों से होकर तीर्थयात्री भगवान तुंगनाथ के दर्शन को पहुंचते हैं.

Tungnath Dham Uttarakhand
छतरी के लिए देवदार की लकड़ी

बदरी केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि तुंगनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य पर भी विचार हो रहा है. इस संबंध में उनकी ओर से एएसआई यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग और जीएसआई यानी भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग को पत्र लिखा गया है. ताकि, विशेषज्ञों की राय के अनुसार मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य आगे बढ़ाया जा सके.

Tungnath Dham Uttarakhand
शिखर के छतरी का जीर्णोद्धार का काम

बता दें कि स्थानीय जनता बीते कई सालों से तुंगनाथ मंदिर के शिखर पर स्थित छतरी के जीर्णोद्धार की मांग कर रही थी, लेकिन इस संबंध में काम आगे नहीं बढ़ पा रहा रहा था. ऐसे में बीकेटीसी अध्यक्ष का पदभार संभालते ही अजेंद्र अजय ने मामले को लेकर पहल की. साथ ही दान दाताओं से संपर्क किया. जिसके तहत मंदिर के शीर्ष छतरी का जीर्णोद्धार कार्य शुरू हो गया.
ये भी पढ़ेंः विश्व के सबसे ऊंचे शिव मंदिर तुंगनाथ धाम में आया झुकाव, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का खुलासा

वहीं, छतरी निर्माण और नक्काशी कर रहे कारीगरों की ओर से पूर्व छतरी की तरह देवदार की लकड़ी से नई छतरी का निर्माण किया जा रहा है. जल्द ही नई छतरी को मंदिर के शीर्ष पर विराजमान किया जाना है. इसके लिए मंदिर के शीर्ष कलश को भी मुहूर्त निकाल कर उतारा गया है. इसी तरह विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी की मंदिर की छतरी का नव निर्माण प्रस्तावित है.

Tungnath Dham Uttarakhand
तुंगनाथ मंदिर का शिखर

छतरी उतारने की प्रक्रिया ऐसे हुई पूरीः आज रविवार को मुहूर्त अनुसार सुबह के समय पूजा अर्चना और वैदिक मंत्रोच्चार के बाद तृतीय केदार तुंगनाथ के कलश को उतारने की प्रक्रिया शुरू हुई. सबसे पहले बाबा तुंगनाथ की पूजा हुई, उसके बाद भूतनाथ यानी भैरवनाथ की पूजा की गई. इसके बाद भूतनाथ के पश्वा अवतरित हुए और उन्होंने कलश उतारने की आज्ञा दी.

इसी तरह मां भगवती कालिंका के पश्वा अवतरित हुए. उन्होंने भी कलश उताने की आज्ञा प्रदान की. इसके बाद मंदिर समिति, मंगोली गांव के दस्तूर धारियों और मक्कूमठ के मैठाणी पुजारियों की मौजूदगी में दस्तूर धारी मंदिर के शिखर पर पहुंचे. जहां से कलश को मंदिर परिसर में लाए. इसके बाद पूजा अर्चना दर्शन कर कलश को तुंगनाथ स्थित मंदिर गर्भगृह में रखा गया. जहां रोजाना कलश की पूजा की जाएगी.

वहीं, प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि भूतनाथ के पश्वा (पश्वा यानी जिन पर देव अवतरित होते हैं) ने तुंगनाथ के कपाट बंद होने के बाद यात्रियों का मंदिर क्षेत्र में प्रवेश कराने पर नाराजगी दिखाई. बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि आज कलश को उतारने के साथ ही छतरी के जीर्णोद्धार का शुभारंभ हो गया है.

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